Phool
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पल्लव की डायरी चिंतवन की धारा ,संवेदना और सेवा से जोड़ते खुद के अंदर ईश्वर खोजते मिथ्याभावो की संरचना करके धर्म के नाम पर ढोंगी ठगते ये आडम्बर शाखों से मानवता के फूल गिरा देगे मसल देगे कौमो को ये शातिर एकता की खुशबू मिटा देगे सत्ता की करतूतें ऐसी ही रही कई विभाजन भारत मे करा देगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #phool  पल्लव की डायरी
चिंतवन की धारा
,संवेदना और सेवा से जोड़ते
खुद के अंदर ईश्वर खोजते
 मिथ्याभावो की संरचना करके
धर्म के नाम पर ढोंगी ठगते
ये आडम्बर शाखों से 
मानवता के फूल गिरा देगे
मसल देगे कौमो को ये शातिर
एकता की खुशबू मिटा देगे
सत्ता की करतूतें ऐसी ही रही
कई विभाजन भारत मे करा देगे
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#phool मसल देगे कौमो को ये शातिर

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#Motivational #nojotoquotes #nojotohindi #NojotoFilms #Motivation #Rajdeep  अगर अहां तेजी स काज करय स बेसी बुद्धिमानी स काज करब त अहां के लक्ष्य अहां के नजदीक आबि जायत आ अहां के हाथ देत !

©Rajdeep

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#विचार #phool  दर्पण जब चेहरे का दाग दिखाता है 
तब हम दर्पण नहीं तोडते बल्कि दाग साफ करते हैं। 
उसी प्रकार हमारी कमी बताने वाले पर क्रोध करने के बजाय कमी दूर करना श्रेष्ठ है

©KRISHNA

#phool

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#जानकारी #phool  बहुत देर लगा दी आने में मैं तेरा कब तक 
इन्तज़ार करता तुझे ना आने से पहले 
मैं टूटकर बिखर चुका था।

©Surendra Kumar Kahar

#phool

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फूल शाख से टूटकर गिरा वैसे ही उसकी कीमत कम हो गई क्योंकि उसे अब कोई भी अपने उपयोग में लेना पसंद नहीं करेगा क्योंकि उसमें ताजगी नष्ट हो चुकी होती है ठीक इसी प्रकार परिवार में जो व्यक्ति अपने परिवार से रूठकर अलग रहने लगता रहता है उसकी भी कीमत कम हो जाती है। इसीलिए परिवार के साथ रहिए परिवार से अलग नहीं। ©Aditya Yadav

#विचार #phool  फूल शाख से टूटकर गिरा वैसे ही उसकी कीमत कम
हो गई क्योंकि उसे अब कोई भी अपने उपयोग में 
लेना पसंद नहीं करेगा क्योंकि उसमें ताजगी नष्ट हो
चुकी होती है ठीक इसी प्रकार परिवार में जो व्यक्ति
अपने परिवार से रूठकर अलग रहने लगता रहता है
उसकी भी कीमत कम हो जाती है। इसीलिए परिवार
के साथ रहिए परिवार से अलग नहीं।

©Aditya Yadav

#phool

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#अमृत_कथन  साहित्य उसी रचना को कहेंगे जिसमें कोई सच्चाई  प्रकट की गई हो जिसकी भाषा प्रौढ़ परिमार्जित एंव सुदंर हो और जिसमें दिल
 और दिमाग पर असर डालने का गुण हो...
 -प्रेमचंद ( 1880-1936)

©VED PRAKASH 73
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