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White #कवि जो हूं  कभी जज़्बात लिखती हूं कभी हाला | हिंदी कविता

"White #कवि जो हूं  कभी जज़्बात लिखती हूं कभी हालात  कभी लिखती हूं अंधेरे में छुपी हर बात  कभी  शब्दों से समाज की बुराई पर प्रहार  तो कभी टूटते बिखरते रिश्तों की हार कभी लिखती हूं चांद तारों की जगमगाहट  कभी लिखती हूं घनी अंधेरी रात  कभी पंछियों की चहचहाहट में सुकून  तो कभी लिखती हूं सरिता और जलप्रपात  कभी लिखती हूं पवॆतों सी खामोशी  कभी अंदर तक भेदती चीखती आवाज  कभी लिखती हूं भक्ति में डूबे हुए गीत  कभी लिखती हूं जग की अलबेली रीत सबकुछ तो लिखती हूं इन पन्नों पे  पर नहीं लिख पाती कभी अपने हीं  मन के अन्दर कैद हुई कई बात कवि जो हूं शब्दों को पिरोती हूं  पर आखिरी मोती सी अकेली रह जाती हूं  @सविता 'सुमन' ©Savita Suman"

 White #कवि जो हूं 

कभी जज़्बात लिखती हूं कभी हालात 

कभी लिखती हूं अंधेरे में छुपी हर बात 

कभी  शब्दों से समाज की बुराई पर प्रहार 

तो कभी टूटते बिखरते रिश्तों की हार

कभी लिखती हूं चांद तारों की जगमगाहट 

कभी लिखती हूं घनी अंधेरी रात 

कभी पंछियों की चहचहाहट में सुकून 

तो कभी लिखती हूं सरिता और जलप्रपात 

कभी लिखती हूं पवॆतों सी खामोशी 

कभी अंदर तक भेदती चीखती आवाज 

कभी लिखती हूं भक्ति में डूबे हुए गीत 

कभी लिखती हूं जग की अलबेली रीत

सबकुछ तो लिखती हूं इन पन्नों पे 

पर नहीं लिख पाती कभी अपने हीं 

मन के अन्दर कैद हुई कई बात

कवि जो हूं शब्दों को पिरोती हूं 

पर आखिरी मोती सी अकेली रह जाती हूं 

@सविता 'सुमन'

©Savita Suman

White #कवि जो हूं  कभी जज़्बात लिखती हूं कभी हालात  कभी लिखती हूं अंधेरे में छुपी हर बात  कभी  शब्दों से समाज की बुराई पर प्रहार  तो कभी टूटते बिखरते रिश्तों की हार कभी लिखती हूं चांद तारों की जगमगाहट  कभी लिखती हूं घनी अंधेरी रात  कभी पंछियों की चहचहाहट में सुकून  तो कभी लिखती हूं सरिता और जलप्रपात  कभी लिखती हूं पवॆतों सी खामोशी  कभी अंदर तक भेदती चीखती आवाज  कभी लिखती हूं भक्ति में डूबे हुए गीत  कभी लिखती हूं जग की अलबेली रीत सबकुछ तो लिखती हूं इन पन्नों पे  पर नहीं लिख पाती कभी अपने हीं  मन के अन्दर कैद हुई कई बात कवि जो हूं शब्दों को पिरोती हूं  पर आखिरी मोती सी अकेली रह जाती हूं  @सविता 'सुमन' ©Savita Suman

#Sad_Status #कवि_जो_हूं

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