धिरे-धिरे ढ़ल गया उम्र, बुढ़ी चमडी़ लटक रही थी..!! | हिंदी शायरी Video

"धिरे-धिरे ढ़ल गया उम्र, बुढ़ी चमडी़ लटक रही थी..!! एक पेड़ गिरा बस साखा रही, एक बांध तोड़ अब नदी बही..! हाय रे सर्पिनि काल की, निज बंधू -सखा सब निगल चली..!! ©Deepak Rana "

धिरे-धिरे ढ़ल गया उम्र, बुढ़ी चमडी़ लटक रही थी..!! एक पेड़ गिरा बस साखा रही, एक बांध तोड़ अब नदी बही..! हाय रे सर्पिनि काल की, निज बंधू -सखा सब निगल चली..!! ©Deepak Rana

हाय रे सर्पिनि काल की।
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