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प्रभु हमें ज्ञान दीजियेगा

126 View

बचने की कोशिश करते हैं, सेवा से कितना डरते हैं, हरियाली रहती ना क़ायम, खिले फूल निश्चित झरते हैं, आसमान में उड़ने वाले, पांव जमीं पर ही धरते हैं, एक समय ठुकराए आकर, जीवन भर जिस पे मरते हैं, पछ्तावा रह जाता केवल, आंखों में आसूं भरते हैं, बुरे वक़्त में लाचारी वश, हालातों से ख़ुद लड़ते हैं, 'गुंजन' राम भरोसे जीवन, प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्रभु  बचने की कोशिश करते हैं,
सेवा  से  कितना  डरते  हैं,

हरियाली रहती ना क़ायम,
खिले फूल निश्चित झरते हैं,

आसमान  में  उड़ने  वाले,
पांव  जमीं पर ही धरते हैं,

एक समय ठुकराए आकर,
जीवन भर जिस पे मरते हैं,

पछ्तावा रह जाता केवल,
आंखों  में  आसूं  भरते  हैं,

बुरे वक़्त में  लाचारी वश,
हालातों से  ख़ुद  लड़ते हैं,

'गुंजन' राम भरोसे जीवन,
प्रभु पीड़ा  सबकी हरते हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं#

14 Love

White उगता हुआ सूरज उम्मीद है एक नए जीवन की शुरूआत की बस हौसला बुलंद हो हर उस शख्स का जिसे नाउम्मीदी के सूर्यास्त ने घेरा है हर बीतता लम्हा उसे हरि का आसरा हो।। ©Shi.....ya

#उम्मीद #ईश्वर #प्रभु #good_night #Quotes  White उगता हुआ सूरज उम्मीद है एक नए जीवन की शुरूआत की बस हौसला बुलंद हो हर उस शख्स का जिसे नाउम्मीदी के सूर्यास्त ने घेरा है
हर बीतता लम्हा उसे हरि का आसरा हो।।

©Shi.....ya

White पल्लव की डायरी दिन के भी उजाले, कम है तरक्की के लिये नींद और चैन अपने गवाते गवाते रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है जरूरतों जो कभी कम ना हुयी जीवन रोज खपाते खपाते दौड़ और होड़ की लगी है बाजी मौत के आगोश में जाते जाते प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #good_night  White पल्लव की डायरी
दिन के भी उजाले, कम है
 तरक्की के लिये
नींद और चैन अपने गवाते गवाते
रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है
जरूरतों जो कभी कम ना हुयी
जीवन रोज खपाते खपाते
दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
मौत के आगोश में जाते जाते
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी

17 Love

White काफी कठिनाइयों के बाद फिर नई शुरुआत हुई संघर्ष नहीं कहुंगी ये सफर था मंजिल तक जाने के लिए ठोकर लगी तो उठ चले घर नहीं देवालय मालुम हुआ कुछ नहीं है जन्हाय में एक उसके अलावा शुभ दिन की शुभ बेला में एक नए शुरूआत हुई। जय श्री शनिदेव ©Radhe Radhe

#Bhakti  White काफी कठिनाइयों के बाद 
फिर नई शुरुआत हुई
संघर्ष नहीं कहुंगी 
ये सफर था मंजिल तक जाने 
के लिए 
ठोकर लगी तो उठ चले 
घर नहीं देवालय 
मालुम हुआ कुछ नहीं है जन्हाय में 
एक उसके अलावा
शुभ दिन की शुभ बेला में 
एक नए शुरूआत हुई। 
जय श्री शनिदेव

©Radhe Radhe

प्रभु का ध्यान

12 Love

White लड़खड़ाते कदमों से , दुनिया की रफ़्तार, के पीछे भाग रही थी । अकेली हूं यह सोचकर , ज़माने से डर रही थी । पर दुनिया की तेज़ी में , दुनिया बनाने वाले को भूल गई थी। हैरानी की बात है , वह मुझे नहीं भूला था । जहां-जहां मेरे लड़खड़ाते कदम पड़े उसने रास्ता बना दिया। मुश्किलें मेरी मोम की तरह पिघल गईं । दुनिया नहीं दुनिया बनाने वाला बड़ा है अब मैं यह समझ गई। ©Neema Pawal

#कविता  White लड़खड़ाते कदमों से ,
दुनिया की रफ़्तार, 
 के पीछे भाग रही थी ।
अकेली हूं यह सोचकर ,
ज़माने से डर रही थी ।
पर दुनिया की तेज़ी में ,
दुनिया बनाने वाले को भूल गई थी। 
 हैरानी की बात है ,
वह मुझे नहीं भूला था ।
जहां-जहां मेरे लड़खड़ाते कदम पड़े
उसने रास्ता बना दिया।
मुश्किलें मेरी मोम की तरह पिघल गईं ।
दुनिया नहीं 
दुनिया बनाने वाला बड़ा है 
अब मैं यह समझ गई।

©Neema Pawal

प्रभु की कृपा।

14 Love

प्रभु हमें ज्ञान दीजियेगा

126 View

बचने की कोशिश करते हैं, सेवा से कितना डरते हैं, हरियाली रहती ना क़ायम, खिले फूल निश्चित झरते हैं, आसमान में उड़ने वाले, पांव जमीं पर ही धरते हैं, एक समय ठुकराए आकर, जीवन भर जिस पे मरते हैं, पछ्तावा रह जाता केवल, आंखों में आसूं भरते हैं, बुरे वक़्त में लाचारी वश, हालातों से ख़ुद लड़ते हैं, 'गुंजन' राम भरोसे जीवन, प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्रभु  बचने की कोशिश करते हैं,
सेवा  से  कितना  डरते  हैं,

हरियाली रहती ना क़ायम,
खिले फूल निश्चित झरते हैं,

आसमान  में  उड़ने  वाले,
पांव  जमीं पर ही धरते हैं,

एक समय ठुकराए आकर,
जीवन भर जिस पे मरते हैं,

पछ्तावा रह जाता केवल,
आंखों  में  आसूं  भरते  हैं,

बुरे वक़्त में  लाचारी वश,
हालातों से  ख़ुद  लड़ते हैं,

'गुंजन' राम भरोसे जीवन,
प्रभु पीड़ा  सबकी हरते हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं#

14 Love

White उगता हुआ सूरज उम्मीद है एक नए जीवन की शुरूआत की बस हौसला बुलंद हो हर उस शख्स का जिसे नाउम्मीदी के सूर्यास्त ने घेरा है हर बीतता लम्हा उसे हरि का आसरा हो।। ©Shi.....ya

#उम्मीद #ईश्वर #प्रभु #good_night #Quotes  White उगता हुआ सूरज उम्मीद है एक नए जीवन की शुरूआत की बस हौसला बुलंद हो हर उस शख्स का जिसे नाउम्मीदी के सूर्यास्त ने घेरा है
हर बीतता लम्हा उसे हरि का आसरा हो।।

©Shi.....ya

White पल्लव की डायरी दिन के भी उजाले, कम है तरक्की के लिये नींद और चैन अपने गवाते गवाते रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है जरूरतों जो कभी कम ना हुयी जीवन रोज खपाते खपाते दौड़ और होड़ की लगी है बाजी मौत के आगोश में जाते जाते प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #good_night  White पल्लव की डायरी
दिन के भी उजाले, कम है
 तरक्की के लिये
नींद और चैन अपने गवाते गवाते
रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है
जरूरतों जो कभी कम ना हुयी
जीवन रोज खपाते खपाते
दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
मौत के आगोश में जाते जाते
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी

17 Love

White काफी कठिनाइयों के बाद फिर नई शुरुआत हुई संघर्ष नहीं कहुंगी ये सफर था मंजिल तक जाने के लिए ठोकर लगी तो उठ चले घर नहीं देवालय मालुम हुआ कुछ नहीं है जन्हाय में एक उसके अलावा शुभ दिन की शुभ बेला में एक नए शुरूआत हुई। जय श्री शनिदेव ©Radhe Radhe

#Bhakti  White काफी कठिनाइयों के बाद 
फिर नई शुरुआत हुई
संघर्ष नहीं कहुंगी 
ये सफर था मंजिल तक जाने 
के लिए 
ठोकर लगी तो उठ चले 
घर नहीं देवालय 
मालुम हुआ कुछ नहीं है जन्हाय में 
एक उसके अलावा
शुभ दिन की शुभ बेला में 
एक नए शुरूआत हुई। 
जय श्री शनिदेव

©Radhe Radhe

प्रभु का ध्यान

12 Love

White लड़खड़ाते कदमों से , दुनिया की रफ़्तार, के पीछे भाग रही थी । अकेली हूं यह सोचकर , ज़माने से डर रही थी । पर दुनिया की तेज़ी में , दुनिया बनाने वाले को भूल गई थी। हैरानी की बात है , वह मुझे नहीं भूला था । जहां-जहां मेरे लड़खड़ाते कदम पड़े उसने रास्ता बना दिया। मुश्किलें मेरी मोम की तरह पिघल गईं । दुनिया नहीं दुनिया बनाने वाला बड़ा है अब मैं यह समझ गई। ©Neema Pawal

#कविता  White लड़खड़ाते कदमों से ,
दुनिया की रफ़्तार, 
 के पीछे भाग रही थी ।
अकेली हूं यह सोचकर ,
ज़माने से डर रही थी ।
पर दुनिया की तेज़ी में ,
दुनिया बनाने वाले को भूल गई थी। 
 हैरानी की बात है ,
वह मुझे नहीं भूला था ।
जहां-जहां मेरे लड़खड़ाते कदम पड़े
उसने रास्ता बना दिया।
मुश्किलें मेरी मोम की तरह पिघल गईं ।
दुनिया नहीं 
दुनिया बनाने वाला बड़ा है 
अब मैं यह समझ गई।

©Neema Pawal

प्रभु की कृपा।

14 Love

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