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White अल्फांज बे जुंबा थे दिलने धड़कनों को हैं थामा बस इक आहट थी ए उसके खयालों की अगर ओ रूबरू हुए हमसे कहीं ए रूह मेरी मुझसे ही ना बिछड़ जाएं..... https://lotusshayari.blogspot.com/ 🪷 ©Lotus Mali

#love_shayari  White अल्फांज बे जुंबा थे
दिलने धड़कनों को हैं थामा
बस इक आहट थी ए 
उसके खयालों की
अगर ओ रूबरू हुए हमसे
कहीं ए रूह मेरी मुझसे ही ना बिछड़ जाएं.....
https://lotusshayari.blogspot.com/

🪷

©Lotus Mali

#love_shayari अल्फांज बे जुंबा थे दिलने धड़कनों को हैं थामा बस इक आहट थी ए उसके खयालों की अगर ओ रूबरू हुए हमसे कहीं ए रूह मेरी मुझसे ही ना

17 Love

White मुझे ज़ख़्म देने वाले मेरे ज़ख़्म की दवा हो गए वो बे-वफ़ा बे-वफ़ाई करके फ़िर ब-वफ़ा हो गए जमील ©jameel Khan

 White मुझे ज़ख़्म देने वाले मेरे ज़ख़्म की दवा हो गए
वो बे-वफ़ा बे-वफ़ाई करके फ़िर ब-वफ़ा हो गए 


जमील

©jameel Khan

# बे वफ़ा #

17 Love

White गरज रहा है बादल उसे गरज लेने दो मौसम है उस का उसे बरस लेने दो जमील ©jameel Khan

 White गरज रहा है बादल उसे गरज लेने दो
मौसम है उस का उसे बरस लेने दो

जमील

©jameel Khan

# बे मौसम #

14 Love

सब मतलबी लोग ©Lakhan Rajput BJP

#विचार  सब मतलबी लोग

©Lakhan Rajput BJP

आज शुभ विचार यार हो यार तेरी अदाओं ने मारा

5 Love

पल्लव की डायरी एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है काला चेहरा सत्ताधीशो का अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है बढ़ गया जोर जुर्म इनका टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है
काला चेहरा सत्ताधीशो का
अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है
बढ़ गया जोर जुर्म इनका
टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है
नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता
हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है
भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण
सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है
                                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल

23 Love

बहुत हुए बीते जमाने में पिछले दो दिनों में शरीक एक दोस्त के घर जाकर लगा जिंदगी बदलती है तारीख । शहर के कोलाहल से दूर एक बड़ा मनोरम सा घर बाग-बगीचे,पेड़, झूले और फ़व्वारे स्वागत को आतुर। अन्दर बड़ा सा विशाल कक्ष जिसकी सुविधाएं अति मोहक इस में बना गुरु का आसन कर देता सबका धार्मिक रुख। ना‌ कोई दिखावा ना अंहकार बाशिंदे करते एक दूजे से प्यार मिलकर उनसे यों लगता जैसे यही है प्राकृतिक सा सदाचार। घर से सब खुश होकर जायें कहते हैं यही है हमारा उपहार साधारण होकर भी कितना खास निकला मेरा यार जमीनी सरदार।। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  बहुत हुए बीते जमाने में 
पिछले दो दिनों में शरीक 
एक दोस्त के घर जाकर लगा
जिंदगी बदलती है तारीख ।
शहर के कोलाहल से दूर 
एक बड़ा मनोरम सा घर
बाग-बगीचे,पेड़, झूले और
फ़व्वारे स्वागत को आतुर।
अन्दर बड़ा सा विशाल कक्ष
जिसकी सुविधाएं अति मोहक
इस में बना गुरु का आसन
कर देता सबका धार्मिक रुख।
ना‌ कोई दिखावा ना अंहकार 
बाशिंदे करते एक दूजे से प्यार
मिलकर उनसे यों लगता जैसे 
यही है प्राकृतिक सा सदाचार।
घर से सब खुश होकर जायें 
कहते हैं यही है हमारा उपहार 
साधारण होकर भी कितना खास
निकला मेरा यार जमीनी सरदार।।

©Mohan Sardarshahari

मेरा यार

18 Love

White अल्फांज बे जुंबा थे दिलने धड़कनों को हैं थामा बस इक आहट थी ए उसके खयालों की अगर ओ रूबरू हुए हमसे कहीं ए रूह मेरी मुझसे ही ना बिछड़ जाएं..... https://lotusshayari.blogspot.com/ 🪷 ©Lotus Mali

#love_shayari  White अल्फांज बे जुंबा थे
दिलने धड़कनों को हैं थामा
बस इक आहट थी ए 
उसके खयालों की
अगर ओ रूबरू हुए हमसे
कहीं ए रूह मेरी मुझसे ही ना बिछड़ जाएं.....
https://lotusshayari.blogspot.com/

🪷

©Lotus Mali

#love_shayari अल्फांज बे जुंबा थे दिलने धड़कनों को हैं थामा बस इक आहट थी ए उसके खयालों की अगर ओ रूबरू हुए हमसे कहीं ए रूह मेरी मुझसे ही ना

17 Love

White मुझे ज़ख़्म देने वाले मेरे ज़ख़्म की दवा हो गए वो बे-वफ़ा बे-वफ़ाई करके फ़िर ब-वफ़ा हो गए जमील ©jameel Khan

 White मुझे ज़ख़्म देने वाले मेरे ज़ख़्म की दवा हो गए
वो बे-वफ़ा बे-वफ़ाई करके फ़िर ब-वफ़ा हो गए 


जमील

©jameel Khan

# बे वफ़ा #

17 Love

White गरज रहा है बादल उसे गरज लेने दो मौसम है उस का उसे बरस लेने दो जमील ©jameel Khan

 White गरज रहा है बादल उसे गरज लेने दो
मौसम है उस का उसे बरस लेने दो

जमील

©jameel Khan

# बे मौसम #

14 Love

सब मतलबी लोग ©Lakhan Rajput BJP

#विचार  सब मतलबी लोग

©Lakhan Rajput BJP

आज शुभ विचार यार हो यार तेरी अदाओं ने मारा

5 Love

पल्लव की डायरी एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है काला चेहरा सत्ताधीशो का अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है बढ़ गया जोर जुर्म इनका टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है
काला चेहरा सत्ताधीशो का
अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है
बढ़ गया जोर जुर्म इनका
टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है
नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता
हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है
भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण
सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है
                                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल

23 Love

बहुत हुए बीते जमाने में पिछले दो दिनों में शरीक एक दोस्त के घर जाकर लगा जिंदगी बदलती है तारीख । शहर के कोलाहल से दूर एक बड़ा मनोरम सा घर बाग-बगीचे,पेड़, झूले और फ़व्वारे स्वागत को आतुर। अन्दर बड़ा सा विशाल कक्ष जिसकी सुविधाएं अति मोहक इस में बना गुरु का आसन कर देता सबका धार्मिक रुख। ना‌ कोई दिखावा ना अंहकार बाशिंदे करते एक दूजे से प्यार मिलकर उनसे यों लगता जैसे यही है प्राकृतिक सा सदाचार। घर से सब खुश होकर जायें कहते हैं यही है हमारा उपहार साधारण होकर भी कितना खास निकला मेरा यार जमीनी सरदार।। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  बहुत हुए बीते जमाने में 
पिछले दो दिनों में शरीक 
एक दोस्त के घर जाकर लगा
जिंदगी बदलती है तारीख ।
शहर के कोलाहल से दूर 
एक बड़ा मनोरम सा घर
बाग-बगीचे,पेड़, झूले और
फ़व्वारे स्वागत को आतुर।
अन्दर बड़ा सा विशाल कक्ष
जिसकी सुविधाएं अति मोहक
इस में बना गुरु का आसन
कर देता सबका धार्मिक रुख।
ना‌ कोई दिखावा ना अंहकार 
बाशिंदे करते एक दूजे से प्यार
मिलकर उनसे यों लगता जैसे 
यही है प्राकृतिक सा सदाचार।
घर से सब खुश होकर जायें 
कहते हैं यही है हमारा उपहार 
साधारण होकर भी कितना खास
निकला मेरा यार जमीनी सरदार।।

©Mohan Sardarshahari

मेरा यार

18 Love

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