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Unsplash अबे सुन बे गुलाब भूल मत जो पाई ख़ुशबू रंगो आब। खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट। डाल पर इतरा रहा है कैपेटलिस्ट।। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ©Neha Yadav

#कुकुरमुत्ता #निराला #कविता #leafbook  Unsplash अबे सुन बे गुलाब 
भूल मत जो पाई ख़ुशबू रंगो आब।
खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट।
डाल पर इतरा रहा है कैपेटलिस्ट।।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

©Neha Yadav

तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम पर... तो कभी तुम्हारी यादों में पूरा खाली पन्ना ही भर डाला है।। ©Yashpal Sharma&J.K

#विचार  तुम्हें याद रखने का
मेरा अंदाज थोड़ा निराला है,

मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं,
शब्दों में सम्भाला है।

कभी लिख दी
दो लाइन की शायरी, तुम पर...
तो कभी तुम्हारी यादों में
पूरा खाली पन्ना ही भर डाला है।।

©Yashpal Sharma&J.K

तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम प

16 Love

White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता। तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता। ©Rinku Mogare

#rinkumogarewrites #mogarekealfaz #sad_shayari #ktunsalv  White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब।
ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप।
हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता।
तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता।

©Rinku Mogare

#sad_shayari प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता

18 Love

माँ मुझे वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak

#Bhakti  माँ  मुझे  वरदान  दो  की  रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो।
हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।।
चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे।
पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।।
 भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके।
जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।।

©Bharat Bhushan pathak

रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप

14 Love

Unsplash अबे सुन बे गुलाब भूल मत जो पाई ख़ुशबू रंगो आब। खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट। डाल पर इतरा रहा है कैपेटलिस्ट।। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ©Neha Yadav

#कुकुरमुत्ता #निराला #कविता #leafbook  Unsplash अबे सुन बे गुलाब 
भूल मत जो पाई ख़ुशबू रंगो आब।
खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट।
डाल पर इतरा रहा है कैपेटलिस्ट।।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

©Neha Yadav

तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम पर... तो कभी तुम्हारी यादों में पूरा खाली पन्ना ही भर डाला है।। ©Yashpal Sharma&J.K

#विचार  तुम्हें याद रखने का
मेरा अंदाज थोड़ा निराला है,

मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं,
शब्दों में सम्भाला है।

कभी लिख दी
दो लाइन की शायरी, तुम पर...
तो कभी तुम्हारी यादों में
पूरा खाली पन्ना ही भर डाला है।।

©Yashpal Sharma&J.K

तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम प

16 Love

White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता। तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता। ©Rinku Mogare

#rinkumogarewrites #mogarekealfaz #sad_shayari #ktunsalv  White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब।
ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप।
हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता।
तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता।

©Rinku Mogare

#sad_shayari प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता

18 Love

माँ मुझे वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak

#Bhakti  माँ  मुझे  वरदान  दो  की  रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो।
हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।।
चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे।
पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।।
 भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके।
जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।।

©Bharat Bhushan pathak

रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप

14 Love

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