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जिस तरह हवा एक ही दिशा में नहीं बहती है #Motivational #Lines # motivational thoughts in hindi on success

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जिस तरह हवा एक ही दिशा में नहीं बहती है #Motivational #Lines # motivational thoughts in hindi on success

108 View

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  कलियुग का प्रकोप

दूध की नदियां बहती थीं कभी
अब खून की नदियां बहती हैं
प्रेम भाव था भाईयों में कभी
अब चाकू-छुरियां चलती हैं
धन संपदा जमीन नारी
जब हुआ करती थीं परदे में
अब खुलकर है आ गई सारी
कसर न छोड़ी झगड़े में
कलियुग का है प्रकोप सारा
इस ने लिया है लपेटे में
मनुष्य तो है बस माध्यम बेचारा
घसीटा उसको अंधेरे में
तेरा – मेरा की लड़ाई कभी
खत्म न होगी जमाने में
ईश्वर भी सोचता होगा कभी
क्या गलती हुई इंसां बनाने में
……………………………………………………
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindi #nojotohindipoetry कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईय

216 View

#वीडियो

बहराइच ।ग्राम चहलवा परगना धर्मापुर तहसील मिहींपुरवा (मोतीपुर) जनपद बहराइच के लोगो की कृषि योग्य भूमि घाघरा नदी के दूसरी तरफ भी पड़ती है, जहाँ

153 View

Black ‘घर’ सा बनकर आना... हर कोई यहां नदी सा है जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ... मगर जो हमेशा स्थिर रह सके तुम मेरे लिए एक घर जैसे बन जाना! आज साथ हैं पर कल का पता नही ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं... मगर तुम आना तो कुछ इस तरह कोई ‘घर’ सा बन कर आना.... मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं और तुम ‘घर’ की तरह मुझे याद आना! ©Pallavi Mamgain

#कविता #नदी #Thinking #घर  Black 
                  ‘घर’ सा बनकर आना...


हर कोई यहां नदी सा है
जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ...
मगर जो हमेशा स्थिर रह सके
तुम मेरे लिए एक घर जैसे  बन जाना!

आज साथ हैं पर कल का पता नही
ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं...
मगर तुम आना तो कुछ इस तरह 
कोई ‘घर’ सा बन कर आना....
मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं
और तुम ‘घर’ की तरह  मुझे याद आना!

©Pallavi Mamgain

तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता

18 Love

#GoldenHour  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्

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जिस तरह हवा एक ही दिशा में नहीं बहती है #Motivational #Lines # motivational thoughts in hindi on success

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जिस तरह हवा एक ही दिशा में नहीं बहती है #Motivational #Lines # motivational thoughts in hindi on success

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#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  कलियुग का प्रकोप

दूध की नदियां बहती थीं कभी
अब खून की नदियां बहती हैं
प्रेम भाव था भाईयों में कभी
अब चाकू-छुरियां चलती हैं
धन संपदा जमीन नारी
जब हुआ करती थीं परदे में
अब खुलकर है आ गई सारी
कसर न छोड़ी झगड़े में
कलियुग का है प्रकोप सारा
इस ने लिया है लपेटे में
मनुष्य तो है बस माध्यम बेचारा
घसीटा उसको अंधेरे में
तेरा – मेरा की लड़ाई कभी
खत्म न होगी जमाने में
ईश्वर भी सोचता होगा कभी
क्या गलती हुई इंसां बनाने में
……………………………………………………
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindi #nojotohindipoetry कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईय

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बहराइच ।ग्राम चहलवा परगना धर्मापुर तहसील मिहींपुरवा (मोतीपुर) जनपद बहराइच के लोगो की कृषि योग्य भूमि घाघरा नदी के दूसरी तरफ भी पड़ती है, जहाँ

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Black ‘घर’ सा बनकर आना... हर कोई यहां नदी सा है जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ... मगर जो हमेशा स्थिर रह सके तुम मेरे लिए एक घर जैसे बन जाना! आज साथ हैं पर कल का पता नही ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं... मगर तुम आना तो कुछ इस तरह कोई ‘घर’ सा बन कर आना.... मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं और तुम ‘घर’ की तरह मुझे याद आना! ©Pallavi Mamgain

#कविता #नदी #Thinking #घर  Black 
                  ‘घर’ सा बनकर आना...


हर कोई यहां नदी सा है
जहां कोई हमेशा के लिए ठहर नही सकता ...
मगर जो हमेशा स्थिर रह सके
तुम मेरे लिए एक घर जैसे  बन जाना!

आज साथ हैं पर कल का पता नही
ये बहती हुई किसी नदी के समान ही हैं...
मगर तुम आना तो कुछ इस तरह 
कोई ‘घर’ सा बन कर आना....
मैं सुकून की तलाश में कहीं जाना चाहूं
और तुम ‘घर’ की तरह  मुझे याद आना!

©Pallavi Mamgain

तुम ‘नदी’ नही , ‘घर’ सा बनकर आना poetry, love , ghar, nadi #Thinking #घर #नदी प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता कविता

18 Love

#GoldenHour  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्

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