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कवि एवं मंच संचालक ......
Vivekananda Jayanti लबों की मुस्कुराहट जो मधुर मकरंद हो जाये, प्रतिक्षण ज़िंदगी का फिर यहाँ आनंद हो जाये, तुम अपनी ज़िंदगी ऐसे जिओ मेरे वतन वालों, प्रभावित हो युवा तुमसे विवेकानंद हो जाये। ©Krishan Gopal Solanki
Krishan Gopal Solanki
12 Love
White हुनर मालूम है जिसको ....मेरी हस्ती बताता है, आईना उम्र मेरी आजकल .......ढलती बताता है, वो जिसके वास्ते मैंने जुबाँ पर......ना नहीं रखी, वही शख़्स मेरी हर बात पर ....गलती बताता है। ©Krishan Gopal Solanki
13 Love
White बुराई के रावण को यूँ आग लगाई जायेगी, बहन-बेटियों के हाथों में खड़ग थमाई जायेगी, जिस दिन उन्मुक्त भाव से निडर घूमेगी नारी, सही अर्थों में विजयदशमी तभी मनाई जायेगी। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki
White अपने बूते से बाहर की बात पूछता है इक जुगनू सूरज से औकात पूछता है। ©Krishan Gopal Solanki
कोई लैला कोई राँझा कोई हीर लिखता है, कोई टूटे हुए दिल की यहाँ पर पीर लिखता है, लांघकर मुश्किलें ,मेहनत जो करता है ज़माने में, वही इंसान अपने हाथ से तक़दीर लिखता है। ©Krishan Gopal Solanki
11 Love
फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं, मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं, काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं, जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki
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