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New हृदय प्रभु कविता Status, Photo, Video

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इश्क तुझसे है सनम नित्य निरंतर सत्य है पूजा करती हूं अपने हृदय में पुष्प हृदय दान कर। जय श्री राधे ©Radhe Radhe

 इश्क तुझसे है सनम 
नित्य निरंतर सत्य है
पूजा करती हूं अपने 
हृदय में 
पुष्प हृदय दान कर। 
जय श्री राधे

©Radhe Radhe

हृदय दान कर

10 Love

हृदय की चाह है..... तुम्हे हृदय से लगाऊ तुम्हे सोचूं और ..... तुम्ही में खो जाऊं ..... ©seema patidar

 हृदय की चाह है.....
तुम्हे हृदय से लगाऊ
तुम्हे सोचूं और .....
तुम्ही में खो जाऊं .....

©seema patidar

हृदय की चाह ❣️

18 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत से मज़बूर हुआ, गिरा तो चकनाचूर हुआ, प्रेम की संकरी गलियों में, ख़ुद से कितना दूर हुआ, गफ़लत में फुंसी समझा, बढ़ा तो फ़िर नासूर हुआ, जिस घर में था अंधियारा, जला दीप पुरनूर हुआ, चढ़ा नशा जब भक्ति का, आठों याम सुरूर हुआ, मंज़िल मिली मुसाफ़िर से, ग़म दिल से क़ाफूर हुआ, देख घटाओं की शोखी, 'गुंजन' हृदय मयूर हुआ, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत  से   मज़बूर  हुआ,
गिरा तो  चकनाचूर  हुआ,

प्रेम की संकरी गलियों में,
ख़ुद से  कितना  दूर हुआ,

गफ़लत में  फुंसी  समझा,
बढ़ा  तो फ़िर नासूर हुआ,

जिस घर में था अंधियारा,
जला  दीप   पुरनूर  हुआ,

चढ़ा नशा जब भक्ति का,
आठों  याम  सुरूर  हुआ,

मंज़िल मिली मुसाफ़िर से,
ग़म  दिल से क़ाफूर हुआ,

देख  घटाओं   की  शोखी,
'गुंजन' हृदय   मयूर  हुआ,
 -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#

16 Love

प्रभु हमें ज्ञान दीजियेगा

126 View

#संत #प्रभु #गुरु #भक्ति #शक्ति

135 View

बचने की कोशिश करते हैं, सेवा से कितना डरते हैं, हरियाली रहती ना क़ायम, खिले फूल निश्चित झरते हैं, आसमान में उड़ने वाले, पांव जमीं पर ही धरते हैं, एक समय ठुकराए आकर, जीवन भर जिस पे मरते हैं, पछ्तावा रह जाता केवल, आंखों में आसूं भरते हैं, बुरे वक़्त में लाचारी वश, हालातों से ख़ुद लड़ते हैं, 'गुंजन' राम भरोसे जीवन, प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्रभु  बचने की कोशिश करते हैं,
सेवा  से  कितना  डरते  हैं,

हरियाली रहती ना क़ायम,
खिले फूल निश्चित झरते हैं,

आसमान  में  उड़ने  वाले,
पांव  जमीं पर ही धरते हैं,

एक समय ठुकराए आकर,
जीवन भर जिस पे मरते हैं,

पछ्तावा रह जाता केवल,
आंखों  में  आसूं  भरते  हैं,

बुरे वक़्त में  लाचारी वश,
हालातों से  ख़ुद  लड़ते हैं,

'गुंजन' राम भरोसे जीवन,
प्रभु पीड़ा  सबकी हरते हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं#

14 Love

इश्क तुझसे है सनम नित्य निरंतर सत्य है पूजा करती हूं अपने हृदय में पुष्प हृदय दान कर। जय श्री राधे ©Radhe Radhe

 इश्क तुझसे है सनम 
नित्य निरंतर सत्य है
पूजा करती हूं अपने 
हृदय में 
पुष्प हृदय दान कर। 
जय श्री राधे

©Radhe Radhe

हृदय दान कर

10 Love

हृदय की चाह है..... तुम्हे हृदय से लगाऊ तुम्हे सोचूं और ..... तुम्ही में खो जाऊं ..... ©seema patidar

 हृदय की चाह है.....
तुम्हे हृदय से लगाऊ
तुम्हे सोचूं और .....
तुम्ही में खो जाऊं .....

©seema patidar

हृदय की चाह ❣️

18 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत से मज़बूर हुआ, गिरा तो चकनाचूर हुआ, प्रेम की संकरी गलियों में, ख़ुद से कितना दूर हुआ, गफ़लत में फुंसी समझा, बढ़ा तो फ़िर नासूर हुआ, जिस घर में था अंधियारा, जला दीप पुरनूर हुआ, चढ़ा नशा जब भक्ति का, आठों याम सुरूर हुआ, मंज़िल मिली मुसाफ़िर से, ग़म दिल से क़ाफूर हुआ, देख घटाओं की शोखी, 'गुंजन' हृदय मयूर हुआ, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत  से   मज़बूर  हुआ,
गिरा तो  चकनाचूर  हुआ,

प्रेम की संकरी गलियों में,
ख़ुद से  कितना  दूर हुआ,

गफ़लत में  फुंसी  समझा,
बढ़ा  तो फ़िर नासूर हुआ,

जिस घर में था अंधियारा,
जला  दीप   पुरनूर  हुआ,

चढ़ा नशा जब भक्ति का,
आठों  याम  सुरूर  हुआ,

मंज़िल मिली मुसाफ़िर से,
ग़म  दिल से क़ाफूर हुआ,

देख  घटाओं   की  शोखी,
'गुंजन' हृदय   मयूर  हुआ,
 -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#

16 Love

प्रभु हमें ज्ञान दीजियेगा

126 View

#संत #प्रभु #गुरु #भक्ति #शक्ति

135 View

बचने की कोशिश करते हैं, सेवा से कितना डरते हैं, हरियाली रहती ना क़ायम, खिले फूल निश्चित झरते हैं, आसमान में उड़ने वाले, पांव जमीं पर ही धरते हैं, एक समय ठुकराए आकर, जीवन भर जिस पे मरते हैं, पछ्तावा रह जाता केवल, आंखों में आसूं भरते हैं, बुरे वक़्त में लाचारी वश, हालातों से ख़ुद लड़ते हैं, 'गुंजन' राम भरोसे जीवन, प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्रभु  बचने की कोशिश करते हैं,
सेवा  से  कितना  डरते  हैं,

हरियाली रहती ना क़ायम,
खिले फूल निश्चित झरते हैं,

आसमान  में  उड़ने  वाले,
पांव  जमीं पर ही धरते हैं,

एक समय ठुकराए आकर,
जीवन भर जिस पे मरते हैं,

पछ्तावा रह जाता केवल,
आंखों  में  आसूं  भरते  हैं,

बुरे वक़्त में  लाचारी वश,
हालातों से  ख़ुद  लड़ते हैं,

'गुंजन' राम भरोसे जीवन,
प्रभु पीड़ा  सबकी हरते हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं#

14 Love

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