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New अपराध का विलोम Status, Photo, Video

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Unsplash अपराध बोध से ग्रसित है ये. स्वछंद हवाएं बिना बताये चुपके चुपके आकर मेरी सांसे चुरा कर किसी और को बेच देती है और कही और से किसी और क़ी साँसे चुरा कर मुझे दे जाती है ©Parasram Arora

 Unsplash अपराध बोध 
से ग्रसित है ये.
स्वछंद हवाएं 

 बिना बताये 
चुपके चुपके 
आकर  मेरी सांसे 
चुरा कर 

किसी और को 
 बेच  देती है 
और कही और 
से किसी और क़ी 
साँसे चुरा कर 
मुझे  दे  जाती है

©Parasram Arora

अपराध बोधसे ग्रसित

13 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

17 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

#विचार

आज का विचार

126 View

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व्यवस्था पनपी है मनमाना रवैया सरकारों का जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है अपराध जगत सियासतों के हाथों में जब चाहे तब दंगो और बलबा करके रोटियाँ राजनीतिक सेकी है दूषित चरित्र राजनेताओं के हो तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का वो देश समाज का किया भला कर सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #love_shayari  White पल्लव की डायरी
कानूनों से हाथ बाँधकर
अराजक व्यवस्था पनपी है
मनमाना रवैया सरकारों का
जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है
अपराध जगत सियासतों के हाथों में
जब चाहे तब दंगो और बलबा करके
रोटियाँ राजनीतिक सेकी है
दूषित चरित्र राजनेताओं के हो
तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है
अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का
वो देश समाज का किया भला कर सकता है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का

25 Love

Unsplash अपराध बोध से ग्रसित है ये. स्वछंद हवाएं बिना बताये चुपके चुपके आकर मेरी सांसे चुरा कर किसी और को बेच देती है और कही और से किसी और क़ी साँसे चुरा कर मुझे दे जाती है ©Parasram Arora

 Unsplash अपराध बोध 
से ग्रसित है ये.
स्वछंद हवाएं 

 बिना बताये 
चुपके चुपके 
आकर  मेरी सांसे 
चुरा कर 

किसी और को 
 बेच  देती है 
और कही और 
से किसी और क़ी 
साँसे चुरा कर 
मुझे  दे  जाती है

©Parasram Arora

अपराध बोधसे ग्रसित

13 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

17 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

#विचार

आज का विचार

126 View

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व्यवस्था पनपी है मनमाना रवैया सरकारों का जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है अपराध जगत सियासतों के हाथों में जब चाहे तब दंगो और बलबा करके रोटियाँ राजनीतिक सेकी है दूषित चरित्र राजनेताओं के हो तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का वो देश समाज का किया भला कर सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #love_shayari  White पल्लव की डायरी
कानूनों से हाथ बाँधकर
अराजक व्यवस्था पनपी है
मनमाना रवैया सरकारों का
जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है
अपराध जगत सियासतों के हाथों में
जब चाहे तब दंगो और बलबा करके
रोटियाँ राजनीतिक सेकी है
दूषित चरित्र राजनेताओं के हो
तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है
अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का
वो देश समाज का किया भला कर सकता है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का

25 Love

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