मेरी तितिली रानी।
कई तरह के फूलों को
मैं तुमको आज
  • Latest
  • Popular
  • Video
#कविता  इधर उड़ी उधर उड़ी,
देख रही मैं खड़ी खड़ी।
कई रंग में सजी हुई है,
जैसें कोई फूलझड़ी।।
फुर फुर कर उड़ती मन मानी।
नहीं खा रही दाना पानी।।
नहीं ए तोता मैना है,
नहीं है ए चिड़िया रानी।
है बचपन की एक कहानी,
यह मेरी तितली रानी।।
umakant Tiwari prachanda,

बचपन ।

66 View

बहुत दिनों के बाद, आज तितली आयी है। नभमण्डल में नवकिसलय भी गर्माई है।। सुखकर रवि तेजों में, तितिली नहा रही है। धूप सेंक लो फूलों सँग गुन गुना रही है।। कवि,प्रचण्ड,के आँखोंमें यह जीवन दानी। अजब कहानी दे जाती है तितली रानी।। umakant Tiwari Prachand, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

#कविता  बहुत दिनों के बाद,
 आज तितली आयी है।
नभमण्डल में नवकिसलय
भी गर्माई है।।
सुखकर रवि तेजों में,
तितिली नहा रही है।
धूप सेंक लो फूलों सँग
गुन गुना रही है।।
कवि,प्रचण्ड,के आँखोंमें
यह जीवन दानी।
अजब कहानी दे जाती है
तितली रानी।।
umakant Tiwari Prachand,

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

बचपन ।

11 Love

नयी नयी नूतन कलियों ने। हृदय तरंगित नव कवियों ने।। नवोद्भिद नव राग गीतिका। गाते ओढ़ी है हरीतिका।। इक अद्भुत रस बरस रही है। फूल फूल कर महक रही है। देखो तितली चँहक रही है।। कवि प्रचण्ड कुछ गीत सुनाओ। खुद महको सब को महकाओ।। umakant Tiwari prachand, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

#कविता  नयी नयी नूतन कलियों ने।
हृदय तरंगित नव कवियों ने।।
नवोद्भिद नव राग गीतिका।
गाते  ओढ़ी है हरीतिका।।
इक अद्भुत  रस बरस रही है।
फूल फूल कर महक रही है।
देखो तितली चँहक रही है।।
कवि प्रचण्ड कुछ गीत सुनाओ।
खुद महको सब को महकाओ।।
umakant Tiwari prachand,

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

बचपन ।

13 Love

मुझको फूल देख मुस्काता, मैं भी तो मुस्काती हूँ। खिले खिले फूलों के जैसे, मैं बिल्कुल खिल जाती हूँ।। रन्जोंग़म से दूर बहुत हूँ, अपना और पराया क्या। कवि, प्रचण्ड, जीवन में अपने, बचपन पुनः बुलाया क्या ।। umakant Tiwari, prachand, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

#कविता  मुझको फूल देख मुस्काता,
मैं भी तो मुस्काती हूँ।
खिले खिले फूलों के जैसे,
मैं बिल्कुल खिल जाती हूँ।।
रन्जोंग़म से दूर बहुत हूँ,
अपना और पराया क्या।
कवि, प्रचण्ड, जीवन में अपने,
बचपन पुनः बुलाया क्या ।।
umakant Tiwari, prachand,

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

बचपन ।

14 Love

इधर उड़ी उधर उड़ी, देख रही मैं खड़ी खड़ी। कई रंग में सजी हुई है, जैसें कोई फूलझड़ी।। फुर फुर कर उड़ती मन मानी। नहीं खा रही दाना पानी।। नहीं ए तोता मैना है, नहीं है ए चिड़िया रानी। है बचपन की एक कहानी, यह मेरी तितली रानी।। umakant Tiwari prachanda, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

#कविता  इधर उड़ी उधर उड़ी,
देख रही मैं खड़ी खड़ी।
कई रंग में सजी हुई है,
जैसें कोई फूलझड़ी।।
फुर फुर कर उड़ती मन मानी।
नहीं खा रही दाना पानी।।
नहीं ए तोता मैना है,
नहीं है ए चिड़िया रानी।
है बचपन की एक कहानी,
यह मेरी तितली रानी।।
umakant Tiwari prachanda,

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

बचपन ।

15 Love

तितली तुम कुछ बोलो तो। बागीचे में क्यूँ आती हो, राज है कोई खोलो तो।। सभी सुगन्धित पंखुड़ियों पर , प्यारी पंख हिलाती हो। फूलों से सब ले जाती हो, या उनको कुछ देती हो।। कुछ भी हो लेकिन, मेरे कोमल मन को तुम भाती हो। सुबह-सुबह सब घूमों टहलो,, बच्चों को यह सिखलाती हो ।। कवि प्रचण्ड की आँखोंमें, तितली तुम बड़ी सयानी हो। सभी फूल कहते हैं तुमको बागीचे की रानी हो ।। umakanth Tiwari prachanda, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

#कविता  तितली तुम कुछ बोलो तो।
बागीचे में क्यूँ आती हो,
राज है कोई खोलो तो।।
सभी सुगन्धित पंखुड़ियों पर ,
प्यारी पंख हिलाती हो।
फूलों से सब ले जाती हो,
या उनको कुछ देती हो।।
कुछ भी हो लेकिन,
 मेरे कोमल मन को तुम भाती हो।
सुबह-सुबह सब घूमों टहलो,,
बच्चों को यह सिखलाती हो ।।
कवि प्रचण्ड की आँखोंमें,
तितली तुम बड़ी सयानी हो।
सभी फूल कहते हैं तुमको बागीचे की रानी हो ।।
umakanth Tiwari prachanda,

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

बचपन ।

13 Love

Trending Topic