White हमारी भावनाएँ दोयम दर्जे की हो गई है..
हमारा प्रेम बनावटी है..
हमारी मान्यताएँ झूठी है..
हमारी मौलिकता वैध है बस कृत्रिम कला के जरिए है...
यह बेहद कठिन हो गया है कि हम प्रेम करें और दुखी न हों...
एक आदमी की क़ीमत, उसकी तात्कालिक पहचान और नज़दीकी संभावना तक सीमित कर दी गई है...
एक वोट तक आदमी एक आँकड़ा बन कर रह गया है,
कभी भी एक आदमी को उसके दिमाग़ से नहीं आंका गया।
©Rishi Ranjan
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here