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New अरमां आंसुओं में रह गए Status, Photo, Video

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White रह रह कर घिरता है  उन की यादों का घना कोहरा  किस क़दर  बेचैन करता है कोई  उन के ख्यालों से पूछिए ©हिमांशु Kulshreshtha

 White रह रह कर घिरता है 

उन की यादों का घना कोहरा 

किस क़दर 

बेचैन करता है कोई 

उन के ख्यालों से पूछिए

©हिमांशु Kulshreshtha

रह रह कर

16 Love

पल्लव की डायरी सुबह शाम रहती थी मेरे नाम अरमान सब के मुझसे जुड़े थे फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी जोड़े रहते सबको एक सूत्र में बस परिवारों की मुस्कराहट पर हम फिदा रहते थे व्यस्त हो गये सब अपने मे अब हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #tanha  पल्लव की डायरी
सुबह शाम रहती थी मेरे नाम
अरमान सब के मुझसे जुड़े थे
फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी
जोड़े रहते सबको एक सूत्र में
बस परिवारों की मुस्कराहट पर
हम फिदा रहते थे
 व्यस्त हो गये सब अपने मे अब
हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये

21 Love

कैसे चढ़ पायेगी सफलता की सीढ़ी, जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी, मन की उलझन से बच पाने का साधन, बना आज व्यवसाय है बिकती पंजीरी, पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना, जीवन पथ की राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी, छद्म मान्यताओं ने जकड़े पांव यहां, दौड़ नहीं पायेगा काटे बिन बेड़ी, क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे, नाहक करते फिरते हो तेरी मेरी, मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना, धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी, मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन', रह जाता अवशेष राख बनकर ढ़ेरी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #रह  कैसे  चढ़  पायेगी  सफलता की सीढ़ी,
जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी,

मन की उलझन से बच पाने का साधन,
बना आज व्यवसाय  है बिकती पंजीरी,

पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना,
जीवन  पथ  की  राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी,

छद्म मान्यताओं ने  जकड़े  पांव यहां,
दौड़   नहीं  पायेगा   काटे   बिन बेड़ी,

क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे,
नाहक  करते  फिरते  हो  तेरी   मेरी,

मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना,
धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी,

मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन',
रह जाता  अवशेष  राख  बनकर ढ़ेरी,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#रह जाता अवशेष#

13 Love

#मोटिवेशनल #आंसुओं #कभी #में

#कभी #आंसुओं #में छुपी हुई, उनकी खामोशी की आवाज़

180 View

#वीडियो

तुलसी विवाह के उपलक्ष में महिलाओं ने गए गीत

126 View

#beingoriginal #nojotohindi

सफलता, रह #nojotohindi #beingoriginal

126 View

White रह रह कर घिरता है  उन की यादों का घना कोहरा  किस क़दर  बेचैन करता है कोई  उन के ख्यालों से पूछिए ©हिमांशु Kulshreshtha

 White रह रह कर घिरता है 

उन की यादों का घना कोहरा 

किस क़दर 

बेचैन करता है कोई 

उन के ख्यालों से पूछिए

©हिमांशु Kulshreshtha

रह रह कर

16 Love

पल्लव की डायरी सुबह शाम रहती थी मेरे नाम अरमान सब के मुझसे जुड़े थे फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी जोड़े रहते सबको एक सूत्र में बस परिवारों की मुस्कराहट पर हम फिदा रहते थे व्यस्त हो गये सब अपने मे अब हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #tanha  पल्लव की डायरी
सुबह शाम रहती थी मेरे नाम
अरमान सब के मुझसे जुड़े थे
फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी
जोड़े रहते सबको एक सूत्र में
बस परिवारों की मुस्कराहट पर
हम फिदा रहते थे
 व्यस्त हो गये सब अपने मे अब
हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये

21 Love

कैसे चढ़ पायेगी सफलता की सीढ़ी, जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी, मन की उलझन से बच पाने का साधन, बना आज व्यवसाय है बिकती पंजीरी, पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना, जीवन पथ की राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी, छद्म मान्यताओं ने जकड़े पांव यहां, दौड़ नहीं पायेगा काटे बिन बेड़ी, क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे, नाहक करते फिरते हो तेरी मेरी, मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना, धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी, मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन', रह जाता अवशेष राख बनकर ढ़ेरी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #रह  कैसे  चढ़  पायेगी  सफलता की सीढ़ी,
जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी,

मन की उलझन से बच पाने का साधन,
बना आज व्यवसाय  है बिकती पंजीरी,

पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना,
जीवन  पथ  की  राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी,

छद्म मान्यताओं ने  जकड़े  पांव यहां,
दौड़   नहीं  पायेगा   काटे   बिन बेड़ी,

क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे,
नाहक  करते  फिरते  हो  तेरी   मेरी,

मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना,
धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी,

मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन',
रह जाता  अवशेष  राख  बनकर ढ़ेरी,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#रह जाता अवशेष#

13 Love

#मोटिवेशनल #आंसुओं #कभी #में

#कभी #आंसुओं #में छुपी हुई, उनकी खामोशी की आवाज़

180 View

#वीडियो

तुलसी विवाह के उपलक्ष में महिलाओं ने गए गीत

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#beingoriginal #nojotohindi

सफलता, रह #nojotohindi #beingoriginal

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