सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है जनाब | हिंदी शायरी

"सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है ©Khushi Kandu"

 सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है
जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है

©Khushi Kandu

सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है ©Khushi Kandu

#पिता
#father

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