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#AWritersStory  hgghjkggff

©Ritik Nehra
#AWritersStory  

मैं जो कह गया, वो जो रह गया,,
.......... खैर आप ना समझोगे..

कुछ तो है जो अक्ल में है, पर बह गया,,
...........खैर आप ना समझोगे..

मैं वाक़िफ़ हुआ हर सह से, बस अपना रह गया,,
........... खैर आप ना समझोगे..

खूब है समझ आपकी, आपने समझा जो, सच तो रह गया,,
............ खैर आप ना समझोगे..

यूँ तो ताल्लुक दिलों का था सबसे, बस दिल का रह गया,,
.............खैर आप ना समझोगे..

सब ख़फ़ा हुए मुझसे, बस मेरा सबसे रह गया,,
.............खैर आप ना समझोगे..

चाहे जरा सी, रूह प्यासी, ओर फ़िर सब अधूरा रह गया,,
............. खैर आप ना समझोगे..

तेरा ख्याल, तेरा गम, तेरा हिज़्र, तेरा ज़िक्र, मुझ में मेरा क्या रह गया,,
.............. खैर आप ना समझोगे..

वो चौँक जाये इसी उम्मीद में बस,रज़ा सफ़ेद सफ़ेद कागज़, काले करता रह गया,,
................ खैर आप ना समझोगे..

इश्क़ तो रूह का सकून है मगर, अब यार यार को बैचेन कर गया,,
............... खैर आप ना समझोगे..

वो जो कभी लफ्ज़ो में आता ही नहीं, रज़ा पागल उसी को इकट्ठा करता रह गया,,
................खैर आप ना समझो

©Sonu Sharma

"हजारो जीत से एक हार ज्यादा मायने रखती है... जब हारते है तब हमे जमिन पर कडे होने का एहसास होता है.. 'और हर बार हारने वाले को जमिन से ज्यादा लगाव होता है... और एक जीत अगर मिल जाए तो कही गुणा खूशियों को जनम दे जाता है... हारना और जितना एक जैसे ही है.. हारना सबक शिकाता है और जीत मेहनत का परचम लेहराता है.. ©ganesh suryavanshi

#शायरी #AWritersStory  "हजारो जीत से एक
हार ज्यादा मायने रखती है...
जब हारते है 
तब हमे जमिन पर
कडे होने का एहसास होता है..
'और हर बार हारने वाले
को जमिन से ज्यादा लगाव
होता है...
और एक जीत अगर मिल जाए
तो कही गुणा खूशियों को जनम
दे जाता है...
हारना और जितना
एक जैसे ही है..
हारना सबक शिकाता है
और जीत मेहनत का परचम
लेहराता है..

©ganesh suryavanshi
#कामुकता  मेहरून सूट में तुम
रूमानी लगती हो
गुलाब के फूलों की
भी रानी लगती हो
तुम चलती हो तो 
हवा ठहर जाती है
तुम रूकती हो तो
हवा चलती है
तुम्हारे बदन की खूशबू से
हवा भी मचल जाती है।‌।

©Mohan Sardarshahari

हवा भी मचल जाती है

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 ਨਾ ਖ਼ੁਦਾ ਮਸੀਤੇ ਲਭਦਾ, ਨਾ ਖ਼ੁਦਾ ਵਿਚ ਕਾਅਬੇ ।
ਨਾ ਖ਼ੁਦਾ ਕੁਰਾਨ ਕਿਤਾਬਾਂ, ਨਾ ਖ਼ੁਦਾ ਨਮਾਜ਼ੇ ।

©GUMNAAM LIKHARI

#baba buleshaa ###

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#international_womens_day #जानकारी #AWritersStory #poem  जब उसे चूड़ियों की खनक में शोर का अंदाजा होता हैं,
जब उसे पैरों की पायल बेड़ियां लगने लग जाती है,
तोड़ने लगती है रूढ़ियां जब उसके अस्तित्व को,
तब निकल जाती है वह रुढियों के जंजाल से,
तब वो निश्चय कर लेती है,
 और उतर जाती है सामाजिक मैदान में
उतार फेंकती हैं शृंगार की परत को अपने चेहरे से,
बिना झिझकते कर लेती है,
 अपने आप को तैयार समाज के लिये,
हाँ तब वो देवी हैं,
हाँ तब वो दुर्गा हैं,
हाँ तब वो काली हैं,
हाँ तब वो नारी है,
हाँ तब वो वंदनीय हैं,
कमज़ोर मत समझना उसे वह नव जीवन रच सकती हैं,
 तो खुद का भी पुनर्जन्म कर सकतीं है!!

©शिवम् पण्डित

अंतर्राष्टीय महिला दिवस #AWritersStory #international_womens_day #Love #Shayari #poem

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