✍✍कविता 🙏🙏
एक वृद्ध जीवन
जीवन की ये कैसी पहेली,
वृद्ध जीवन बन न सका, मन की सहेली,,
जीवन की ये.......
डाली पर जैसे पका आम, पल-पल में बिखरते ,मन में प्राण,,
चिंता चिंतन परिवार की करते, करते आशा, भ्रमण की डेली,,
जीवन की ये.......
स्वर्ण निद्रा, उल्लू के नैन, चिंतन में फिर होते बेचैन,,
काम उमर में कर नहीं सकते, होते निराश, कर मन को मैली,,
जीवन की ये........
न धन का मोह, न भिन्नता की आशा,
ते देते प्रेरणा, पर मन की आभा,,
जाते-जाते सिखा जाते, जीवन की एक अद्भुत शैली,,
जीवन की ये..........
©Writer Veeru Avtar
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