Savita Suman

Savita Suman

  • Latest
  • Popular
  • Video

BeHappy #सितम ढाने लगे हैं  अब तो आंसू भी आंखों से कतराने लगे हैं  ग़म इस तरह हम अपना छुपाने लगे हैं  कोई देता है ज़ख्म हर रोज इस तरह हमें  ज़ख्म भी अब हमको पसंद आने लगे हैं  नहीं मुझको अब  ग़म दूर निकल जाने का पास आकर हीं भला क्या पाने लगे हैं  दौर शिकायतों का ख़त्म होता नहीं कभी  बात दिल पर ना लगा खुद को हीं समझाने लगे हैं  कहां छोड़ आए हैं वो खुशियों का गुलदस्ता  ये सोचकर अब बिखर जाने लगे हैं  वो जो मिलते थे कभी बनकर अज़ीज़  बता कर मसरूफियत निकल जाने लगे हैं  बची कितनी सांसें नहीं मालूम मुझे  मगर सांसों पे अपने तरस खाने लगे हैं  दूर कहीं से पूकार लेगा मुझे वो संगदिल  ये सोचकर थोड़ा मुस्कुराने लगे हैं  कदम उस और हीं बढ़ा लूं 'सुमन' हमपे साया हमारा सितम ढाने लगे हैं  @सविता 'सुमन' सहरसा बिहार ©Savita Suman

#सितमढानेलगेहैं #कविता #सितम  BeHappy #सितम ढाने लगे हैं 

अब तो आंसू भी आंखों से कतराने लगे हैं 

ग़म इस तरह हम अपना छुपाने लगे हैं 

कोई देता है ज़ख्म हर रोज इस तरह हमें 

ज़ख्म भी अब हमको पसंद आने लगे हैं 

नहीं मुझको अब  ग़म दूर निकल जाने का

पास आकर हीं भला क्या पाने लगे हैं 

दौर शिकायतों का ख़त्म होता नहीं कभी 

बात दिल पर ना लगा खुद को हीं समझाने लगे हैं 

कहां छोड़ आए हैं वो खुशियों का गुलदस्ता 

ये सोचकर अब बिखर जाने लगे हैं 

वो जो मिलते थे कभी बनकर अज़ीज़ 

बता कर मसरूफियत निकल जाने लगे हैं 

बची कितनी सांसें नहीं मालूम मुझे 

मगर सांसों पे अपने तरस खाने लगे हैं 

दूर कहीं से पूकार लेगा मुझे वो संगदिल 

ये सोचकर थोड़ा मुस्कुराने लगे हैं 

कदम उस और हीं बढ़ा लूं 'सुमन'

हमपे साया हमारा सितम ढाने लगे हैं 

@सविता 'सुमन'

सहरसा बिहार

©Savita Suman

White #हरसिंगार  शरद रात की आगोश में  फिर हरसिंगार मुस्कुराया है  झिलमिल करती इनकी कलियां  सुगंध कितना फैलाया है  ओस की बूंदों में लिपटी  जैसे कोई अल्हड़ बाला अंगारे सी इसकी डंठल  जैसे प्रीत की ज्वाला  बिखर जाती धरा पर ऐसे  जैसे बिखरी हो ज्योति  राह तकते प्रियतम की आंसुओ की मोती  अंजूरी में भर कर किसी के  देवालय के प्रांगण तक जाएगी  गूंथ माला में कलियों के संग देवी के गले में खिलखिलाएगी  भाग्य बड़ा है इसका भी  पावन‌ ऋतु में आती है  चढ़ कर मां के चरणों में  भाग्य पर इतराती है  महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार  औषधि की है भंडार  तभी तो सभी करते इतना प्यार ©Savita Suman

#हरसिंगार  #हरसिंगार #कविता #love_shayari  White #हरसिंगार 

शरद रात की आगोश में 

फिर हरसिंगार मुस्कुराया है 

झिलमिल करती इनकी कलियां 

सुगंध कितना फैलाया है 

ओस की बूंदों में लिपटी 

जैसे कोई अल्हड़ बाला

अंगारे सी इसकी डंठल 

जैसे प्रीत की ज्वाला 

बिखर जाती धरा पर ऐसे 

जैसे बिखरी हो ज्योति 

राह तकते प्रियतम की

आंसुओ की मोती 

अंजूरी में भर कर किसी के 

देवालय के प्रांगण तक जाएगी 

गूंथ माला में कलियों के संग

देवी के गले में खिलखिलाएगी 

भाग्य बड़ा है इसका भी 

पावन‌ ऋतु में आती है 

चढ़ कर मां के चरणों में 

भाग्य पर इतराती है 

महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार 

औषधि की है भंडार 

तभी तो सभी करते इतना प्यार

©Savita Suman

#बेटियां हथेली पर चांद रखने की तमन्ना रखती हैं हैं बेटियां तो घर हमारी जन्नत सी दिखती है खुशियों की वंदनवार है लगी हर जगह हंसी इनकी ऋचाओं सी हर जगह गुंजती है @सविता 'सुमन' ©Savita Suman

#बेटियां #कविता  #बेटियां 
हथेली पर चांद रखने की तमन्ना रखती हैं 
हैं बेटियां तो घर  हमारी जन्नत सी दिखती है 
खुशियों की वंदनवार है लगी हर जगह 
हंसी इनकी ऋचाओं सी हर जगह गुंजती है 
@सविता 'सुमन'

©Savita Suman
#कविता #Sad_Status #समय  White #समय 
जाने कितने रंग दिखलाता 
पलट कभी जो ना आता 
है कौन अपना पराया यहां 
समय सबकी पहचान कराता

©Savita Suman
#चीर_हरण #कविता  कितनों के चीर हरण करोगे तुम 
कितनों को टुकड़ों में काटोगे 
कितनों की लाज उतारोगे तुम 
कितनों को अब झुलसाओगे 
पर सुनलो ऐ नरभक्षी पुरूषों 
जब नारी अपने पे आएगी 
नर मुंडों के लहु से सनी होगी ये धरती 
शव फिर ना तुम गिन पाओगे 
है जिसे समझते तुम कोमल
वह भी आदिशक्ति की हीं रुप है 
घर में तुम्हारे बैठी मां बेटी 
दुर्गा की हीं स्वरूप है 
है जीवन तुमको गर प्यारी 
अपनी ग़लती स्वीकार करो
ठेकेदारों ऐ नारी तन के
बहुत हुआ अब बस भी करो 
कितना तुम मोल लगाओगे तन का
क्या शर्म तुम्हें जरा भी आती नहीं 
रहे सुरक्षित कन्या धरा पर
है तुम्हें क्या ये भाती नहीं

©Savita Suman
 #कविता
गम की परतें  जब जमने लगी 

फिर आंसुओं की नदियां बही

और उन आंसुओं से नहा कर

निकली मेरी एक दर्द भरी कविता

@सविता 'सुमन'

©Savita Suman

#FindingOneself #कविता

144 View

Trending Topic