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New चंद्र गहना से लौटती बेर कविता का भावार्थ Status, Photo, Video

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White उलझन वाले छंदो मे उलझ कर कविता मेरी थक कर हाफने लगी है लगता है अब एक नई कविता मन के केनवास पर कहीं जन्म न लें रहीं हो ©Parasram Arora

 White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

13 Love

White ््दिनांक ््18,,10,,2024,, वार ्््शुक्रवार ्् समय ्््सुबह ्् दस ्् बजे ्््निजविचार ््् ्््््शीर्षक ्््् ्््भावचित्र ्् ््््दिल से दिल में अनजानी अनचाही मन की शब्द यात्रा ््् चंद़ में एक शीतल हवाओ का झरोखे में, तुझको चाहा दिल से तुम्हे खोज रहे है , किसी भी किरदार में मैं नजर आती नहीं, मेरे दिल में।। ना कोई अंदेशा ना कोई संदेश ये रिश्ता अनमोल है, समझता नहीं है ये दिल।। माना कि तुम मेरे अंदर एक सूर की मधुरम वो किरण हो जो सुन्दरत्तम की नायाब मूरत दिखती नहीं हो, सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती में महसूस होती हो ।। वो प्यारा नजारा देखने वाले दिल मानता नहीं है,, तेरी भोली भाली सूरत हंसीं दिल को ना जाने क्या कह रही हैं,।। यह दिल का समन्दर किसी अनजाने तूफान का आगाज करने वाला है, वो शख्स है जिसने वो लफ्जो से भावना से मन से कोई निर्णय स्वप्रयास से जन्मा विचार,, दिल से दिल में क्या कह दिया पता नहीं चलता है।। जो समय के गर्भ छुपा हुआ है आयना नजरिया बदल नहीं सकता है,, अगर मगर ख्याल नहीं है भविष्य अपना काम कर रहा है, और हम दिलों से दिमाग में यह तन मन को शांति का दिलासा देते हैं।। यह शीर्षक चंद्र दर्शन शीतल जल से स्नान अंजलि हवा से पावन पर्व, हो शरद पूर्णिमा के अवसान और कार्तिक कृष्ण पक्ष एकम में दिल का दीप प्रज्जवलित ,, आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद लें और माँ बगलामुखी साधना तपस्या खुद से खूद में सवाल उठता।। मां सरस्वती और काली लक्ष्मी पूजा दीपावली का आगाज है,, दिल से दिल में पूर्णतया विकसित हो रहा है।। देवदिवाली तक निर्गुण निराकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान हैं ,, इस दिल का दिल से मिलन समारोह है आपका आपके लिये विचार सच है। ।््कवि शैलेंद्र आनंद ् 18,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#भक्ति #Sad_Status  White ््दिनांक ््18,,10,,2024,,
वार ्््शुक्रवार ््
समय ्््सुबह ्् दस ्् बजे

्््निजविचार ्््
्््््शीर्षक ््््
्््भावचित्र ््
््््दिल से दिल में अनजानी अनचाही मन की शब्द यात्रा ्््

चंद़ में एक शीतल हवाओ का झरोखे में,
 तुझको चाहा दिल से तुम्हे खोज रहे है ,
किसी भी किरदार में मैं नजर आती नहीं,
 मेरे दिल में।।
ना कोई अंदेशा ना कोई संदेश ये रिश्ता अनमोल है,
 समझता नहीं है ये दिल।।
माना कि तुम मेरे अंदर एक सूर की मधुरम वो किरण हो
 जो सुन्दरत्तम की नायाब मूरत दिखती नहीं हो,
 सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती में महसूस होती हो ।।
वो प्यारा नजारा देखने वाले दिल मानता नहीं है,,
तेरी भोली भाली सूरत हंसीं दिल को ना जाने क्या कह रही हैं,।।
यह दिल का समन्दर किसी अनजाने तूफान का आगाज करने वाला है,
वो शख्स है जिसने वो लफ्जो से भावना से मन से कोई निर्णय स्वप्रयास से जन्मा विचार,,
 दिल से दिल में क्या कह दिया पता नहीं चलता है।।
 जो समय के गर्भ छुपा हुआ है आयना नजरिया बदल नहीं सकता है,,
अगर मगर ख्याल नहीं है भविष्य अपना काम कर रहा है,
 और हम दिलों से दिमाग में यह तन मन को शांति का दिलासा देते हैं।।
यह शीर्षक चंद्र दर्शन शीतल जल से स्नान अंजलि हवा से पावन पर्व,
 हो शरद पूर्णिमा के अवसान और कार्तिक कृष्ण पक्ष एकम में दिल का दीप प्रज्जवलित ,,
आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद लें और माँ बगलामुखी साधना तपस्या खुद से खूद में सवाल उठता।।
 मां सरस्वती और काली लक्ष्मी पूजा दीपावली का आगाज है,,
 दिल से दिल में पूर्णतया विकसित हो रहा है।।
 देवदिवाली तक निर्गुण निराकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान हैं ,,
इस दिल का दिल से मिलन समारोह है आपका आपके लिये विचार सच है।
।््कवि शैलेंद्र आनंद ्
18,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

#Sad_Status भक्ति सागर ्््भावचित्र मन से मन की शब्द यात्रा सुन्दरता है मनमोहक चंद्र दर्शन ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

गांधी का मरत नाही..# मराठी कविता#gandhi #गांधी #History # मराठी कविता संग्रह

135 View

थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

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White उलझन वाले छंदो मे उलझ कर कविता मेरी थक कर हाफने लगी है लगता है अब एक नई कविता मन के केनवास पर कहीं जन्म न लें रहीं हो ©Parasram Arora

 White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

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White ््दिनांक ््18,,10,,2024,, वार ्््शुक्रवार ्् समय ्््सुबह ्् दस ्् बजे ्््निजविचार ््् ्््््शीर्षक ्््् ्््भावचित्र ्् ््््दिल से दिल में अनजानी अनचाही मन की शब्द यात्रा ््् चंद़ में एक शीतल हवाओ का झरोखे में, तुझको चाहा दिल से तुम्हे खोज रहे है , किसी भी किरदार में मैं नजर आती नहीं, मेरे दिल में।। ना कोई अंदेशा ना कोई संदेश ये रिश्ता अनमोल है, समझता नहीं है ये दिल।। माना कि तुम मेरे अंदर एक सूर की मधुरम वो किरण हो जो सुन्दरत्तम की नायाब मूरत दिखती नहीं हो, सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती में महसूस होती हो ।। वो प्यारा नजारा देखने वाले दिल मानता नहीं है,, तेरी भोली भाली सूरत हंसीं दिल को ना जाने क्या कह रही हैं,।। यह दिल का समन्दर किसी अनजाने तूफान का आगाज करने वाला है, वो शख्स है जिसने वो लफ्जो से भावना से मन से कोई निर्णय स्वप्रयास से जन्मा विचार,, दिल से दिल में क्या कह दिया पता नहीं चलता है।। जो समय के गर्भ छुपा हुआ है आयना नजरिया बदल नहीं सकता है,, अगर मगर ख्याल नहीं है भविष्य अपना काम कर रहा है, और हम दिलों से दिमाग में यह तन मन को शांति का दिलासा देते हैं।। यह शीर्षक चंद्र दर्शन शीतल जल से स्नान अंजलि हवा से पावन पर्व, हो शरद पूर्णिमा के अवसान और कार्तिक कृष्ण पक्ष एकम में दिल का दीप प्रज्जवलित ,, आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद लें और माँ बगलामुखी साधना तपस्या खुद से खूद में सवाल उठता।। मां सरस्वती और काली लक्ष्मी पूजा दीपावली का आगाज है,, दिल से दिल में पूर्णतया विकसित हो रहा है।। देवदिवाली तक निर्गुण निराकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान हैं ,, इस दिल का दिल से मिलन समारोह है आपका आपके लिये विचार सच है। ।््कवि शैलेंद्र आनंद ् 18,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand

#भक्ति #Sad_Status  White ््दिनांक ््18,,10,,2024,,
वार ्््शुक्रवार ््
समय ्््सुबह ्् दस ्् बजे

्््निजविचार ्््
्््््शीर्षक ््््
्््भावचित्र ््
््््दिल से दिल में अनजानी अनचाही मन की शब्द यात्रा ्््

चंद़ में एक शीतल हवाओ का झरोखे में,
 तुझको चाहा दिल से तुम्हे खोज रहे है ,
किसी भी किरदार में मैं नजर आती नहीं,
 मेरे दिल में।।
ना कोई अंदेशा ना कोई संदेश ये रिश्ता अनमोल है,
 समझता नहीं है ये दिल।।
माना कि तुम मेरे अंदर एक सूर की मधुरम वो किरण हो
 जो सुन्दरत्तम की नायाब मूरत दिखती नहीं हो,
 सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती में महसूस होती हो ।।
वो प्यारा नजारा देखने वाले दिल मानता नहीं है,,
तेरी भोली भाली सूरत हंसीं दिल को ना जाने क्या कह रही हैं,।।
यह दिल का समन्दर किसी अनजाने तूफान का आगाज करने वाला है,
वो शख्स है जिसने वो लफ्जो से भावना से मन से कोई निर्णय स्वप्रयास से जन्मा विचार,,
 दिल से दिल में क्या कह दिया पता नहीं चलता है।।
 जो समय के गर्भ छुपा हुआ है आयना नजरिया बदल नहीं सकता है,,
अगर मगर ख्याल नहीं है भविष्य अपना काम कर रहा है,
 और हम दिलों से दिमाग में यह तन मन को शांति का दिलासा देते हैं।।
यह शीर्षक चंद्र दर्शन शीतल जल से स्नान अंजलि हवा से पावन पर्व,
 हो शरद पूर्णिमा के अवसान और कार्तिक कृष्ण पक्ष एकम में दिल का दीप प्रज्जवलित ,,
आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद लें और माँ बगलामुखी साधना तपस्या खुद से खूद में सवाल उठता।।
 मां सरस्वती और काली लक्ष्मी पूजा दीपावली का आगाज है,,
 दिल से दिल में पूर्णतया विकसित हो रहा है।।
 देवदिवाली तक निर्गुण निराकार रूप में एक स्वर में प्रेम गान हैं ,,
इस दिल का दिल से मिलन समारोह है आपका आपके लिये विचार सच है।
।््कवि शैलेंद्र आनंद ्
18,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand

#Sad_Status भक्ति सागर ्््भावचित्र मन से मन की शब्द यात्रा सुन्दरता है मनमोहक चंद्र दर्शन ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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गांधी का मरत नाही..# मराठी कविता#gandhi #गांधी #History # मराठी कविता संग्रह

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थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

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