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White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora

 White वे भी क्या दिन थे 
ज़ब मै ठहाके मार कर 
हँसा करता था
 
बिना शिकायत के 
जिंदगी बसर करता था
 
छोटे छोटे खबाब देख 
कर जिंदगी के दिन 
काट लिया करता था
 
रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया 
और बचपन पीछे छुटता गया 
 और मै जवान होता गया

©Parasram Arora

भी क्या दिन थे

18 Love

#विचार  Unsplash दो दिन की जिंदगी है हंस कर जी लीजिए, कोई भरोसा नहीं ये जिंदगी कब किस मोड़ पर विराम दे जाए।

©Singer Harshit Rajasthani

दो दिन की जिंदगी

117 View

आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दिन  आज, कल, परसों पे  टलता जा रहा,
साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा,

तैरने   वाले   गये   उस  पार   कबके,
कुछ  किनारे   हाथ  मलता   जा रहा,

भूलने   वाले   भुला    बैठे   अदावत,
टीसने   वाले   को   खलता   जा रहा,

जम   गई   है    बर्फ़   सी   संवेदनाएं,
वेदना   से    ग़म   पिघलता   जा रहा,

कोई   बच  पाया  नहीं  इस  काल से,
समय  की  चक्की में  दलता  जा रहा,

संभलकर  ही   कर्म  करना  जगत में,
भाग्य  बनकर  बीज  फलता  जा रहा,

ज्ञान दीपक  से मिटे  अंधियार 'गुंजन',
हृदय  में  सुख-शांति  पलता  जा रहा,
  ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
           प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#दिन निकलता जा रहा#

10 Love

White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है एक दिन बैठते है दिनों बाद साथ में हम और फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है। ©seema patidar

 White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है
हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है

एक दिन बैठते है दिनों बाद  साथ में हम और
फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है।

©seema patidar

एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है

13 Love

White हम अपनी बात कहें और तुम अपनी बात कहो रात को हम कह देंगे दिन,तुम गर दिन को रात कहो ©Ghumnam Gautam

#शायरी #good_night #बात #दिन  White 
हम अपनी बात कहें और तुम अपनी बात कहो
रात को हम कह देंगे दिन,तुम गर दिन को रात कहो

©Ghumnam Gautam

बस इतने में हांफ रहे हो, डर से थर-थर कांप रहे हो, मारे जाओगे एक दिन सब, आस्तीन के सांप रहे हो, रंग बदलने में तुम माहिर, गिरगिट के भी बाप रहे हो, सिर्फ़ सियासत धर्म-कर्म है, फूंक दिया घर ताप रहे हो, पोल खुली तो बिल में दुबके, तुम कब रस्ता नाप रहे हो, पढ़े-लिखे भी बैल बुद्धि ही, लगते झोलाछाप रहे हो, भूंक रहे अपनी गलियों से, कभी तो लल्लन टाप रहे हो, 'गुंजन' घड़ा फूटना तय था, अबतक भरते पाप रहे हो, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #बस  बस इतने में  हांफ  रहे हो,
डर से थर-थर कांप रहे हो,

मारे जाओगे एक दिन सब,
आस्तीन  के  सांप  रहे हो,

रंग बदलने में  तुम  माहिर,
गिरगिट के भी बाप रहे हो,

सिर्फ़ सियासत धर्म-कर्म है,
फूंक दिया घर  ताप रहे हो,

पोल खुली तो बिल में दुबके,
तुम कब रस्ता  नाप रहे हो,

पढ़े-लिखे भी बैल बुद्धि ही,
लगते   झोलाछाप   रहे हो,

भूंक रहे  अपनी  गलियों से,
कभी तो लल्लन टाप रहे हो,

'गुंजन' घड़ा फूटना तय था,
अबतक  भरते  पाप रहे हो,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#बस इतने में#

14 Love

White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora

 White वे भी क्या दिन थे 
ज़ब मै ठहाके मार कर 
हँसा करता था
 
बिना शिकायत के 
जिंदगी बसर करता था
 
छोटे छोटे खबाब देख 
कर जिंदगी के दिन 
काट लिया करता था
 
रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया 
और बचपन पीछे छुटता गया 
 और मै जवान होता गया

©Parasram Arora

भी क्या दिन थे

18 Love

#विचार  Unsplash दो दिन की जिंदगी है हंस कर जी लीजिए, कोई भरोसा नहीं ये जिंदगी कब किस मोड़ पर विराम दे जाए।

©Singer Harshit Rajasthani

दो दिन की जिंदगी

117 View

आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दिन  आज, कल, परसों पे  टलता जा रहा,
साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा,

तैरने   वाले   गये   उस  पार   कबके,
कुछ  किनारे   हाथ  मलता   जा रहा,

भूलने   वाले   भुला    बैठे   अदावत,
टीसने   वाले   को   खलता   जा रहा,

जम   गई   है    बर्फ़   सी   संवेदनाएं,
वेदना   से    ग़म   पिघलता   जा रहा,

कोई   बच  पाया  नहीं  इस  काल से,
समय  की  चक्की में  दलता  जा रहा,

संभलकर  ही   कर्म  करना  जगत में,
भाग्य  बनकर  बीज  फलता  जा रहा,

ज्ञान दीपक  से मिटे  अंधियार 'गुंजन',
हृदय  में  सुख-शांति  पलता  जा रहा,
  ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
           प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#दिन निकलता जा रहा#

10 Love

White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है एक दिन बैठते है दिनों बाद साथ में हम और फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है। ©seema patidar

 White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है
हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है

एक दिन बैठते है दिनों बाद  साथ में हम और
फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है।

©seema patidar

एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है

13 Love

White हम अपनी बात कहें और तुम अपनी बात कहो रात को हम कह देंगे दिन,तुम गर दिन को रात कहो ©Ghumnam Gautam

#शायरी #good_night #बात #दिन  White 
हम अपनी बात कहें और तुम अपनी बात कहो
रात को हम कह देंगे दिन,तुम गर दिन को रात कहो

©Ghumnam Gautam

बस इतने में हांफ रहे हो, डर से थर-थर कांप रहे हो, मारे जाओगे एक दिन सब, आस्तीन के सांप रहे हो, रंग बदलने में तुम माहिर, गिरगिट के भी बाप रहे हो, सिर्फ़ सियासत धर्म-कर्म है, फूंक दिया घर ताप रहे हो, पोल खुली तो बिल में दुबके, तुम कब रस्ता नाप रहे हो, पढ़े-लिखे भी बैल बुद्धि ही, लगते झोलाछाप रहे हो, भूंक रहे अपनी गलियों से, कभी तो लल्लन टाप रहे हो, 'गुंजन' घड़ा फूटना तय था, अबतक भरते पाप रहे हो, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #बस  बस इतने में  हांफ  रहे हो,
डर से थर-थर कांप रहे हो,

मारे जाओगे एक दिन सब,
आस्तीन  के  सांप  रहे हो,

रंग बदलने में  तुम  माहिर,
गिरगिट के भी बाप रहे हो,

सिर्फ़ सियासत धर्म-कर्म है,
फूंक दिया घर  ताप रहे हो,

पोल खुली तो बिल में दुबके,
तुम कब रस्ता  नाप रहे हो,

पढ़े-लिखे भी बैल बुद्धि ही,
लगते   झोलाछाप   रहे हो,

भूंक रहे  अपनी  गलियों से,
कभी तो लल्लन टाप रहे हो,

'गुंजन' घड़ा फूटना तय था,
अबतक  भरते  पाप रहे हो,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#बस इतने में#

14 Love

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