White देखिए इस लौ को दीपक,,
तुम्हारे सीने रूठकर गगन
को अपना रहीं हैं
यह अदा इस ज़हां रस्म रही
बाद हर एक क़दम के मंज़िल
की राह और हसीं हैं
दामन में रोशनी की फ़िर भी
तुम्हारे ज़हां में अंधेरा है
इन हालात के चलते
इसकी वफ़ा गगन से
क्या कहती है
तुमसे लिपटूं तो कोई तुमसे लिपटा न देखे
इतना रोशन कर दूं कोई फ़िर अंधेरा न देखे
©Shree Shayar
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