White बहर: मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन)
सियाह रात के ग़मों को मिटाना होगा,
हर एक आँसुओं को अब मुस्कुराना होगा।
ख़मोशियों में कैद थी जो सदा सदी से,
उसे हवा बना के अब गुनगुनाना होगा।
जो ज़ख्म दिल पे हैं, उन्हें रौशनी में लाओ,
उन्हें छुपा के कब तलक सर झुकाना होगा।
हयात लूट ली गई बेबसी के हाथों,
इन्हें हज़ार बार चीर कर लौटाना होगा।
ख़ुदी को मत दबा, खड़े हो, लडो ज़माने से,
सफ़र में ख़ुद को अपना कारवां बनाना होगा।
पूनम कोई अपना हो या ना हो सफ़र में,
हर एक दर्द से नई दास्तां को सजाना होगा।
©meri_lekhni_12
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