SZUBAIR KHAN KHAN

SZUBAIR KHAN KHAN

POET ,POETRY GAZAL, QAWWALI, STORY, NOVEL WRITER,

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221 212 2 221 2122 हम खाक़ से बने हैं खाक़े वतन हमारा बा-दिल-ओ- जां से अफ़ज़ल अर्ज़े ज़मन हमारा अर्ज़ो समा से बर तर है सेह रंगी अपना ना उर्दू ना ही हिंदी रश्क़े चमन हमारा आँसा नहीं यहाँ से जाना यहाँ पे आना मर्ग-ए-अबद बिछा है खाक़े कफ़न हमारा मालूफ़ -ए- वतन जब ये इंक़लाब पर था फिर भी हशम यहीं था बाग़े अदन हमारा अज़मत तु ही है तुझपर मेरा निसार सब कुछ बे - मिस्ल सरफ़राज़ी मुल्क़े वतन हमारा गुल बू "ज़ुबैर" इसकी हर शहर शहर में है कितना हसींन दिलकश फर्श-ए-चमन हमारा लेखक - ज़ुबैर खान......✍️' ©SZUBAIR KHAN KHAN

#वीडियो  221 212 2 221 2122
हम    खाक़    से    बने    हैं  खाक़े   वतन   हमारा
बा-दिल-ओ- जां से अफ़ज़ल अर्ज़े ज़मन हमारा 

अर्ज़ो   समा   से  बर  तर  है   सेह  रंगी  अपना
ना   उर्दू   ना   ही    हिंदी   रश्क़े  चमन हमारा

आँसा   नहीं    यहाँ   से  जाना  यहाँ  पे आना
मर्ग-ए-अबद बिछा  है  खाक़े  कफ़न हमारा

 मालूफ़   -ए-  वतन  जब  ये  इंक़लाब पर था
 फिर  भी  हशम  यहीं  था  बाग़े अदन हमारा

अज़मत  तु  ही है तुझपर मेरा निसार सब कुछ
बे - मिस्ल  सरफ़राज़ी   मुल्क़े  वतन  हमारा

 गुल  बू  "ज़ुबैर"  इसकी  हर  शहर   शहर  में है
 कितना हसींन दिलकश  फर्श-ए-चमन हमारा

लेखक - ज़ुबैर खान......✍️'

©SZUBAIR KHAN KHAN

26 republic day

14 Love

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

13 Love

221 212 2 221 2122 महबूब आँखों में रहना प्यार प्यार बनके नूर -ए- निगार सांसो के तार तार बनके दस्तूर इस ज़माने का ख़ूब - रू मुहब्बत आओं ख्यालों की जन्नत हूर हूर बनके मामूल जिंदगी से हर वक्त इल्तिजा से बाग़-ए-अदन बनाओगे दार दार बनके रस्म-ए-वफ़ा निभाएगें जाने जाना तुमसे दो लफ़्ज़ की कहानी को मीर मीर बनके गुलज़ार कर दिया है ख़ुशबू से आशियाँना फूलो से महक़ाओ अपने नूर नूर बनके मंसूब बन गए हैं जब से "ज़ुबैर " मेरे यादो में रहते में अक्सर गीर गीर बनके लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

 221 212 2 221 2122
 महबूब आँखों  में  रहना  प्यार  प्यार  बनके 
 नूर  -ए- निगार  सांसो  के तार  तार बनके

दस्तूर  इस ज़माने  का ख़ूब - रू  मुहब्बत
 आओं  ख्यालों  की  जन्नत हूर हूर बनके

 मामूल  जिंदगी  से  हर   वक्त इल्तिजा  से
 बाग़-ए-अदन बनाओगे   दार   दार  बनके

 रस्म-ए-वफ़ा  निभाएगें जाने   जाना तुमसे
 दो लफ़्ज़  की  कहानी को मीर  मीर बनके

 गुलज़ार कर दिया है  ख़ुशबू  से आशियाँना
 फूलो  से   महक़ाओ  अपने  नूर  नूर बनके

 मंसूब  बन गए  हैं  जब   से   "ज़ुबैर "  मेरे
 यादो  में  रहते  में  अक्सर  गीर गीर बनके


लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

Aankho Main

13 Love

Unsplash 212 212 212 बेवफा मैं नहीं हूँ सनम खाके कहता तुझें हूँ क़सम प्यार तुमसे बहुत करते हैं याद आएंगे हम हर जनम झूठी मेरी मुहब्बत नहीं चाहेंगे तुमको यूं ही सनम फूलो को कितनी है बैचेनी ये ज़रा कहदो आएंगे हम आँखों मैं मेरे महबूब है जान अब तुम करो मत सितम है ग़रीबी अमीरी नहीं थोड़ा सा करना खुदपे क़रम लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

 Unsplash 


212 212 212
 बेवफा     मैं    नहीं    हूँ   सनम
 खाके   कहता  तुझें  हूँ   क़सम

 प्यार   तुमसे   बहुत   करते हैं
 याद  आएंगे   हम  हर  जनम

 झूठी     मेरी    मुहब्बत   नहीं
 चाहेंगे  तुमको  यूं   ही  सनम

 फूलो   को  कितनी  है  बैचेनी
 ये   ज़रा   कहदो  आएंगे   हम

 आँखों   मैं    मेरे    महबूब   है
 जान अब तुम करो मत सितम

 है    ग़रीबी      अमीरी    नहीं
 थोड़ा सा करना खुदपे  क़रम

लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

Bewafa

13 Love

2122 1212 22/112 अब तो तन्हा रहा नहीं जाता दर्द -ए- दिल सहा नहीं जाता मैं तो तेरे लिए अधूरा हूं आपसे ये कहा नहीं जाता दिल ही जाने है हाल क्या मेरा तुमको देखे रहा नहीं जाता दर्द -ए- ग़म तेरे लिए होगा प्यार से कहा नहीं जाता मेरे तुम हो "ज़ुबैर" तुम मेरे तुमको मेरा बना नहीं जाता लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#SAD  2122 1212 22/112
 अब  तो  तन्हा रहा  नहीं  जाता
 दर्द  -ए- दिल सहा  नहीं जाता

 मैं   तो  तेरे   लिए    अधूरा  हूं
 आपसे   ये  कहा  नहीं  जाता

 दिल ही जाने है हाल क्या मेरा
 तुमको  देखे  रहा  नहीं जाता

 दर्द  -ए-  ग़म  तेरे लिए होगा
 प्यार  से  कहा   नहीं   जाता

 मेरे तुम हो  "ज़ुबैर" तुम मेरे
 तुमको मेरा बना नहीं जाता

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

Tanha

10 Love

2122 1212 22/112 दूल्हा ‌ आया सेहरे मे देखो शादियाने है गूँजते देखो चेहरा सेहरे मैं खिल रहा देखो आज कुछ बात कह रहे देखो खूब दिलकश है प्यारा है कितना फूल चुन चुन के माँगाये देखो झड़ते हे‌ फूल कैसे सेहरे के आती खुशबू बहारो से देखो अरमां दिल के हुये सभी पूरे बांध के सेहरा आ गये देखो धूम देखो "जुबैर" शादी की बज रहे नगमे शादी के देखो लेखक - ज़ुबैर खान..........✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

 2122 1212 22/112
दूल्हा  ‌ आया    सेहरे    मे     देखो 
शादियाने     है        गूँजते    देखो 

चेहरा  सेहरे  मैं   खिल  रहा  देखो 
आज  कुछ  बात  कह   रहे   देखो 

खूब   दिलकश  है  प्यारा है कितना 
फूल  चुन  चुन   के   माँगाये  देखो 
 
झड़ते   हे‌    फूल   कैसे   सेहरे  के 
आती   खुशबू   बहारो   से   देखो

अरमां   दिल  के  हुये  सभी   पूरे 
बांध   के  सेहरा   आ  गये  देखो
 
धूम  देखो    "जुबैर"  शादी    की 
बज   रहे   नगमे  शादी के  देखो

लेखक - ज़ुबैर खान..........✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

Dullha

13 Love

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