नयी नयी नूतन कलियों ने।
हृदय तरंगित नव कवियों ने।।
नवोद्भिद नव राग गीतिका।
गाते ओढ़ी है हरीतिका।।
इक अद्भुत रस बरस रही है।
फूल फूल कर महक रही है।
देखो तितली चँहक रही है।।
कवि प्रचण्ड कुछ गीत सुनाओ।
खुद महको सब को महकाओ।।
umakant Tiwari prachand,
©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"
बचपन ।