जो कह पाए तुझसे हम कभी ना
लो..! आज कहती हूँ तुझको सुनना..
यूँ तो आज तु फ़िर हुई थोड़ी बड़ी
पर छोटी..है तो तु अभी छोटकी ही,
यूँ कहूँ तुझे जब छोटी या छोटंकी
बता...काहे तु मुह बनाये अकड़ती ?
कैसे बताऊँ है तु प्यारी,चुलबुली,भोली
मुझे तो बहुत भाती तेरी चटपटी बोली,
का रे.. का रे.. छोटीया जब मैं कहती
प्यार है मेरा ...पर तु ये नहीं समझती ?
चाहे समझो इसे फिज़ूल या मज़ाक ही
है मेरी एक नसीहत है तुझे मुफ्त की,
चाहे चेहरे पर कितनी भी हो धूल-मिट्टी
जैसी हो मन से साफ रहना बस वैसे ही,
यूँ बदलते वक़्त पर है ये बहुत ठीक कि
बढ़ते उम्र पर बढ़ाना अपनी होशियारी,
पर साथ रखना सूझ- बुझ,समझदारी
और यूँही बनकर रहना तुम चाईं महारानी .
©Deepali Singh
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