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New rishte naate quotes Status, Photo, Video

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White रिश्तों में या फ़िर हम इंसानों के दरमियाॅं इख़्तिलाफ़ात इसलिए नहीं होते कि हम सोच अलग-अलग रखते हैं, बल्कि ज़्यादातर इख़्तिलाफ़ात इसलिए होते हैं क्यूॅंकि हम इक-दूसरे की सही सोच का भी एहतराम नहीं करते। किसी की सोच ही अगर ग़लत हो तो बात और है लेकिन सिर्फ़ किसी और इंसान की सोच हमारी सोच से मेल नहीं खाती बस इसलिए हम अक्सर उसकी सोच को रद कर देते हैं। इख़्तिलाफ़ात फ़िर इसी वजह से होते हैं कि हम उस इंसान को उसकी सोच के साथ क़ुबूल ही नहीं कर पाते। इंसान नेक और अच्छा है अगर तो उसकी सोच भी वैसी ही होती है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि आप की और उसकी सोच हर बार एक जैसी ही हो, आप की सोच सही है तो हो सकता है कि उसकी सोच भी सही ही हो। हमें ये समझना चाहिए कि हर एक का किसी भी बात को देखने का नज़रिया अलग होता है और हर इंसान अपने नज़रिए के हिसाब से ही सोचता है। किसी बात को लेकर आप जो सोचते हैं उसी बात पर कोई और कुछ अलग भी तो सोच सकता है। इसलिए रिश्तों की ख़ूबसूरती बना कर रखनी है अगर तो ... " दूसरों को और उनकी सोच को समझने की कोशिश किया कीजिए। और दूसरे भी आप को समझ सके, ऐसा मौक़ा दूसरों को भी दिया कीजिए।" ©Sh@kila Niy@z

#understanding #basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #NAZARIYA  White रिश्तों में या फ़िर हम इंसानों के दरमियाॅं 
इख़्तिलाफ़ात इसलिए नहीं होते कि हम सोच अलग-अलग रखते हैं,
बल्कि ज़्यादातर इख़्तिलाफ़ात इसलिए होते हैं क्यूॅंकि हम 
इक-दूसरे की सही सोच का भी एहतराम नहीं करते।
किसी की सोच ही अगर ग़लत हो तो बात और है लेकिन 
सिर्फ़ किसी और इंसान की सोच हमारी सोच से मेल नहीं खाती 
बस इसलिए हम अक्सर उसकी सोच को रद कर देते हैं।
इख़्तिलाफ़ात फ़िर इसी वजह से होते हैं कि हम उस इंसान को 
उसकी सोच के साथ क़ुबूल ही नहीं कर पाते।
इंसान नेक और अच्छा है अगर तो उसकी सोच भी वैसी ही होती है,
लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि आप की और उसकी सोच 
हर बार एक जैसी ही हो, आप की सोच सही है तो 
हो सकता है कि उसकी सोच भी सही ही हो।
हमें ये समझना चाहिए कि हर एक का किसी भी बात को 
देखने का नज़रिया अलग होता है और हर इंसान 
अपने नज़रिए के हिसाब से ही सोचता है।
किसी बात को लेकर आप जो सोचते हैं उसी बात पर 
कोई और कुछ अलग भी तो सोच सकता है।
इसलिए रिश्तों की ख़ूबसूरती बना कर रखनी है अगर तो ...
" दूसरों को और उनकी सोच को समझने की कोशिश किया कीजिए।
और दूसरे भी आप को समझ सके, ऐसा मौक़ा दूसरों को भी दिया कीजिए।"

©Sh@kila Niy@z

आप दिल से किसी की मदद करना चाहते हैं, किसी को emotionally support करना, किसी का हौसला बढ़ाना चाहते हैं या फ़िर नेक दिल से किसी की फ़िक्र करते हैं अगर तो बेशक कीजिए, यही तो इक अच्छा इंसान होने की निशानियाॅं हैं। लेकिन उस से पहले अपने लिए एक healthy boundry set कीजिए, अपनी priorities सेट कीजिए । अब आप सोचेंगे कि, किसी की help करने के लिए इन हदों की क्या ज़रूरत है?? लेकिन किसी की, किसी भी तरह की मदद करने के लिए भी ये हदें ज़रूरी होती हैं ताकि आप को ख़ुद को ये एहसास रहे कि किस की,किस हद तक मदद करनी चाहिए और किस हद पर जा कर रुक जाना चाहिए। किसी को हौसला देने के लिए, emotional support देने के लिए या फ़िर किसी और तरह की मदद करने के लिए भी अगर आप सही-गलत, अच्छाई-बुराई का फ़र्क़ ही भूल जायेंगे, और नैतिकता की हदों को तोड़ कर अगर आप लोगों की मदद करने की कोशिश करेंगे, तो बेशक आप ग़लत ही करेंगे, ख़ुद के साथ भी और शायद उस सामनेवाले इंसान के साथ भी, जिस की आप मदद कर रहे हैं। फ़िर भले ही आप की नीयत और इरादे कितने ही नेक क्यूॅं न हो , क्यूंकि आप की नेक नियत,आप के नेक इरादें सिर्फ़ आप के सिवा किसी और को नज़र ही नहीं आते, उस इंसान को भी नहीं जिसकी आप help कर रहे हैं। उस इंसान को अगर कुछ नज़र और समझ आता है तो सिर्फ़ आप का उसके साथ किया जा रहा बरताव, रवैया, और आप की बातें, और यही सब काफ़ी होता है किसी के दिल में ग़लत-फ़हमियाॅं पैदा करने के लिए। और उन ग़लत-फ़हमियों का अंजाम अच्छा-बुरा, कुछ भी हो सकता है। फ़िर वो इंसान आप से और ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगता है फ़िर जब आप उसकी ग़लत-फहमियाॅं दूर कर देते हैं उसकी उम्मीदें पूरी नहीं कर पाते फ़िर वही इंसान आप को ग़लत या फ़िर बुरा भी साबित कर देता हैं। इसलिए अपने सही दायरों में रह कर दूसरों की मदद कीजिए और खुद को हमेशा ये एहसास दिलाते रहिए कि , किस हद तक किस की मदद करनी चाहिए और कहा पर जा कर रुक जाना चाहिए। आप लोगों के बरताव को control नहीं कर सकते लेकिन आप को, ख़ुद को और ख़ुद के जज़्बात को control करना आना ही चाहिए । और सब से ज़रूरी बात ये है कि .... " आप अपनी हदों में रह कर भी एक अच्छे इंसान बन कर रह सकते हैं, ख़ुद को अच्छा इंसान साबित करने के लिए किसी भी सही दायरे को तोड़ना ज़रूरी नहीं" #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#healthy_boundries #basekkhayaal #nojotohindi #Self_help #basyunhi  आप दिल से किसी की मदद करना चाहते हैं, किसी को emotionally 
support करना, किसी का हौसला बढ़ाना चाहते हैं या फ़िर नेक दिल से 
किसी की फ़िक्र करते हैं अगर तो बेशक कीजिए, यही तो इक अच्छा इंसान 
होने की निशानियाॅं हैं।  लेकिन उस से पहले अपने लिए एक healthy boundry 
set कीजिए, अपनी priorities सेट कीजिए । 
अब आप सोचेंगे कि, किसी की help करने के लिए इन हदों की क्या ज़रूरत है?? 
लेकिन किसी की, किसी भी तरह की मदद करने के लिए भी ये हदें ज़रूरी होती हैं 
ताकि आप को ख़ुद को ये एहसास रहे कि किस की,किस हद तक 
मदद करनी चाहिए और किस हद पर जा कर रुक जाना चाहिए।
किसी को हौसला देने के लिए, emotional support देने के लिए या फ़िर किसी और 
तरह की मदद करने के लिए भी अगर आप सही-गलत, अच्छाई-बुराई का फ़र्क़ ही 
भूल जायेंगे, और नैतिकता की हदों को तोड़ कर अगर आप लोगों की मदद करने की 
कोशिश करेंगे, तो बेशक आप ग़लत ही करेंगे, ख़ुद के साथ भी और शायद उस 
सामनेवाले इंसान के साथ भी, जिस की आप मदद कर रहे हैं।
फ़िर भले ही आप की नीयत और इरादे कितने ही नेक क्यूॅं न हो , 
क्यूंकि आप की नेक नियत,आप के नेक इरादें  सिर्फ़ आप के सिवा किसी और को 
नज़र ही नहीं आते, उस इंसान को भी नहीं जिसकी आप help कर रहे हैं।
उस इंसान को अगर कुछ नज़र और समझ आता है तो सिर्फ़ आप का उसके साथ 
किया जा रहा बरताव, रवैया, और आप की बातें, 
और यही सब काफ़ी होता है किसी के दिल में ग़लत-फ़हमियाॅं पैदा करने के लिए।
और उन ग़लत-फ़हमियों का अंजाम अच्छा-बुरा, कुछ भी हो सकता है।
फ़िर वो इंसान आप से और ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगता है फ़िर जब आप उसकी 
ग़लत-फहमियाॅं दूर कर देते हैं उसकी उम्मीदें पूरी नहीं कर पाते फ़िर वही इंसान 
आप को ग़लत या फ़िर बुरा भी साबित कर देता हैं।
इसलिए अपने सही दायरों में रह कर दूसरों की मदद कीजिए और खुद को 
हमेशा ये एहसास दिलाते रहिए कि , किस हद तक किस की मदद करनी चाहिए 
और कहा पर जा कर रुक जाना चाहिए।  आप लोगों के बरताव को control 
नहीं कर सकते लेकिन आप को, ख़ुद को और ख़ुद के जज़्बात को 
control करना आना ही चाहिए ।  और सब से ज़रूरी बात ये है कि .... 
" आप अपनी हदों में रह कर भी एक अच्छे इंसान बन कर रह सकते हैं,
ख़ुद को अच्छा इंसान साबित करने के लिए किसी भी सही दायरे को तोड़ना ज़रूरी नहीं"

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

White वो शौक़ से निभाए दोस्तियाॅं अपनी, मुझे उसके किसी से भी, किसी भी तरह के रिश्ते पर ना पहले ऐतराज़ था और आज भी नहीं क्यूॅंकि इस बात का हमेशा एहसास रहता है मुझे कि, कोई ऐतराज़ करने का मेरा कोई हक़ बनता ही नहीं लेकिन क्या अपने ही रिश्ते पर भी मुझे कोई हक़ नहीं?? और उसके हिसाब से शायद सिर्फ़ दोस्ती को ही राब्तों की ज़रूरत होती है, मोहब्बत को तो राब्तों की कोई ज़रूरत ही नहीं । मोहब्बत को अपने हाल पर छोड़ भी दिया जाए अगर, मोहब्बत की बार-बार तौहीन भी की जाए अगर, तब भी मोहब्बत कहीं भाग थोड़ी जाएगी?? उसके हिसाब से तो वो हमेशा दिल में बरक़रार रहेगी और दिल में जगह बाक़ी न हो अगर तो उसके बंद दरवाज़ों के बाहर कहीं पड़ी रहेगी लेकिन ख़ामोश और बेजान । लेकिन फ़िर भी, मोहब्बत और दोस्ती के रिश्ते में उसकी नज़र में यही इंसाफ़ है अगर तो अब यही सही, मैं भी अब कोई उम्मीद करूॅंगी ही नहीं। और ऐतराज़ मुझे दूसरी बातों पर था उसके दूसरों से रिश्तों पर तो था ही नहीं। जैसी उसे लगती हैं वैसी तो कोई ग़लत-फ़हमी मुझे थी नहीं लेकिन मेरी ग़लत-फ़हमी को ले कर उसे ज़रूर ग़लत-फ़हमी थी। और उसे ये ज़रूर सोचना चाहिए कि उसे कोई ग़लत-फ़हमी ही क्यूँ हुई?? और अपनी इसी ग़लत-फ़हमी की वजह से, जो दोस्ती वो सर उठा कर निभा सकता था वो उसने मुझ से छुप कर निभाई। और उसे ऐसा लग रहा था अगर की मुझे हो गई है कोई ग़लत-फ़हमी, तो वक़्त रहते उसे दूर कर देना चाहिए, ये बात उसे समझ क्यूॅं नहीं आईं?? कुछ बातें उसे ख़ुद से समझ आनी चाहिए थी, वो समझ आ जाती अगर तो सच में इतनी उलझने रिश्ते में होती ही नहीं । मेरे ऐतराज़ किन बातों पर थे ये उसे कभी समझ आया ही नहीं और अब शायद मेरे ऐतराज़ भी ख़त्म हो जाऍंगे क्यूॅं कि अब मुझे समझ आ गया है कि, कोई शिकायत,कोई ऐतराज़ करने का भी मेरे पास कोई हक़ नहीं। " बस एक ही ग़लती बार-बार हो जाती है मुझ से कि... एहसास-ए-मोहब्बत में ज़हन से ये हक़ीक़त निकल जाती है कभी-कभी कि... मुझ से ही जुड़े इस बेनाम रिश्ते में मेरे लिए ही कोई हक़ नहीं। न सवाल,न शिकायत,न ऐतराज़ करने का और दिल की बातें कहने का भी नहीं। " #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  White वो शौक़ से निभाए दोस्तियाॅं अपनी, मुझे उसके किसी से भी,
किसी भी तरह के रिश्ते पर ना पहले ऐतराज़ था और आज भी नहीं 
क्यूॅंकि इस बात का हमेशा एहसास रहता है मुझे कि, कोई ऐतराज़ करने का 
मेरा कोई हक़ बनता ही नहीं लेकिन क्या अपने ही रिश्ते पर भी मुझे कोई हक़ नहीं??
और उसके हिसाब से शायद सिर्फ़ दोस्ती को ही राब्तों की ज़रूरत होती है,
मोहब्बत को तो राब्तों की कोई ज़रूरत ही नहीं ।
मोहब्बत को अपने हाल पर छोड़ भी दिया जाए अगर, मोहब्बत की बार-बार 
तौहीन भी की जाए अगर, तब भी मोहब्बत कहीं भाग थोड़ी जाएगी??
उसके हिसाब से तो वो हमेशा दिल में बरक़रार रहेगी और दिल में जगह बाक़ी 
न हो अगर तो उसके बंद दरवाज़ों के बाहर कहीं पड़ी रहेगी लेकिन ख़ामोश और बेजान ।
लेकिन फ़िर भी, मोहब्बत और दोस्ती के रिश्ते में उसकी नज़र में यही इंसाफ़ है अगर 
तो अब यही सही, मैं भी अब कोई उम्मीद करूॅंगी ही नहीं।
और ऐतराज़ मुझे दूसरी बातों पर था उसके दूसरों से रिश्तों पर तो था ही नहीं।
जैसी उसे लगती हैं वैसी तो कोई ग़लत-फ़हमी मुझे थी नहीं लेकिन मेरी ग़लत-फ़हमी को 
ले कर उसे ज़रूर ग़लत-फ़हमी थी। और उसे ये ज़रूर सोचना चाहिए कि 
उसे कोई ग़लत-फ़हमी ही क्यूँ हुई??  और अपनी इसी ग़लत-फ़हमी की वजह से,
जो दोस्ती वो सर उठा कर निभा सकता था वो उसने मुझ से छुप कर निभाई।
और उसे ऐसा लग रहा था अगर की मुझे हो गई है कोई ग़लत-फ़हमी, तो वक़्त रहते उसे 
दूर कर देना चाहिए, ये बात उसे समझ क्यूॅं नहीं आईं??
कुछ बातें उसे ख़ुद से समझ आनी चाहिए थी, वो समझ आ जाती अगर 
तो सच में इतनी उलझने रिश्ते में होती ही नहीं ।
मेरे ऐतराज़ किन बातों पर थे ये उसे कभी समझ आया ही नहीं और अब शायद 
मेरे ऐतराज़ भी ख़त्म हो जाऍंगे क्यूॅं कि अब मुझे समझ आ गया है कि, 
कोई शिकायत,कोई ऐतराज़ करने का भी मेरे पास कोई हक़ नहीं।

" बस एक ही ग़लती बार-बार हो जाती है मुझ से कि...
एहसास-ए-मोहब्बत में ज़हन से ये हक़ीक़त निकल जाती है कभी-कभी कि...
मुझ से ही जुड़े इस बेनाम रिश्ते में मेरे लिए ही कोई हक़ नहीं।
न सवाल,न शिकायत,न ऐतराज़ करने का और दिल की बातें कहने का भी नहीं। "

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #basyunhi #rishte #haq #...................... #nojotohindi #Quotes #2Dec

26 Love

White ये ज़रूरी नहीं कि ज़िंदगी में मौजूद हर रिश्ते को कोई नाम दिया जाए, लेकिन ये ज़रूर ज़रूरी हैं कि रिश्ता दिल से जुड़ा हुआ है अगर तो इक-दूसरे को कम से कम इक दोस्त की तरह तो हक़ दिया जाए #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Zindagi  White ये ज़रूरी नहीं कि ज़िंदगी में मौजूद हर रिश्ते को 
कोई नाम दिया जाए, लेकिन 
ये ज़रूर ज़रूरी हैं कि रिश्ता दिल से जुड़ा हुआ है अगर 
तो इक-दूसरे को कम से कम इक दोस्त की तरह तो हक़ दिया जाए

#bas yunhi .......

©Sh@kila Niy@z

White मैंने देखें हैं अपनी ज़िंदगी में कई टूटते-बिखरते रिश्ते, कभी बस इक बोझ की तरह तो कभी बस मजबूरी के नाम पर निभाए जा रहे रिश्ते , किसी का साथ होते हुए भी कभी मंज़िल को तरसते, तो कभी सुकून की तलाश में भटकते रिश्ते । और शायद इसीलिए, ज़िंदगी में रिश्तों की और रिश्तों में सच्चाई, ख़ुलूस, क़दर, इज़्ज़त और मोहब्बत की क्या और कितनी अहमियत होती है इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ मैं। ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Zindagi  White मैंने देखें हैं अपनी ज़िंदगी में कई टूटते-बिखरते रिश्ते,
कभी बस इक बोझ की तरह तो कभी 
बस मजबूरी के नाम पर निभाए जा रहे रिश्ते ,
किसी का साथ होते हुए भी कभी मंज़िल को तरसते,
तो कभी सुकून की तलाश में भटकते रिश्ते ।
और शायद इसीलिए, ज़िंदगी में रिश्तों की 
और रिश्तों में सच्चाई, ख़ुलूस, क़दर, इज़्ज़त 
और मोहब्बत की क्या और कितनी अहमियत होती है 
इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ मैं।

©Sh@kila Niy@z

©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #baatein  ©Sh@kila Niy@z

White रिश्तों में या फ़िर हम इंसानों के दरमियाॅं इख़्तिलाफ़ात इसलिए नहीं होते कि हम सोच अलग-अलग रखते हैं, बल्कि ज़्यादातर इख़्तिलाफ़ात इसलिए होते हैं क्यूॅंकि हम इक-दूसरे की सही सोच का भी एहतराम नहीं करते। किसी की सोच ही अगर ग़लत हो तो बात और है लेकिन सिर्फ़ किसी और इंसान की सोच हमारी सोच से मेल नहीं खाती बस इसलिए हम अक्सर उसकी सोच को रद कर देते हैं। इख़्तिलाफ़ात फ़िर इसी वजह से होते हैं कि हम उस इंसान को उसकी सोच के साथ क़ुबूल ही नहीं कर पाते। इंसान नेक और अच्छा है अगर तो उसकी सोच भी वैसी ही होती है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि आप की और उसकी सोच हर बार एक जैसी ही हो, आप की सोच सही है तो हो सकता है कि उसकी सोच भी सही ही हो। हमें ये समझना चाहिए कि हर एक का किसी भी बात को देखने का नज़रिया अलग होता है और हर इंसान अपने नज़रिए के हिसाब से ही सोचता है। किसी बात को लेकर आप जो सोचते हैं उसी बात पर कोई और कुछ अलग भी तो सोच सकता है। इसलिए रिश्तों की ख़ूबसूरती बना कर रखनी है अगर तो ... " दूसरों को और उनकी सोच को समझने की कोशिश किया कीजिए। और दूसरे भी आप को समझ सके, ऐसा मौक़ा दूसरों को भी दिया कीजिए।" ©Sh@kila Niy@z

#understanding #basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #NAZARIYA  White रिश्तों में या फ़िर हम इंसानों के दरमियाॅं 
इख़्तिलाफ़ात इसलिए नहीं होते कि हम सोच अलग-अलग रखते हैं,
बल्कि ज़्यादातर इख़्तिलाफ़ात इसलिए होते हैं क्यूॅंकि हम 
इक-दूसरे की सही सोच का भी एहतराम नहीं करते।
किसी की सोच ही अगर ग़लत हो तो बात और है लेकिन 
सिर्फ़ किसी और इंसान की सोच हमारी सोच से मेल नहीं खाती 
बस इसलिए हम अक्सर उसकी सोच को रद कर देते हैं।
इख़्तिलाफ़ात फ़िर इसी वजह से होते हैं कि हम उस इंसान को 
उसकी सोच के साथ क़ुबूल ही नहीं कर पाते।
इंसान नेक और अच्छा है अगर तो उसकी सोच भी वैसी ही होती है,
लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि आप की और उसकी सोच 
हर बार एक जैसी ही हो, आप की सोच सही है तो 
हो सकता है कि उसकी सोच भी सही ही हो।
हमें ये समझना चाहिए कि हर एक का किसी भी बात को 
देखने का नज़रिया अलग होता है और हर इंसान 
अपने नज़रिए के हिसाब से ही सोचता है।
किसी बात को लेकर आप जो सोचते हैं उसी बात पर 
कोई और कुछ अलग भी तो सोच सकता है।
इसलिए रिश्तों की ख़ूबसूरती बना कर रखनी है अगर तो ...
" दूसरों को और उनकी सोच को समझने की कोशिश किया कीजिए।
और दूसरे भी आप को समझ सके, ऐसा मौक़ा दूसरों को भी दिया कीजिए।"

©Sh@kila Niy@z

आप दिल से किसी की मदद करना चाहते हैं, किसी को emotionally support करना, किसी का हौसला बढ़ाना चाहते हैं या फ़िर नेक दिल से किसी की फ़िक्र करते हैं अगर तो बेशक कीजिए, यही तो इक अच्छा इंसान होने की निशानियाॅं हैं। लेकिन उस से पहले अपने लिए एक healthy boundry set कीजिए, अपनी priorities सेट कीजिए । अब आप सोचेंगे कि, किसी की help करने के लिए इन हदों की क्या ज़रूरत है?? लेकिन किसी की, किसी भी तरह की मदद करने के लिए भी ये हदें ज़रूरी होती हैं ताकि आप को ख़ुद को ये एहसास रहे कि किस की,किस हद तक मदद करनी चाहिए और किस हद पर जा कर रुक जाना चाहिए। किसी को हौसला देने के लिए, emotional support देने के लिए या फ़िर किसी और तरह की मदद करने के लिए भी अगर आप सही-गलत, अच्छाई-बुराई का फ़र्क़ ही भूल जायेंगे, और नैतिकता की हदों को तोड़ कर अगर आप लोगों की मदद करने की कोशिश करेंगे, तो बेशक आप ग़लत ही करेंगे, ख़ुद के साथ भी और शायद उस सामनेवाले इंसान के साथ भी, जिस की आप मदद कर रहे हैं। फ़िर भले ही आप की नीयत और इरादे कितने ही नेक क्यूॅं न हो , क्यूंकि आप की नेक नियत,आप के नेक इरादें सिर्फ़ आप के सिवा किसी और को नज़र ही नहीं आते, उस इंसान को भी नहीं जिसकी आप help कर रहे हैं। उस इंसान को अगर कुछ नज़र और समझ आता है तो सिर्फ़ आप का उसके साथ किया जा रहा बरताव, रवैया, और आप की बातें, और यही सब काफ़ी होता है किसी के दिल में ग़लत-फ़हमियाॅं पैदा करने के लिए। और उन ग़लत-फ़हमियों का अंजाम अच्छा-बुरा, कुछ भी हो सकता है। फ़िर वो इंसान आप से और ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगता है फ़िर जब आप उसकी ग़लत-फहमियाॅं दूर कर देते हैं उसकी उम्मीदें पूरी नहीं कर पाते फ़िर वही इंसान आप को ग़लत या फ़िर बुरा भी साबित कर देता हैं। इसलिए अपने सही दायरों में रह कर दूसरों की मदद कीजिए और खुद को हमेशा ये एहसास दिलाते रहिए कि , किस हद तक किस की मदद करनी चाहिए और कहा पर जा कर रुक जाना चाहिए। आप लोगों के बरताव को control नहीं कर सकते लेकिन आप को, ख़ुद को और ख़ुद के जज़्बात को control करना आना ही चाहिए । और सब से ज़रूरी बात ये है कि .... " आप अपनी हदों में रह कर भी एक अच्छे इंसान बन कर रह सकते हैं, ख़ुद को अच्छा इंसान साबित करने के लिए किसी भी सही दायरे को तोड़ना ज़रूरी नहीं" #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#healthy_boundries #basekkhayaal #nojotohindi #Self_help #basyunhi  आप दिल से किसी की मदद करना चाहते हैं, किसी को emotionally 
support करना, किसी का हौसला बढ़ाना चाहते हैं या फ़िर नेक दिल से 
किसी की फ़िक्र करते हैं अगर तो बेशक कीजिए, यही तो इक अच्छा इंसान 
होने की निशानियाॅं हैं।  लेकिन उस से पहले अपने लिए एक healthy boundry 
set कीजिए, अपनी priorities सेट कीजिए । 
अब आप सोचेंगे कि, किसी की help करने के लिए इन हदों की क्या ज़रूरत है?? 
लेकिन किसी की, किसी भी तरह की मदद करने के लिए भी ये हदें ज़रूरी होती हैं 
ताकि आप को ख़ुद को ये एहसास रहे कि किस की,किस हद तक 
मदद करनी चाहिए और किस हद पर जा कर रुक जाना चाहिए।
किसी को हौसला देने के लिए, emotional support देने के लिए या फ़िर किसी और 
तरह की मदद करने के लिए भी अगर आप सही-गलत, अच्छाई-बुराई का फ़र्क़ ही 
भूल जायेंगे, और नैतिकता की हदों को तोड़ कर अगर आप लोगों की मदद करने की 
कोशिश करेंगे, तो बेशक आप ग़लत ही करेंगे, ख़ुद के साथ भी और शायद उस 
सामनेवाले इंसान के साथ भी, जिस की आप मदद कर रहे हैं।
फ़िर भले ही आप की नीयत और इरादे कितने ही नेक क्यूॅं न हो , 
क्यूंकि आप की नेक नियत,आप के नेक इरादें  सिर्फ़ आप के सिवा किसी और को 
नज़र ही नहीं आते, उस इंसान को भी नहीं जिसकी आप help कर रहे हैं।
उस इंसान को अगर कुछ नज़र और समझ आता है तो सिर्फ़ आप का उसके साथ 
किया जा रहा बरताव, रवैया, और आप की बातें, 
और यही सब काफ़ी होता है किसी के दिल में ग़लत-फ़हमियाॅं पैदा करने के लिए।
और उन ग़लत-फ़हमियों का अंजाम अच्छा-बुरा, कुछ भी हो सकता है।
फ़िर वो इंसान आप से और ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगता है फ़िर जब आप उसकी 
ग़लत-फहमियाॅं दूर कर देते हैं उसकी उम्मीदें पूरी नहीं कर पाते फ़िर वही इंसान 
आप को ग़लत या फ़िर बुरा भी साबित कर देता हैं।
इसलिए अपने सही दायरों में रह कर दूसरों की मदद कीजिए और खुद को 
हमेशा ये एहसास दिलाते रहिए कि , किस हद तक किस की मदद करनी चाहिए 
और कहा पर जा कर रुक जाना चाहिए।  आप लोगों के बरताव को control 
नहीं कर सकते लेकिन आप को, ख़ुद को और ख़ुद के जज़्बात को 
control करना आना ही चाहिए ।  और सब से ज़रूरी बात ये है कि .... 
" आप अपनी हदों में रह कर भी एक अच्छे इंसान बन कर रह सकते हैं,
ख़ुद को अच्छा इंसान साबित करने के लिए किसी भी सही दायरे को तोड़ना ज़रूरी नहीं"

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

White वो शौक़ से निभाए दोस्तियाॅं अपनी, मुझे उसके किसी से भी, किसी भी तरह के रिश्ते पर ना पहले ऐतराज़ था और आज भी नहीं क्यूॅंकि इस बात का हमेशा एहसास रहता है मुझे कि, कोई ऐतराज़ करने का मेरा कोई हक़ बनता ही नहीं लेकिन क्या अपने ही रिश्ते पर भी मुझे कोई हक़ नहीं?? और उसके हिसाब से शायद सिर्फ़ दोस्ती को ही राब्तों की ज़रूरत होती है, मोहब्बत को तो राब्तों की कोई ज़रूरत ही नहीं । मोहब्बत को अपने हाल पर छोड़ भी दिया जाए अगर, मोहब्बत की बार-बार तौहीन भी की जाए अगर, तब भी मोहब्बत कहीं भाग थोड़ी जाएगी?? उसके हिसाब से तो वो हमेशा दिल में बरक़रार रहेगी और दिल में जगह बाक़ी न हो अगर तो उसके बंद दरवाज़ों के बाहर कहीं पड़ी रहेगी लेकिन ख़ामोश और बेजान । लेकिन फ़िर भी, मोहब्बत और दोस्ती के रिश्ते में उसकी नज़र में यही इंसाफ़ है अगर तो अब यही सही, मैं भी अब कोई उम्मीद करूॅंगी ही नहीं। और ऐतराज़ मुझे दूसरी बातों पर था उसके दूसरों से रिश्तों पर तो था ही नहीं। जैसी उसे लगती हैं वैसी तो कोई ग़लत-फ़हमी मुझे थी नहीं लेकिन मेरी ग़लत-फ़हमी को ले कर उसे ज़रूर ग़लत-फ़हमी थी। और उसे ये ज़रूर सोचना चाहिए कि उसे कोई ग़लत-फ़हमी ही क्यूँ हुई?? और अपनी इसी ग़लत-फ़हमी की वजह से, जो दोस्ती वो सर उठा कर निभा सकता था वो उसने मुझ से छुप कर निभाई। और उसे ऐसा लग रहा था अगर की मुझे हो गई है कोई ग़लत-फ़हमी, तो वक़्त रहते उसे दूर कर देना चाहिए, ये बात उसे समझ क्यूॅं नहीं आईं?? कुछ बातें उसे ख़ुद से समझ आनी चाहिए थी, वो समझ आ जाती अगर तो सच में इतनी उलझने रिश्ते में होती ही नहीं । मेरे ऐतराज़ किन बातों पर थे ये उसे कभी समझ आया ही नहीं और अब शायद मेरे ऐतराज़ भी ख़त्म हो जाऍंगे क्यूॅं कि अब मुझे समझ आ गया है कि, कोई शिकायत,कोई ऐतराज़ करने का भी मेरे पास कोई हक़ नहीं। " बस एक ही ग़लती बार-बार हो जाती है मुझ से कि... एहसास-ए-मोहब्बत में ज़हन से ये हक़ीक़त निकल जाती है कभी-कभी कि... मुझ से ही जुड़े इस बेनाम रिश्ते में मेरे लिए ही कोई हक़ नहीं। न सवाल,न शिकायत,न ऐतराज़ करने का और दिल की बातें कहने का भी नहीं। " #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Quotes  White वो शौक़ से निभाए दोस्तियाॅं अपनी, मुझे उसके किसी से भी,
किसी भी तरह के रिश्ते पर ना पहले ऐतराज़ था और आज भी नहीं 
क्यूॅंकि इस बात का हमेशा एहसास रहता है मुझे कि, कोई ऐतराज़ करने का 
मेरा कोई हक़ बनता ही नहीं लेकिन क्या अपने ही रिश्ते पर भी मुझे कोई हक़ नहीं??
और उसके हिसाब से शायद सिर्फ़ दोस्ती को ही राब्तों की ज़रूरत होती है,
मोहब्बत को तो राब्तों की कोई ज़रूरत ही नहीं ।
मोहब्बत को अपने हाल पर छोड़ भी दिया जाए अगर, मोहब्बत की बार-बार 
तौहीन भी की जाए अगर, तब भी मोहब्बत कहीं भाग थोड़ी जाएगी??
उसके हिसाब से तो वो हमेशा दिल में बरक़रार रहेगी और दिल में जगह बाक़ी 
न हो अगर तो उसके बंद दरवाज़ों के बाहर कहीं पड़ी रहेगी लेकिन ख़ामोश और बेजान ।
लेकिन फ़िर भी, मोहब्बत और दोस्ती के रिश्ते में उसकी नज़र में यही इंसाफ़ है अगर 
तो अब यही सही, मैं भी अब कोई उम्मीद करूॅंगी ही नहीं।
और ऐतराज़ मुझे दूसरी बातों पर था उसके दूसरों से रिश्तों पर तो था ही नहीं।
जैसी उसे लगती हैं वैसी तो कोई ग़लत-फ़हमी मुझे थी नहीं लेकिन मेरी ग़लत-फ़हमी को 
ले कर उसे ज़रूर ग़लत-फ़हमी थी। और उसे ये ज़रूर सोचना चाहिए कि 
उसे कोई ग़लत-फ़हमी ही क्यूँ हुई??  और अपनी इसी ग़लत-फ़हमी की वजह से,
जो दोस्ती वो सर उठा कर निभा सकता था वो उसने मुझ से छुप कर निभाई।
और उसे ऐसा लग रहा था अगर की मुझे हो गई है कोई ग़लत-फ़हमी, तो वक़्त रहते उसे 
दूर कर देना चाहिए, ये बात उसे समझ क्यूॅं नहीं आईं??
कुछ बातें उसे ख़ुद से समझ आनी चाहिए थी, वो समझ आ जाती अगर 
तो सच में इतनी उलझने रिश्ते में होती ही नहीं ।
मेरे ऐतराज़ किन बातों पर थे ये उसे कभी समझ आया ही नहीं और अब शायद 
मेरे ऐतराज़ भी ख़त्म हो जाऍंगे क्यूॅं कि अब मुझे समझ आ गया है कि, 
कोई शिकायत,कोई ऐतराज़ करने का भी मेरे पास कोई हक़ नहीं।

" बस एक ही ग़लती बार-बार हो जाती है मुझ से कि...
एहसास-ए-मोहब्बत में ज़हन से ये हक़ीक़त निकल जाती है कभी-कभी कि...
मुझ से ही जुड़े इस बेनाम रिश्ते में मेरे लिए ही कोई हक़ नहीं।
न सवाल,न शिकायत,न ऐतराज़ करने का और दिल की बातें कहने का भी नहीं। "

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #basyunhi #rishte #haq #...................... #nojotohindi #Quotes #2Dec

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White ये ज़रूरी नहीं कि ज़िंदगी में मौजूद हर रिश्ते को कोई नाम दिया जाए, लेकिन ये ज़रूर ज़रूरी हैं कि रिश्ता दिल से जुड़ा हुआ है अगर तो इक-दूसरे को कम से कम इक दोस्त की तरह तो हक़ दिया जाए #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Zindagi  White ये ज़रूरी नहीं कि ज़िंदगी में मौजूद हर रिश्ते को 
कोई नाम दिया जाए, लेकिन 
ये ज़रूर ज़रूरी हैं कि रिश्ता दिल से जुड़ा हुआ है अगर 
तो इक-दूसरे को कम से कम इक दोस्त की तरह तो हक़ दिया जाए

#bas yunhi .......

©Sh@kila Niy@z

White मैंने देखें हैं अपनी ज़िंदगी में कई टूटते-बिखरते रिश्ते, कभी बस इक बोझ की तरह तो कभी बस मजबूरी के नाम पर निभाए जा रहे रिश्ते , किसी का साथ होते हुए भी कभी मंज़िल को तरसते, तो कभी सुकून की तलाश में भटकते रिश्ते । और शायद इसीलिए, ज़िंदगी में रिश्तों की और रिश्तों में सच्चाई, ख़ुलूस, क़दर, इज़्ज़त और मोहब्बत की क्या और कितनी अहमियत होती है इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ मैं। ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #Zindagi  White मैंने देखें हैं अपनी ज़िंदगी में कई टूटते-बिखरते रिश्ते,
कभी बस इक बोझ की तरह तो कभी 
बस मजबूरी के नाम पर निभाए जा रहे रिश्ते ,
किसी का साथ होते हुए भी कभी मंज़िल को तरसते,
तो कभी सुकून की तलाश में भटकते रिश्ते ।
और शायद इसीलिए, ज़िंदगी में रिश्तों की 
और रिश्तों में सच्चाई, ख़ुलूस, क़दर, इज़्ज़त 
और मोहब्बत की क्या और कितनी अहमियत होती है 
इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ मैं।

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#basekkhayaal #nojotohindi #basyunhi #baatein  ©Sh@kila Niy@z
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