Mohan Sardarshahari

Mohan Sardarshahari

रखता हूं मैं शब्दों की मर्यादा इनकी उम्र है मुझसे ज्यादा।। Date of Birth 18th Jan. Insta mohannathsiddh Joined on July 13 2021

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Unsplash खुशियां झूठ हैं दर्द अटूट समझा जिसने वो गया छूट।। ©Mohan Sardarshahari

#कोट्स  Unsplash खुशियां झूठ हैं 
दर्द अटूट 
समझा जिसने 
वो गया छूट।।

©Mohan Sardarshahari

# झूठ

16 Love

Unsplash चलो बुनते हैं कुछ जज़्बात जुकाम है लगी हुई, होने वाली है रात। दीवार की ओट में थोड़ी सेंक लेते हैं धूप जमा हुआ कफ निकल रहा है सांसों को मिल रही है गर्मागर्म सौगात। कपड़े लपेटने से सर्दी नहीं जाती यह तो बस एक दिखावटी सी बात खाने-पीने से ही अंदर उठती है आग अंदर की आग से ही दबती शीतल रात। अंदर की अग्नि होती जब-२ कमजोर झकझोर देती उम्र करते -२ तहकीकात। साथी उसको‌ ही जानिए जो ऐसे में सर्दी को नकारते हुए संभाले हालात वर्ना यह सर्दी और तारों में डूबीं रात गिना-गिना के तारे बता देती औकात।। ©Mohan Sardarshahari

#शायरी  Unsplash चलो बुनते हैं कुछ जज़्बात 
जुकाम है लगी हुई, होने वाली है रात।
दीवार की ओट में थोड़ी सेंक लेते हैं धूप
जमा हुआ कफ निकल रहा है 
सांसों को मिल रही है गर्मागर्म सौगात।
कपड़े लपेटने से सर्दी नहीं जाती
यह तो बस एक दिखावटी सी बात
खाने-पीने से ही अंदर उठती है आग
अंदर की आग से ही दबती शीतल रात।
अंदर की अग्नि होती जब-२ कमजोर
झकझोर देती उम्र करते -२ तहकीकात।
साथी उसको‌ ही जानिए जो ऐसे में 
सर्दी को नकारते हुए संभाले हालात
वर्ना यह सर्दी और तारों में डूबीं रात
गिना-गिना के तारे बता देती औकात।।

©Mohan Sardarshahari

# जुकाम

10 Love

यह दिल और इसमें चाहत के फूल भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।। ©Mohan Sardarshahari

#शायरी  यह दिल और इसमें चाहत के फूल 
भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल
किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह
जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।।

©Mohan Sardarshahari

चाहत के फूल

12 Love

रिश्ता कुछ ऐसा हो गया उससे मैसेज आये तो लगता है कुछ मिल गया नहीं आये तो लगता है कुछ खो गया इतना सब कुछ हो गया, मैं क्यों समझ समझ ना पाया। ©Mohan Sardarshahari

#शायरी  रिश्ता कुछ ऐसा हो गया उससे 
मैसेज आये तो लगता है कुछ मिल गया
नहीं आये तो लगता है कुछ खो गया
इतना सब कुछ हो गया, 
मैं क्यों समझ समझ ना पाया।

©Mohan Sardarshahari

मैसेज

13 Love

बहुत हुए बीते जमाने में पिछले दो दिनों में शरीक एक दोस्त के घर जाकर लगा जिंदगी बदलती है तारीख । शहर के कोलाहल से दूर एक बड़ा मनोरम सा घर बाग-बगीचे,पेड़, झूले और फ़व्वारे स्वागत को आतुर। अन्दर बड़ा सा विशाल कक्ष जिसकी सुविधाएं अति मोहक इस में बना गुरु का आसन कर देता सबका धार्मिक रुख। ना‌ कोई दिखावा ना अंहकार बाशिंदे करते एक दूजे से प्यार मिलकर उनसे यों लगता जैसे यही है प्राकृतिक सा सदाचार। घर से सब खुश होकर जायें कहते हैं यही है हमारा उपहार साधारण होकर भी कितना खास निकला मेरा यार जमीनी सरदार।। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  बहुत हुए बीते जमाने में 
पिछले दो दिनों में शरीक 
एक दोस्त के घर जाकर लगा
जिंदगी बदलती है तारीख ।
शहर के कोलाहल से दूर 
एक बड़ा मनोरम सा घर
बाग-बगीचे,पेड़, झूले और
फ़व्वारे स्वागत को आतुर।
अन्दर बड़ा सा विशाल कक्ष
जिसकी सुविधाएं अति मोहक
इस में बना गुरु का आसन
कर देता सबका धार्मिक रुख।
ना‌ कोई दिखावा ना अंहकार 
बाशिंदे करते एक दूजे से प्यार
मिलकर उनसे यों लगता जैसे 
यही है प्राकृतिक सा सदाचार।
घर से सब खुश होकर जायें 
कहते हैं यही है हमारा उपहार 
साधारण होकर भी कितना खास
निकला मेरा यार जमीनी सरदार।।

©Mohan Sardarshahari

मेरा यार

18 Love

Unsplash इको पोइंट में पाई 'रेक' की आत्मा खुले में चाय, ब्रेड पकड़े हाथ में गुनगुनी धूप सेवन, गपशप के साथ में ढोल की थाप , ट्रेक्टर का संगीत पानी किनारे लगा ब्रह्मसर पास में पहले सिर्फ ग्लेमर की बात होती थी वहां वह भी था कइयों के साथ में तो कई ढूंढ रहे थे बीता समय बातों में।। ©Mohan Sardarshahari

#शायरी  Unsplash इको पोइंट में पाई 'रेक' की आत्मा
खुले में चाय, ब्रेड पकड़े हाथ में 
गुनगुनी धूप सेवन, गपशप के साथ में 
ढोल की थाप , ट्रेक्टर का संगीत
पानी किनारे लगा ब्रह्मसर पास में 
पहले सिर्फ ग्लेमर की बात होती थी
वहां वह भी था कइयों के साथ में
तो कई ढूंढ रहे थे बीता समय बातों में।।

©Mohan Sardarshahari

# RECK

15 Love

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