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श्री,,
यार अब तुम न इंतज़ार करो,,
पास आओ हमारे प्यार करो/
दावत ए इश्क़ भी ब ख़ूब रही,,
हुस्न से फ़ासले हज़ार करो//2
आप तो इश्क़ हैं न की पत्थर,,
चाह में हुस्न की पुकार करो//3
मांगे तो भीख होगी बिन मांगे,,
चाहिए इश्क़ तुम निसार करो//4
हुस्न की हर अदा रही शामिल,,
ऐ मेरे सूफ़ी ग़ज़ल ए चार करो//5
आज़ कांसा ज़िगर से लग जाए,,
फ़िर तो सूफ़ी न इंतज़ार करो//6
देखिए तोहमत ए इश्क़ ए श्री,,
चाह ए इश्क़ में लो प्यार करो //7
श्रीधर श्री
उज्जैन मध्यप्रदेश
©Shree Shayar
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