जीने की चाहत में मौत मुझे गले लगा गई,बचपन बीता खेल में गुड़िया मेरी टूट गई,आई जवानी तो दुनिया मुझ से रूठ गई,सारे मेरे अपने मुझे छल गए,जिन को अपना समझा वोही मेरी सारी ख्वाहिशों का कत्ल कर गए,धीरे धीरे आया बुढ़ापा मेरे ही मुझे तन्हा कर गए,कोई खुश नहीं हुआ मुझसे सबको खुश करते करते खुद जीना भूल गई,मौत जब पास आई सारे मेरे अपने मेरे पास आए,बोले क्या चाहिए तुझको मेने हस के कहा,दूर देश कोई बुला रहा जाना उस देश,मेरा कोई नहीं यह मेरी मृत्यु बाकी शेष,मृत्यु मुझे गले लगा रहीं मरना मेरा तेय,सांस रुकी मेरी मर गया देह कंधे पर ले जा रहे मुझे,राम नाम सत्य केह,कियू रो रहा यूं मुझे देख जल जल मर गया शरीर अब बाकी रहा ना कुछ शेष,कया जल गई मेरी मास रहा ना चाम रेह गई राख मेरी शेष,रेह गई राख मेरी शेष,
©꧁ঔৣHeenaঔৣ꧂
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