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New तारीफों के पुल के नीचे मतलब की नदी बहती है Status, Photo, Video

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मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish

#कविता  मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, 

जो थम जाऊँ.... 

मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, 

जो साहिल से टकराकर भी, 

अपने सागर से मिल जाऊँ.... 



जिंद़गी

©vish

# नदी की वो धारा

11 Love

Unsplash किसी के साथ मन से जुड़ना और किसी मकसद से जुड़ने मैं धरती आसमान का अंतर है ।जहां आत्मा से जुड़ा हुआ व्यक्ति जीवन से निकलने पर भी यादों से नही निकलता वहां। एक मतलबी इंसान याद तो रहता तो है। लेकिन सिर्फ नफरत के तौर पर । ©Vs Nagerkoti

#मोटिवेशनल #lovelife  Unsplash किसी के साथ मन से जुड़ना और किसी 
मकसद से जुड़ने मैं धरती आसमान का 
अंतर है ।जहां आत्मा से जुड़ा हुआ व्यक्ति 
जीवन से निकलने पर भी यादों से नही 
निकलता वहां। एक मतलबी इंसान याद 
तो रहता तो है। लेकिन सिर्फ नफरत के 
तौर पर ।

©Vs Nagerkoti

#lovelife मतलब हर रिश्ते नाते को हमेशा के लिए नस्ट करके नफरत को जन्म देता है ।

9 Love

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI

#DesertWalk #Quotes  पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

पैसे के लालच में आज,
साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की

 निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने,
 बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की

सहस्र जीवों का जीवन थी जो,
इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की

अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' 
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण,
जै  बच जाए जान 'काटली' की

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की





.

©SANIR SINGNORI

#DesertWalk नदी बचाओ

12 Love

#philosophical #fundaoflife #lifequotes #YoursBuddy #YoursImran

जिन्हें सिर्फ अपने मतलब से ही मतलब है #Original #ownvoice #thought #lifequotes #philosophical #fundaoflife #YoursBuddy #YoursImran

126 View

#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"स्वार्थ में ऊपर उठने की तो सीमा है परन्तु स्वार्थ में नीचे गिरने की कोई सीमा नहीं है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

126 View

#लव

यूं तो बहुत सी नदी,तालाब, सागर और महासागर भी है पर महबूब की आंखों में डूबना मतलब पार हो जाना है....

189 View

मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish

#कविता  मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, 

जो थम जाऊँ.... 

मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, 

जो साहिल से टकराकर भी, 

अपने सागर से मिल जाऊँ.... 



जिंद़गी

©vish

# नदी की वो धारा

11 Love

Unsplash किसी के साथ मन से जुड़ना और किसी मकसद से जुड़ने मैं धरती आसमान का अंतर है ।जहां आत्मा से जुड़ा हुआ व्यक्ति जीवन से निकलने पर भी यादों से नही निकलता वहां। एक मतलबी इंसान याद तो रहता तो है। लेकिन सिर्फ नफरत के तौर पर । ©Vs Nagerkoti

#मोटिवेशनल #lovelife  Unsplash किसी के साथ मन से जुड़ना और किसी 
मकसद से जुड़ने मैं धरती आसमान का 
अंतर है ।जहां आत्मा से जुड़ा हुआ व्यक्ति 
जीवन से निकलने पर भी यादों से नही 
निकलता वहां। एक मतलबी इंसान याद 
तो रहता तो है। लेकिन सिर्फ नफरत के 
तौर पर ।

©Vs Nagerkoti

#lovelife मतलब हर रिश्ते नाते को हमेशा के लिए नस्ट करके नफरत को जन्म देता है ।

9 Love

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI

#DesertWalk #Quotes  पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

पैसे के लालच में आज,
साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की

 निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने,
 बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की

सहस्र जीवों का जीवन थी जो,
इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की

अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' 
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण,
जै  बच जाए जान 'काटली' की

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की





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©SANIR SINGNORI

#DesertWalk नदी बचाओ

12 Love

#philosophical #fundaoflife #lifequotes #YoursBuddy #YoursImran

जिन्हें सिर्फ अपने मतलब से ही मतलब है #Original #ownvoice #thought #lifequotes #philosophical #fundaoflife #YoursBuddy #YoursImran

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#मोटिवेशनल #मोटिवेशन #विनोद #मिश्र

"स्वार्थ में ऊपर उठने की तो सीमा है परन्तु स्वार्थ में नीचे गिरने की कोई सीमा नहीं है." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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#लव

यूं तो बहुत सी नदी,तालाब, सागर और महासागर भी है पर महबूब की आंखों में डूबना मतलब पार हो जाना है....

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