Desert Walk
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हम सब.... आप और मैं एक दूसरे के जीवन के रहस्य बने हुए है!! 🪐 ©Kanika Lakhara

 हम सब.... आप और मैं 
एक दूसरे के जीवन के रहस्य बने हुए है!! 🪐

©Kanika Lakhara

#DesertWalk # Mystery # Life # people # past birth connection# Mysterious life

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पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI

#DesertWalk #Quotes  पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

पैसे के लालच में आज,
साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की

 निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने,
 बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की

सहस्र जीवों का जीवन थी जो,
इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की

अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' 
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण,
जै  बच जाए जान 'काटली' की

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की





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©SANIR SINGNORI

#DesertWalk नदी बचाओ

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तेरे हाथ से मेरे हाथ तक, वो जो हाथ भर का था फ़ासला, कई मौसमों में बदल गया । उसे नापते, उसे काटते मेरा सारा वक़्त निकल गया । ये जो रेग-ए-दश्त-ए-फ़िराक़ है, ये रुके अगर तो पता चले , कि ये जो फ़ासलों की सलीब है,ये गड़ी हुई है कहाॅं-कहाॅं । #not mine #bas yunhi ....... ©Sh@kila Niy@z

#basekkhayaal #nojotohindi #26november #DesertWalk #basyunhi  तेरे हाथ से मेरे हाथ तक, वो जो हाथ भर का था फ़ासला,
कई मौसमों में बदल गया ।
उसे नापते, उसे काटते मेरा सारा वक़्त निकल गया ।
ये जो रेग-ए-दश्त-ए-फ़िराक़ है, ये रुके अगर तो पता चले ,
कि ये जो फ़ासलों की सलीब है,ये गड़ी हुई है कहाॅं-कहाॅं ।

#not mine 
#bas yunhi .......

©Sh@kila Niy@z

मैं मुसाफ़िर मरुस्थल का तुम पानी की बूँद प्रिये! कंठ है सूखा,रस्ता लंबा तुम हो एक मृगतृष्णा प्रिये!! ©Deepak Kumar 'Deep'

#Mrigtrishna  मैं  मुसाफ़िर  मरुस्थल  का
तुम पानी की बूँद प्रिये!
कंठ  है सूखा,रस्ता  लंबा
तुम हो एक मृगतृष्णा प्रिये!!

©Deepak Kumar 'Deep'

#Mrigtrishna

10 Love

#basekkhayaal #nojotohindi #DesertWalk #besukooni #basyunhi  ज़िंदगी सॅंवारने की चाहत में 
ज़िंदगी से ही दूर होते जा रहे हैं।
इक आलम-ए-बेसुकूनी है हर तरफ़ 
और दिल वीरान होते जा रहे हैं।

©Sh@kila Niy@z
#विचार #DesertWalk  बंजर जमीन पर खुद को खीच के चिंचना और फिर हरा होके खुद की छाव में बैठने का सुकून का जो आनंद हैं न उसका शब्दो में वर्णन करना असम्भव जैसा है।

©-

#DesertWalk

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