White जरा सा मोल ममता का चुका पाते अगर बेटे..
लहु में दौड़ते रिश्ते निभा पाते अगर बेटे..
न होती दर बदर की ठोकरें उनके नसीबों में..
बुढ़ापा काश कांधो पर उठा पाते अगर बेटे...
कभी फुटपाथ पे हालात पे रोती नहीं आँखें
उन्हें दो जून की रोटी खिला पाते अगर बेटे..!
नहीं कोई तमन्ना है उन्हें महलों में आने की
पिता माता को पलकों पर सजा पाते अगर बेटे
गंवाकर जिंदगी अपनी उन्हें क़ाबिल बनाया है
जो उनके त्याग को दिल से लगा पाते अगर बेटे..!
जले हैं आस में औलाद ही कल का सहारा है
कभी उस आग में ख़ुद को जला पाते अगर बेटे..!
न तीरथ की न जप तप की उन्हें कोई जरूरत थी
श्रवन सी भावना मन में जगा पाते अगर बेटे..
नहीं कोई जमीं पर दूसरा भगवान हो शायद
उन्हें भगवान से पहले मना पाते अगर बेटे..!
©अज्ञात
#माता पिता