River
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मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish

#कविता  मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, 

जो थम जाऊँ.... 

मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, 

जो साहिल से टकराकर भी, 

अपने सागर से मिल जाऊँ.... 



जिंद़गी

©vish

# नदी की वो धारा

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#ज़िन्दगी #प्रभात  मैं रहता नदी के इस पर 
तू रहती नदी के उस पर
मत आना तू इस पार 
मैं आऊँगा उस पार
बढ़ गया है नदी में पानी अभी बहुत 
मौसम आया है सावन का
बरस रहा है जोरों की बरसात
मत होना तू उदास 
चंदा से कर लेना तू दिल की बात
पानी कम होते ही 
मैं आऊँगा तुमसे मिलने हर बार

©Prabhat Kumar
#कविता #river  नदी पर्वत ने निकल
ढूढ़ती हैं सारे विकल
दूर करें उनकी पिपासा
बिना कोई किये जिज्ञासा।
छोटी छोटी जलधाराओं को समेट
समाहित करें खुद में बिना लाग लपेट।

©Kamlesh Kandpal

#river

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#जीते  रोग ऐसा लगा के लइलाज़ हो गएँ ,
दर्द इतना हुआ के बेअवाज़ हो गएँ।
तू जुदा हो जाएगी एक न एक दिन मुझसे,
ये सोचकर जीते-जी हम फना आज हो गएँ।

©Aarzoo smriti

#जीते जी हम फना आज हो गएँ

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कल तक धूप से एहतराम था आज बारिश से परेशान हें.. मेरे दोस्त इंसानी फ़ितरत भी मौसम की तरह हें.. ❤️❤️ ©ad sanjay kumar prajapati

#ज़िन्दगी #river  कल तक धूप से एहतराम था आज
बारिश से परेशान हें..

मेरे दोस्त इंसानी फ़ितरत भी मौसम
की तरह हें..
❤️❤️

©ad sanjay kumar prajapati

#river

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#अमृत_कथन  हमने निश्चय किया है कि हमारे देश
की सामाजिक रचना समाजवादी 
होहमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए 
जिससे कि हम समाजवाद की
स्थापना कर सकें... 
-सेठ गोविंद दास (1896-1974)

©VED PRAKASH 73
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