काल की कलम से

काल की कलम से Lives in Delhi, Delhi, India

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#boat  सरकार और विपक्ष के बीच पिस रही जनता की आवाज कोन उठा रहा है,,,,,,,,,,
मीडिया सरकार की आवाज बनी हुई है सरकार अपनी कुर्सी बचाने में सत्ता में बनें रहने में और विपक्ष को खत्म करने में लगी हुई है,,
विपक्ष सरकार द्वारा उन्हें बनाए जा रहे फंदों से बचाव में लगी हुई है,,, 
जनता मूक दर्शक बनी इनकी कॉमेडी पर तालियां बजा रही है,,,, 
महंगाई, शिक्षा और चिकित्सा पर बात ही नही हो पा रही है,,,, क्या गजब देश चल रहा है,,,

©काल की कलम से

#boat

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#Politics #Quotes  राजनीति में नेता बातों बातों में जनता के लिए वहां पुल बना जाते है जहां नदी ही नही होती,,

©काल की कलम से

#Politics

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#Quotes  जज की कुर्सी से 2 मीटर दूर बैठा उसका पेशकार 200, 500 लेता है सबको पता है, और आजतक हिंदुस्तान का कोई जज उसे नही देख पाया,,,
भ्रष्टाचार वही से शुरू होता है जहां से उसे खत्म करने की बात होती है,

©काल की कलम से

जज की कुर्सी से 2 मीटर दूर बैठा उसका पेशकार 200, 500 लेता है सबको पता है, और आजतक हिंदुस्तान का कोई जज उसे नही देख पाया,,, भ्रष्टाचार वही से शुरू होता है जहां से उसे खत्म करने की बात होती है, ©काल की कलम से

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 शशि के समान तेरा रूप रंग,
तुझे देख इन्द्र रह गए दंग,
चंचल नयन मीनू समान ,
घायल करे है जनू प्रेम बाण,
मृग के समान तेरी चाल ढाल,
बजे मधुर मधुर पायल सी तान
कभी डाल डाल कभी पात पात
जिसे देख मेरी थम जाए सांस,,

©काल की कलम से

शशि के समान तेरा रूप रंग, तुझे देख इन्द्र रह गए दंग, चंचल नयन मीनू समान , घायल करे है जनू प्रेम बाण, मृग के समान तेरी चाल ढाल, बजे मधुर मधुर पायल सी तान कभी डाल डाल कभी पात पात जिसे देख मेरी थम जाए सांस,, ©काल की कलम से

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 उछलती मचलती बलखाती 
चली मंदाकिनी बनकर
गुनगुनाती पायल छनकाती 
चली रागिनी बनकर
कभी सर्दी कभी गर्मी 
कभी बरसात सी बनकर
चली आती हो चमकते 
चंद्रमा की चांदनी बनकर

©काल की कलम से

उछलती मचलती बलखाती चली मंदाकिनी बनकर गुनगुनाती पायल छनकाती चली रागिनी बनकर कभी सर्दी कभी गर्मी कभी बरसात सी बनकर चली आती हो चमकते चंद्रमा की चांदनी बनकर ©काल की कलम से

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#Quotes  जिस तरह शरीर को स्वास्थ्य रखने के लिए अच्छा भोजन देना चाहिए, पेड़ पौधों को जिंदा रखने के लिए अच्छा खाद और पानी देना चाहिए, ठीक उसी तरह रिश्तों को जिंदा रखने लिए जीते जी अपनों को समय देना चाहिए नहीं तो अच्छे रिश्ते भी मुरझा कर मर जाते हैं,,,

©काल की कलम से

जिस तरह शरीर को स्वास्थ्य रखने के लिए अच्छा भोजन देना चाहिए, पेड़ पौधों को जिंदा रखने के लिए अच्छा खाद और पानी देना चाहिए, ठीक उसी तरह रिश्तों को जिंदा रखने लिए जीते जी अपनों को समय देना चाहिए नहीं तो अच्छे रिश्ते भी मुरझा कर मर जाते हैं,,, ©काल की कलम से

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