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White एक दिन जो कभी गुजार पाऊँ तुम्हारे साथ.. किसी झील के करीब दूर से आता देख तुम्हें इंतजार की पीढ़ा भूल हाथ उठा कर बुला लूँ तुम्हें नज़दीक तुम्हारे हाथ बढाने और मेरा हाथ थाम देखते रहें एक दूसरे की आँखों में ख़ामोश रहें होंठ बातें आँखों से कर लें हम जी लें उन चंद पलों में एक पूरा जीवन इस क़दर ख़ामोशी दिल की धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम ख्वाहिश छू लेने की एक भीगे से चुम्बन की महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White एक दिन
जो कभी गुजार पाऊँ
तुम्हारे साथ..
किसी झील के करीब
दूर से आता देख तुम्हें
इंतजार की पीढ़ा भूल
हाथ उठा कर बुला लूँ
तुम्हें नज़दीक
तुम्हारे हाथ बढाने
और मेरा हाथ थाम
देखते रहें एक दूसरे की आँखों में
ख़ामोश रहें होंठ
बातें आँखों से कर लें हम
जी लें उन चंद पलों में
एक पूरा जीवन
इस क़दर ख़ामोशी दिल की
धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम
ख्वाहिश छू लेने की
एक भीगे से चुम्बन की
महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित

©हिमांशु Kulshreshtha

एक दिन..

13 Love

#वीडियो

बादल दिन

81 View

White एक दिन शायद … खत्म होगा इंतजार… बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White एक दिन
शायद …
खत्म होगा इंतजार…
बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

एक दिन...

15 Love

White सूरज ढल जाता है ऐसे ही दिन गुजर जाता है ©vsfsaifkhawaza

#शायरी #vsfsaifkhawaza  White सूरज ढल जाता है
ऐसे ही दिन गुजर जाता है

©vsfsaifkhawaza

दिन #vsfsaifkhawaza

16 Love

White वो दिन ज्यादा दूर नही ज़ब न मौसम बदलेगा न आदमी की नियत या गंदी आदते बदलेंगी लेकिन ये पृत्वी अपने अक्ष पर वैसे ही घूमती ठेगी जैसे अब तक युगो से घूमती रहीं है ©Parasram Arora

#कविता  White वो  दिन ज्यादा 
दूर नही  ज़ब 
न मौसम बदलेगा 
न आदमी की नियत 
या गंदी आदते बदलेंगी 

लेकिन ये पृत्वी 
अपने अक्ष पर 
वैसे ही घूमती 
ठेगी जैसे अब तक 
युगो से घूमती  रहीं है

©Parasram Arora

वो दिन

18 Love

#कविता  White यह दिन‌ भी  रंग बदलता है 
मुझे रोज आगाह करता है 
सुबह सुर्ख लाल
जैसे बाल के गाल
छिपे हों आंचल लाल।
दोपहर में सफेद
जैसे पुरुषार्थी का भेष
तपकर करता सजीवों का पोषण
देता श्रम का संदेश।
बरसात से पहले 
बन जाता शांत जैसे योगी
फिर मचाता शोर 
लुटाता खजाना जैसे कोई भोगी।
सायं शांत सा समा जाता
काली रात आगोश
याद करते हुए जैसे बीते समय के रंग
और मांग रहा हो फिर सुबह का जोश
यह दिन‌ भी  रंग बदलता है 
मुझे रोज आगाह करता है ।।

©Mohan Sardarshahari

दिन के‌ रंग

171 View

White एक दिन जो कभी गुजार पाऊँ तुम्हारे साथ.. किसी झील के करीब दूर से आता देख तुम्हें इंतजार की पीढ़ा भूल हाथ उठा कर बुला लूँ तुम्हें नज़दीक तुम्हारे हाथ बढाने और मेरा हाथ थाम देखते रहें एक दूसरे की आँखों में ख़ामोश रहें होंठ बातें आँखों से कर लें हम जी लें उन चंद पलों में एक पूरा जीवन इस क़दर ख़ामोशी दिल की धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम ख्वाहिश छू लेने की एक भीगे से चुम्बन की महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White एक दिन
जो कभी गुजार पाऊँ
तुम्हारे साथ..
किसी झील के करीब
दूर से आता देख तुम्हें
इंतजार की पीढ़ा भूल
हाथ उठा कर बुला लूँ
तुम्हें नज़दीक
तुम्हारे हाथ बढाने
और मेरा हाथ थाम
देखते रहें एक दूसरे की आँखों में
ख़ामोश रहें होंठ
बातें आँखों से कर लें हम
जी लें उन चंद पलों में
एक पूरा जीवन
इस क़दर ख़ामोशी दिल की
धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम
ख्वाहिश छू लेने की
एक भीगे से चुम्बन की
महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित

©हिमांशु Kulshreshtha

एक दिन..

13 Love

#वीडियो

बादल दिन

81 View

White एक दिन शायद … खत्म होगा इंतजार… बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White एक दिन
शायद …
खत्म होगा इंतजार…
बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

एक दिन...

15 Love

White सूरज ढल जाता है ऐसे ही दिन गुजर जाता है ©vsfsaifkhawaza

#शायरी #vsfsaifkhawaza  White सूरज ढल जाता है
ऐसे ही दिन गुजर जाता है

©vsfsaifkhawaza

दिन #vsfsaifkhawaza

16 Love

White वो दिन ज्यादा दूर नही ज़ब न मौसम बदलेगा न आदमी की नियत या गंदी आदते बदलेंगी लेकिन ये पृत्वी अपने अक्ष पर वैसे ही घूमती ठेगी जैसे अब तक युगो से घूमती रहीं है ©Parasram Arora

#कविता  White वो  दिन ज्यादा 
दूर नही  ज़ब 
न मौसम बदलेगा 
न आदमी की नियत 
या गंदी आदते बदलेंगी 

लेकिन ये पृत्वी 
अपने अक्ष पर 
वैसे ही घूमती 
ठेगी जैसे अब तक 
युगो से घूमती  रहीं है

©Parasram Arora

वो दिन

18 Love

#कविता  White यह दिन‌ भी  रंग बदलता है 
मुझे रोज आगाह करता है 
सुबह सुर्ख लाल
जैसे बाल के गाल
छिपे हों आंचल लाल।
दोपहर में सफेद
जैसे पुरुषार्थी का भेष
तपकर करता सजीवों का पोषण
देता श्रम का संदेश।
बरसात से पहले 
बन जाता शांत जैसे योगी
फिर मचाता शोर 
लुटाता खजाना जैसे कोई भोगी।
सायं शांत सा समा जाता
काली रात आगोश
याद करते हुए जैसे बीते समय के रंग
और मांग रहा हो फिर सुबह का जोश
यह दिन‌ भी  रंग बदलता है 
मुझे रोज आगाह करता है ।।

©Mohan Sardarshahari

दिन के‌ रंग

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