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New पिता का पर्यायवाची शब्द Status, Photo, Video

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White जरा सा मोल ममता का चुका पाते अगर बेटे.. लहु में दौड़ते रिश्ते निभा पाते अगर बेटे.. न होती दर बदर की ठोकरें उनके नसीबों में.. बुढ़ापा काश कांधो पर उठा पाते अगर बेटे... कभी फुटपाथ पे हालात पे रोती नहीं आँखें उन्हें दो जून की रोटी खिला पाते अगर बेटे..! नहीं कोई तमन्ना है उन्हें महलों में आने की पिता माता को पलकों पर सजा पाते अगर बेटे गंवाकर जिंदगी अपनी उन्हें क़ाबिल बनाया है जो उनके त्याग को दिल से लगा पाते अगर बेटे..! जले हैं आस में औलाद ही कल का सहारा है कभी उस आग में ख़ुद को जला पाते अगर बेटे..! न तीरथ की न जप तप की उन्हें कोई जरूरत थी श्रवन सी भावना मन में जगा पाते अगर बेटे.. नहीं कोई जमीं पर दूसरा भगवान हो शायद उन्हें भगवान से पहले मना पाते अगर बेटे..! ©अज्ञात

#मोटिवेशनल #माता  White जरा सा मोल ममता का चुका पाते अगर बेटे..
लहु में दौड़ते रिश्ते निभा पाते अगर बेटे..
न होती दर बदर की ठोकरें उनके नसीबों में.. 
बुढ़ापा काश कांधो पर उठा पाते अगर बेटे...

कभी फुटपाथ पे हालात पे रोती नहीं आँखें
उन्हें दो जून की रोटी खिला पाते अगर बेटे..!
नहीं कोई तमन्ना है उन्हें महलों में आने की
पिता माता को पलकों पर सजा पाते अगर बेटे 

गंवाकर जिंदगी अपनी उन्हें क़ाबिल बनाया है 
जो उनके त्याग को दिल से लगा पाते अगर बेटे..!
जले हैं आस में औलाद ही कल का सहारा है 
कभी उस आग में ख़ुद को जला पाते अगर बेटे..!

न तीरथ की न जप तप की उन्हें कोई जरूरत थी 
श्रवन सी भावना मन में जगा पाते अगर बेटे..
नहीं कोई जमीं पर दूसरा भगवान हो शायद
उन्हें भगवान से पहले मना पाते अगर बेटे..!

©अज्ञात

#माता पिता

18 Love

#शायरी  इधर जाते हैं ना उधर जाते हैं,
हर तरफ वो ही नज़र आते हैं।

कमाने जो निकल जाते घर से,
मौत से भी नहीं वो घबराते हैं।

ज़ख्म पे ज़ख्म चाहे लगता रहें,
दर्द सारा हँसी में ही छिपाते हैं।

ग़म की बदली न छाये परिवार में,
ये सोच कर तूफ़ानो से टकराते हैं।

अपने सपन सारे तोड़ कर 'उजाला',
ये ज़िंदगी को मुस्कुराना सिखाते हैं।

©अनिल कसेर "उजाला"

पिता

162 View

#शब्द

खेल शब्दों का है #शब्द

171 View

पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत, उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है। हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं, वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है। वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम, उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है। जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं, उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है। पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं, उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है। चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं, पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है। वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना, यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है। अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं, उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है। जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है, वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है। इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले, मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है। ©नवनीत ठाकुर

#शायरी #पिता  पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत,
उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है।
हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं,
वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है।

वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम,
उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है।
जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं,
उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है।

पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं,
उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है।
चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं,
पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है।

वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना,
यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है।
अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं,
उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है।

जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है,
वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है।
इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले,
मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है।

©नवनीत ठाकुर

#पिता का साया

14 Love

सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है ©Khushi Kandu

#शायरी #पिता #father  सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है
जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है

©Khushi Kandu

माता पिता का आशीर्वाद ©Bittu brind

#शायरी  माता पिता का आशीर्वाद

©Bittu brind

माता पिता का आशीर्वाद हिंदी शायरी शायरी हिंदी में

7 Love

White जरा सा मोल ममता का चुका पाते अगर बेटे.. लहु में दौड़ते रिश्ते निभा पाते अगर बेटे.. न होती दर बदर की ठोकरें उनके नसीबों में.. बुढ़ापा काश कांधो पर उठा पाते अगर बेटे... कभी फुटपाथ पे हालात पे रोती नहीं आँखें उन्हें दो जून की रोटी खिला पाते अगर बेटे..! नहीं कोई तमन्ना है उन्हें महलों में आने की पिता माता को पलकों पर सजा पाते अगर बेटे गंवाकर जिंदगी अपनी उन्हें क़ाबिल बनाया है जो उनके त्याग को दिल से लगा पाते अगर बेटे..! जले हैं आस में औलाद ही कल का सहारा है कभी उस आग में ख़ुद को जला पाते अगर बेटे..! न तीरथ की न जप तप की उन्हें कोई जरूरत थी श्रवन सी भावना मन में जगा पाते अगर बेटे.. नहीं कोई जमीं पर दूसरा भगवान हो शायद उन्हें भगवान से पहले मना पाते अगर बेटे..! ©अज्ञात

#मोटिवेशनल #माता  White जरा सा मोल ममता का चुका पाते अगर बेटे..
लहु में दौड़ते रिश्ते निभा पाते अगर बेटे..
न होती दर बदर की ठोकरें उनके नसीबों में.. 
बुढ़ापा काश कांधो पर उठा पाते अगर बेटे...

कभी फुटपाथ पे हालात पे रोती नहीं आँखें
उन्हें दो जून की रोटी खिला पाते अगर बेटे..!
नहीं कोई तमन्ना है उन्हें महलों में आने की
पिता माता को पलकों पर सजा पाते अगर बेटे 

गंवाकर जिंदगी अपनी उन्हें क़ाबिल बनाया है 
जो उनके त्याग को दिल से लगा पाते अगर बेटे..!
जले हैं आस में औलाद ही कल का सहारा है 
कभी उस आग में ख़ुद को जला पाते अगर बेटे..!

न तीरथ की न जप तप की उन्हें कोई जरूरत थी 
श्रवन सी भावना मन में जगा पाते अगर बेटे..
नहीं कोई जमीं पर दूसरा भगवान हो शायद
उन्हें भगवान से पहले मना पाते अगर बेटे..!

©अज्ञात

#माता पिता

18 Love

#शायरी  इधर जाते हैं ना उधर जाते हैं,
हर तरफ वो ही नज़र आते हैं।

कमाने जो निकल जाते घर से,
मौत से भी नहीं वो घबराते हैं।

ज़ख्म पे ज़ख्म चाहे लगता रहें,
दर्द सारा हँसी में ही छिपाते हैं।

ग़म की बदली न छाये परिवार में,
ये सोच कर तूफ़ानो से टकराते हैं।

अपने सपन सारे तोड़ कर 'उजाला',
ये ज़िंदगी को मुस्कुराना सिखाते हैं।

©अनिल कसेर "उजाला"

पिता

162 View

#शब्द

खेल शब्दों का है #शब्द

171 View

पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत, उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है। हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं, वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है। वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम, उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है। जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं, उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है। पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं, उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है। चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं, पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है। वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना, यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है। अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं, उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है। जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है, वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है। इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले, मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है। ©नवनीत ठाकुर

#शायरी #पिता  पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत,
उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है।
हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं,
वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है।

वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम,
उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है।
जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं,
उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है।

पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं,
उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है।
चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं,
पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है।

वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना,
यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है।
अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं,
उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है।

जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है,
वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है।
इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले,
मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है।

©नवनीत ठाकुर

#पिता का साया

14 Love

सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है ©Khushi Kandu

#शायरी #पिता #father  सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है
जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है

©Khushi Kandu

माता पिता का आशीर्वाद ©Bittu brind

#शायरी  माता पिता का आशीर्वाद

©Bittu brind

माता पिता का आशीर्वाद हिंदी शायरी शायरी हिंदी में

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