रात होने को है
रात होने को है, सन्नाटा छाने को है,
चाँदनी की चादर, धरा पर बिछाने को है।
सितारों की महफ़िल सजने लगी,
आसमान ने अपने आँचल को ताने लगी।
ठंडी हवाओं की सरगम बजी,
पत्तों की सरसराहट कुछ कहने लगी।
नींद की बाहों में सपने सजे,
अंधेरे में भी उम्मीदें जले।
रात है गहरी, मगर सुंदर भी,
हर तारे में छुपी एक कहानी नई।
सुबह की दस्तक कहीं दूर सही,
पर रात का जादू, अनमोल यहीं।
©Avinash Jha
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