TeachersDay
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कहने सुनने में तो सारे संस्कारी हो जाते हैं, गुरु जरा सा भी डांटे तो मुहँ भारी हो जाते हैं, नई पीढ़ी की जिम्मेदारी मात-पिता को लेनी है, क्यों दुर्योधन सी हठ पर हम गांधारी हो जाते हैं ? कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki

#Teachersday  कहने सुनने में तो सारे संस्कारी हो जाते हैं,
गुरु जरा सा भी डांटे तो मुहँ भारी हो जाते हैं,
नई पीढ़ी की जिम्मेदारी मात-पिता को लेनी है,
क्यों दुर्योधन सी हठ पर हम गांधारी हो जाते हैं ?

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki

#Teachersday

16 Love

In My Journey of Professionalism I'd came across so many tasks So Many Challenges and Variety of Minds and Thinkings. But in all of these, One Thing is Constant. It's that it doesn't matter how much we served At the end, We are Just Labourers. And we are always bullied by so many indirect things. Now it's a time for change. Lets have a Break from all these Rituals. As era is changing, Time for Evolution has arrived. ©Buddywrites

#Relationships #profession #nojohindi #Journey #Quote  In My Journey of Professionalism 
I'd came across so many tasks
So Many Challenges and 
Variety of Minds and Thinkings.
But in all of these,
One Thing is Constant.
It's that it doesn't matter how much we served 
At the end, We are Just Labourers.
And we are always bullied by so many indirect things.

Now it's a time for change.
Lets have a Break from all these Rituals.
As era is changing,
Time for Evolution has arrived.

©Buddywrites

हम शायरी नहीं! नादानी लिख रहे है, आंसुओं को अपने; पानी लिख रहे है। तुम देखते रह जाओगे; किरदार मेरा, अभी तो; सिर्फ! कहानी लिख रहे है। ©एस पी "हुड्डन"

#सिर्फ_कहानी #शायरी  हम शायरी नहीं! नादानी लिख रहे है,
आंसुओं को अपने; पानी लिख रहे है।
तुम देखते रह जाओगे;  किरदार मेरा,
अभी तो;  सिर्फ! कहानी लिख रहे है।

©एस पी "हुड्डन"

मिलना भी तेरे मन से, बिछड़ना भी तेरे मन से। तहे - दिल में बसाने की, तमन्ना भी तेरे मन से। जहाँ भी, जब भी, जैसे भी, दिखी मौजूदगी मेरी, वहीं से ही मुसलसल वो, गुजरना भी तेरे मन से। तुम्हारे खुद के मन से ही थी मेरे मौन की व्याख्या, यूँ सर-आँखों पे रख कर फिर, उतरना भी तेरे मन से। कलम-कागज तुम्हारा था वो जिस पर नाम लिक्खी थी, मिटाने गर चले हो तो, मिटाना भी तेरे मन से। ऐ जिंदगी! तेरी कहानी क्या लिखे ‘ अर्जुन' तिरा मुझ में उलझना भी, सुलझना भी तेरे मन से। अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' प्रयागराज (पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित) . ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

#Teachersday  मिलना   भी   तेरे  मन  से, बिछड़ना  भी  तेरे   मन से।
तहे - दिल   में  बसाने  की, तमन्ना  भी  तेरे   मन  से।

जहाँ  भी,  जब  भी, जैसे  भी,  दिखी  मौजूदगी  मेरी,
वहीं  से  ही  मुसलसल  वो,  गुजरना  भी  तेरे  मन से।

तुम्हारे  खुद  के  मन से  ही थी  मेरे  मौन की  व्याख्या,
यूँ  सर-आँखों पे  रख कर फिर, उतरना भी  तेरे मन से।

कलम-कागज तुम्हारा था वो जिस पर नाम लिक्खी थी,
मिटाने  गर   चले   हो  तो,  मिटाना   भी  तेरे  मन  से।

ऐ   जिंदगी!    तेरी    कहानी    क्या    लिखे  ‘ अर्जुन'
तिरा   मुझ में  उलझना  भी,  सुलझना  भी तेरे मन से।
अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'
प्रयागराज
(पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित)







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©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

#Teachersday

11 Love

 

©Mohammad Atif

©Mohammad Atif

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#शिक्षक #विचार #गुरु #Teachersday #Teacher   शिक्षा श्रेष्ठताओं और दिव्यताओं का 
जागरण कर अंतस् में अंतर्निहित 
अनन्त ऊर्जा,आनन्द तथा 
सम्पूर्णता को प्रकट करती है। 
भारतवर्ष में अनादि काल से
 गुरु शिष्य परम्परा रही है,
 "शिक्षक दिवस" 
उसी प्राचीन परम्परा की युगानुकूल 
अभिव्यक्ति है। 
हमारे अंधकार से घिरे अन्तःकरण 
को ज्ञान और विवेक के प्रकाश से 
आलोकित करने वाले सच्चे 
पथ प्रदर्शक तथा राष्ट्र निर्माता
 शिक्षकों का सादर अभिनन्दन !

©मनोज कुमार झा "मनु"
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