पल्लव की डायरी चिंतवन की धारा ,संवेदना और सेवा से | हिंदी कविता

"पल्लव की डायरी चिंतवन की धारा ,संवेदना और सेवा से जोड़ते खुद के अंदर ईश्वर खोजते मिथ्याभावो की संरचना करके धर्म के नाम पर ढोंगी ठगते ये आडम्बर शाखों से मानवता के फूल गिरा देगे मसल देगे कौमो को ये शातिर एकता की खुशबू मिटा देगे सत्ता की करतूतें ऐसी ही रही कई विभाजन भारत मे करा देगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 पल्लव की डायरी
चिंतवन की धारा
,संवेदना और सेवा से जोड़ते
खुद के अंदर ईश्वर खोजते
 मिथ्याभावो की संरचना करके
धर्म के नाम पर ढोंगी ठगते
ये आडम्बर शाखों से 
मानवता के फूल गिरा देगे
मसल देगे कौमो को ये शातिर
एकता की खुशबू मिटा देगे
सत्ता की करतूतें ऐसी ही रही
कई विभाजन भारत मे करा देगे
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी चिंतवन की धारा ,संवेदना और सेवा से जोड़ते खुद के अंदर ईश्वर खोजते मिथ्याभावो की संरचना करके धर्म के नाम पर ढोंगी ठगते ये आडम्बर शाखों से मानवता के फूल गिरा देगे मसल देगे कौमो को ये शातिर एकता की खुशबू मिटा देगे सत्ता की करतूतें ऐसी ही रही कई विभाजन भारत मे करा देगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#phool मसल देगे कौमो को ये शातिर

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