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कवि एवं मंच संचालक ......
White अपने बूते से बाहर की बात पूछता है इक जुगनू सूरज से औकात पूछता है। ©Krishan Gopal Solanki
Krishan Gopal Solanki
13 Love
कोई लैला कोई राँझा कोई हीर लिखता है, कोई टूटे हुए दिल की यहाँ पर पीर लिखता है, लांघकर मुश्किलें ,मेहनत जो करता है ज़माने में, वही इंसान अपने हाथ से तक़दीर लिखता है। ©Krishan Gopal Solanki
11 Love
फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं, मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं, काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं, जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki
धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे, कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे, जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था, वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki
इंसानियत के फ़र्ज़ से मुकर जाते हैं, लोग हादसा देखकर चुपचाप गुज़र जाते हैं। ©Krishan Gopal Solanki
12 Love
कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की, नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की, कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं, कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की। निज़ाम - प्रबंध कदाचार -बुरा व्यवहार ©Krishan Gopal Solanki
9 Love
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