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#शायरी #gazal

#gazal

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#शायरी #gazal

#gazal

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White मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था फिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला ©Jashvant

#gazal  White मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था
फिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला

ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला

©Jashvant

#gazal

15 Love

#gazal

#gazal

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White मुझ पे तू एक एहसान कर। मेरी फरियाद तू स्वीकार कर। हूं मैं निहायती घमंडी, अल्हड़–सा लड़का— तू खुद को न मुझ पे यूं बर्बाद कर। अपना अध्याय तू आगे भी जारी रख— अपने ख्यालों से तू मुझको अब आजाद कर। मैं सीने से लगा भी सकता हूं बगैर इजाज़त के— खुद को न तू मेरे यूं रूह–ब–रूह कर। इससे पहले कि इरादा बदले तेरा— मुझको अपनी निगाहों से अब तू दूर कर। ©Mohit Singhaniya

#शायरी #SAD  White मुझ पे तू एक एहसान कर।
मेरी फरियाद तू स्वीकार कर।

हूं मैं निहायती घमंडी, अल्हड़–सा लड़का—
तू खुद को न मुझ पे यूं बर्बाद कर।

अपना अध्याय तू आगे भी जारी रख—
अपने ख्यालों से तू मुझको अब आजाद कर।

 मैं सीने से लगा भी सकता हूं बगैर इजाज़त के—
खुद को न तू मेरे यूं रूह–ब–रूह कर।

इससे पहले कि इरादा बदले तेरा—
मुझको अपनी निगाहों से अब तू दूर कर।

©Mohit Singhaniya

#SAD gazal

17 Love

#lovely  White मलाहत जवानी तबस्सुम इशारा
इन्हीं काफ़िरों ने तो शायर को मारा

मोहब्बत भी ज़ालिम अजब बेबसी है
न वो ही हमारे न दिल ही हमारा

मैं तिनकों का दामन पकड़ता नहीं हूँ
मोहब्बत में डूबा तो कैसा सहारा

मुझे सतह-ए-ग़म पर अभी तैरने दो
मैं डूबा तो डूबा तग़ज़्ज़ुल का तारा

जो बिस्मिल बना दे वो क़ातिल तबस्सुम
जो क़ातिल बना दे वो दिलकश नज़ारा

मोहब्बत का भी खेल नाज़ुक है कितना
नज़र मिल गई आप जीते मैं हारा

तुम्हारी उमंगों का क्या पूछना है
बहारें तुम्हारी गुलिस्ताँ तुम्हारा

तुम्हारा 'नुशूर' और तुम्हारा तख़य्युल
मोहब्बत तुम्हारी तो शायर तुम्हारा

©Jashvant

#lovely Gazal

135 View

#शायरी #gazal

#gazal

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#शायरी #gazal

#gazal

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White मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था फिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला ©Jashvant

#gazal  White मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था
फिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला

ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला

©Jashvant

#gazal

15 Love

#gazal

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White मुझ पे तू एक एहसान कर। मेरी फरियाद तू स्वीकार कर। हूं मैं निहायती घमंडी, अल्हड़–सा लड़का— तू खुद को न मुझ पे यूं बर्बाद कर। अपना अध्याय तू आगे भी जारी रख— अपने ख्यालों से तू मुझको अब आजाद कर। मैं सीने से लगा भी सकता हूं बगैर इजाज़त के— खुद को न तू मेरे यूं रूह–ब–रूह कर। इससे पहले कि इरादा बदले तेरा— मुझको अपनी निगाहों से अब तू दूर कर। ©Mohit Singhaniya

#शायरी #SAD  White मुझ पे तू एक एहसान कर।
मेरी फरियाद तू स्वीकार कर।

हूं मैं निहायती घमंडी, अल्हड़–सा लड़का—
तू खुद को न मुझ पे यूं बर्बाद कर।

अपना अध्याय तू आगे भी जारी रख—
अपने ख्यालों से तू मुझको अब आजाद कर।

 मैं सीने से लगा भी सकता हूं बगैर इजाज़त के—
खुद को न तू मेरे यूं रूह–ब–रूह कर।

इससे पहले कि इरादा बदले तेरा—
मुझको अपनी निगाहों से अब तू दूर कर।

©Mohit Singhaniya

#SAD gazal

17 Love

#lovely  White मलाहत जवानी तबस्सुम इशारा
इन्हीं काफ़िरों ने तो शायर को मारा

मोहब्बत भी ज़ालिम अजब बेबसी है
न वो ही हमारे न दिल ही हमारा

मैं तिनकों का दामन पकड़ता नहीं हूँ
मोहब्बत में डूबा तो कैसा सहारा

मुझे सतह-ए-ग़म पर अभी तैरने दो
मैं डूबा तो डूबा तग़ज़्ज़ुल का तारा

जो बिस्मिल बना दे वो क़ातिल तबस्सुम
जो क़ातिल बना दे वो दिलकश नज़ारा

मोहब्बत का भी खेल नाज़ुक है कितना
नज़र मिल गई आप जीते मैं हारा

तुम्हारी उमंगों का क्या पूछना है
बहारें तुम्हारी गुलिस्ताँ तुम्हारा

तुम्हारा 'नुशूर' और तुम्हारा तख़य्युल
मोहब्बत तुम्हारी तो शायर तुम्हारा

©Jashvant

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