बेल चढ़ कर पार कर गई दीवार को औकात अपनी वो बीज नही | हिंदी Poetry

"बेल चढ़ कर पार कर गई दीवार को औकात अपनी वो बीज नहीं जानता था उधर चददर में लिपटा सड़क पर घर किसी का पड़ा हुआ है दूर पहाड़ से एक नदी आई है शहर में तुम्हारी खाली बोतल लौटाने को... -मिथिलेश बारिया ©VED PRAKASH 73"

 बेल चढ़ कर पार कर गई दीवार को औकात
 अपनी वो बीज नहीं जानता था उधर चददर
 में लिपटा सड़क पर घर किसी का पड़ा हुआ है
 दूर पहाड़ से एक नदी आई है शहर में तुम्हारी
 खाली बोतल लौटाने को... -मिथिलेश बारिया

©VED PRAKASH 73

बेल चढ़ कर पार कर गई दीवार को औकात अपनी वो बीज नहीं जानता था उधर चददर में लिपटा सड़क पर घर किसी का पड़ा हुआ है दूर पहाड़ से एक नदी आई है शहर में तुम्हारी खाली बोतल लौटाने को... -मिथिलेश बारिया ©VED PRAKASH 73

#गोल_चबूतरा

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