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पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #motivate  पल्लव की डायरी
आत्मनिर्भय कैसे बनते
झूठ का यहाँ कारोबार है
आपदाओं को अवसर बनाने की होड़
सियासतों के रोज लगते दाँव है
आत्मसम्मान सब का खो रहा
किस्मत आजमाने का नही मार्ग है
फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया
समस्याओं का खड़ा पहाड़ है
सच्चाई की फजीहत हो गयी
गुमराह सारा जहान है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते

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#mohabbat  उसने मोहब्बत भी हमसे, पूछ कर किया
चंद पलों तक साथ रहा, फिर कूच कर दिया।

रोका तो बोला, पूछा तो था,
मोहब्बत और सोहबत का फर्क, बयान कर दिया।

हम समझ नहीं पाए, कि कितने बदल गए, रस्म वो रिवाज,
कुछ वक्त साथ रहने का, नया तरीका, ईजाद कर दिया।

हमारी इल्म ही ऐसी थी, कि मचा दी, हाय तौबा,
वरना जिस्म की भूख में लोगों ने, रूह भी कुर्बान कर दिया।

हर बात के है, मायने, वक्त मिले तो सोचना जरूर,
इंसान ने कब से जानवर का रुख अख्तियार कर लिया।

©Sam

#mohabbat Aaj ki

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हम खुद से तो लड़ लेते पर तुमसे कैसे लड़ते हैं हम *तुम ग़ैर नहीं हो अपनी हो तो तुमसे कैसे लड़ते हम *तुम कह देती तो दुनियां के हर सितम मैं हंसकर सह जाता *अब बेबस हूं मैं क़िस्मत से *क़िस्मत से कैसे लड़ते हम* ©Savitri Parveen Kumar

#motivate  हम खुद से तो लड़ लेते पर तुमसे कैसे लड़ते हैं हम *तुम ग़ैर नहीं हो अपनी हो तो तुमसे कैसे लड़ते हम *तुम कह देती तो दुनियां के हर सितम मैं हंसकर सह जाता *अब बेबस हूं मैं क़िस्मत से *क़िस्मत से कैसे लड़ते हम*

©Savitri  Parveen Kumar

#motivate

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#Motivational #motivate  हर चीज़ छूट रहा था हाथो से
                  खोते खोते थक चुके थे हम...

©RUPESH Kr SINHA

#motivate best motivational thoughts

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बेल चढ़ कर पार कर गई दीवार को औकात अपनी वो बीज नहीं जानता था उधर चददर में लिपटा सड़क पर घर किसी का पड़ा हुआ है दूर पहाड़ से एक नदी आई है शहर में तुम्हारी खाली बोतल लौटाने को... -मिथिलेश बारिया ©VED PRAKASH 73

#गोल_चबूतरा  बेल चढ़ कर पार कर गई दीवार को औकात
 अपनी वो बीज नहीं जानता था उधर चददर
 में लिपटा सड़क पर घर किसी का पड़ा हुआ है
 दूर पहाड़ से एक नदी आई है शहर में तुम्हारी
 खाली बोतल लौटाने को... -मिथिलेश बारिया

©VED PRAKASH 73
#Mitwa  तेरे मेरे बीच है जो दूरी जाने कैसे होगी पूरी
बस तुझको पुकारूँ तेरा रस्ता निहारू
जाने-आने का है ना कोई इंतजाम मितवा
बस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवा

©Sam

#Mitwa

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