White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया
दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया,
चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया।
आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे,
जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे।
चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी,
आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी।
जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को,
भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो।
सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे,
दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे।
असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती,
ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती।
अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई,
ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई।
चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है,
दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है।
©aditi the writer
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