तितली तुम कुछ बोलो तो। बागीचे में क्यूँ आती हो, रा | हिंदी कविता

"तितली तुम कुछ बोलो तो। बागीचे में क्यूँ आती हो, राज है कोई खोलो तो।। सभी सुगन्धित पंखुड़ियों पर , प्यारी पंख हिलाती हो। फूलों से सब ले जाती हो, या उनको कुछ देती हो।। कुछ भी हो लेकिन, मेरे कोमल मन को तुम भाती हो। सुबह-सुबह सब घूमों टहलो,, बच्चों को यह सिखलाती हो ।। कवि प्रचण्ड की आँखोंमें, तितली तुम बड़ी सयानी हो। सभी फूल कहते हैं तुमको बागीचे की रानी हो ।। umakanth Tiwari prachanda, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड""

 तितली तुम कुछ बोलो तो।
बागीचे में क्यूँ आती हो,
राज है कोई खोलो तो।।
सभी सुगन्धित पंखुड़ियों पर ,
प्यारी पंख हिलाती हो।
फूलों से सब ले जाती हो,
या उनको कुछ देती हो।।
कुछ भी हो लेकिन,
 मेरे कोमल मन को तुम भाती हो।
सुबह-सुबह सब घूमों टहलो,,
बच्चों को यह सिखलाती हो ।।
कवि प्रचण्ड की आँखोंमें,
तितली तुम बड़ी सयानी हो।
सभी फूल कहते हैं तुमको बागीचे की रानी हो ।।
umakanth Tiwari prachanda,

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

तितली तुम कुछ बोलो तो। बागीचे में क्यूँ आती हो, राज है कोई खोलो तो।। सभी सुगन्धित पंखुड़ियों पर , प्यारी पंख हिलाती हो। फूलों से सब ले जाती हो, या उनको कुछ देती हो।। कुछ भी हो लेकिन, मेरे कोमल मन को तुम भाती हो। सुबह-सुबह सब घूमों टहलो,, बच्चों को यह सिखलाती हो ।। कवि प्रचण्ड की आँखोंमें, तितली तुम बड़ी सयानी हो। सभी फूल कहते हैं तुमको बागीचे की रानी हो ।। umakanth Tiwari prachanda, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड"

बचपन ।

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