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POET ,POETRY GAZAL, QAWWALI, STORY, NOVEL WRITER,
Unsplash 212 212 212 बेवफा मैं नहीं हूँ सनम खाके कहता तुझें हूँ क़सम प्यार तुमसे बहुत करते हैं याद आएंगे हम हर जनम झूठी मेरी मुहब्बत नहीं चाहेंगे तुमको यूं ही सनम फूलो को कितनी है बैचेनी ये ज़रा कहदो आएंगे हम आँखों मैं मेरे महबूब है जान अब तुम करो मत सितम है ग़रीबी अमीरी नहीं थोड़ा सा करना खुदपे क़रम लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN
SZUBAIR KHAN KHAN
13 Love
2122 1212 22/112 अब तो तन्हा रहा नहीं जाता दर्द -ए- दिल सहा नहीं जाता मैं तो तेरे लिए अधूरा हूं आपसे ये कहा नहीं जाता दिल ही जाने है हाल क्या मेरा तुमको देखे रहा नहीं जाता दर्द -ए- ग़म तेरे लिए होगा प्यार से कहा नहीं जाता मेरे तुम हो "ज़ुबैर" तुम मेरे तुमको मेरा बना नहीं जाता लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN
10 Love
2122 1212 22/112 दूल्हा आया सेहरे मे देखो शादियाने है गूँजते देखो चेहरा सेहरे मैं खिल रहा देखो आज कुछ बात कह रहे देखो खूब दिलकश है प्यारा है कितना फूल चुन चुन के माँगाये देखो झड़ते हे फूल कैसे सेहरे के आती खुशबू बहारो से देखो अरमां दिल के हुये सभी पूरे बांध के सेहरा आ गये देखो धूम देखो "जुबैर" शादी की बज रहे नगमे शादी के देखो लेखक - ज़ुबैर खान..........✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN
White Happy Teachers Days ©SZUBAIR KHAN KHAN
9 Love
White Tum koun Ho ©SZUBAIR KHAN KHAN
White 2122 1212 22/112 तू नज़र से जुदा ही रहता है आशिक़ो की कहां ही सुनता है जुल्फ़े लहराके बलखाके अपनी तू जवानी पे अपनी मरता है रोज़ आके तु ख्वाबो मैं मेरी नींद भी चैन भी चुराता है लफ्ज़ दो की कहानी सुन ने को चाहता दिल है कबसे मेरा है तू बतादे "जु़बैर" को मिलकर इश्क़ का जां कसूर एसा है लेखक - ज़ुबैर खांन...........✍🏻 ©SZUBAIR KHAN KHAN
16 Love
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