*अवध में राम आए हैं*
बरसों का बनवास काटकर राम पधारे अपने घर
स्वागत गीत बजे गलियों में चमक उठे दीवारो- दर
नकार दिया इस तथ्य को की जन्मे यहाँ प्रभु राम थे
जीवन के आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम महान थे ।।
देर लगी इंसाफ में चाहे अंधेरा ना प्रभु को भाए है
बजाओ ढोल स्वागत में अवध में राम आए हैं ।
सालों का बनवास काटकर जन्मभूमि को लौटे फिर
महलों की महिमा फीकी हो,ऐसा भव्य राम मंदिर ।
प्रभु की कृपा से प्रभु ने पाया खोया हुआ अपना स्थान,
अपनी जन्मभूमि मे होंगे, शान से फिर वो विराजमान।
राम मंदिर के संकल्प मे ज़न जन का है योगदान।
सिद्ध हो गया आज ये देखो, राम से बड़ा राम का नाम
©Anita Agarwal
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