आत्मनिर्भरता की राह
आत्मनिर्भरता का दीप जलाएं,
स्वयं से स्वयं को नया बनाएं।
दुनिया की राह न देखें कभी,
हौसलों से अपने सपने सजाएं।
हर चुनौती को स्वीकार कर लें,
संघर्षों में भी मुस्कान भर लें।
जीवन की बगिया महक उठेगी,
जो मेहनत से हर काम कर लें।
निर्भर रहना कब तक औरों पर?
सामर्थ्य है छिपा अपने ही अंदर।
हाथ से अपने भविष्य लिखें,
सपनों को करें साकार सुंदर।
स्वदेशी अपनाएं, स्वावलंबी बनें,
नए आयामों की ओर कदम बढ़ाएं।
आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न जो है,
उसे सच करने में हाथ मिलाएं।
जागो, उठो, और चल दो अभी,
हर बाधा से नाता तोड़ दो सभी।
आत्मनिर्भरता का मार्ग पकड़कर,
दुनिया को अपनी शक्ति दिखा दो अभी।
©Writer Mamta Ambedkar
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