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बेवफा मैं नहीं हूँ सनम
खाके कहता तुझें हूँ क़सम
प्यार तुमसे बहुत करते हैं
याद आएंगे हम हर जनम
झूठी मेरी मुहब्बत नहीं
चाहेंगे तुमको यूं ही सनम
फूलो को कितनी है बैचेनी
ये ज़रा कहदो आएंगे हम
आँखों मैं मेरे महबूब है
जान अब तुम करो मत सितम
है ग़रीबी अमीरी नहीं
थोड़ा सा करना खुदपे क़रम
लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️
©SZUBAIR KHAN KHAN
Bewafa