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New धरती का अंत कब होगा Status, Photo, Video

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ये वर्ष का अंत नहीं एक अध्याय का अंत है, अंत है कुछ मेरा अंत कुछ मेरे शब्दों का है।। थे कुछ जज्बात जो पिघल गए, टूट गए ये मेरी तासीर की गई कहानी का अंत हैं।। उठाएंगे जनाजा ए दिल हम फिर भी आज ये मेरे जीवन का नहीं, मेरी जीने की आरजू का अंत है।। खिलेंगे कुछ फूल मजार ए मोहब्बत पे ये मेरी खुद से की गई अज्म का अंत है।। किरदार न आंका मेरा, न समझी मेरी सीरत चलो छोड़ो, हुआ सबकी उलझनों का अंत है।। कोई शिकवा नहीं, गर एक शिकस्त जरूर है ये मेरे बार बार हारने की प्रक्रिया का अंत है।। ©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

 ये वर्ष का अंत नहीं एक अध्याय का अंत है,
अंत है कुछ मेरा अंत कुछ मेरे शब्दों का है।।

थे कुछ जज्बात जो पिघल गए, टूट गए
ये मेरी तासीर की गई कहानी का अंत हैं।।

उठाएंगे जनाजा ए दिल हम फिर भी आज
ये मेरे जीवन का नहीं, मेरी जीने की आरजू का अंत है।।

खिलेंगे कुछ फूल मजार ए मोहब्बत पे
ये मेरी खुद से की गई अज्म का अंत है।।

किरदार न आंका मेरा, न समझी मेरी सीरत 
चलो छोड़ो, हुआ सबकी उलझनों का अंत है।।

कोई शिकवा नहीं, गर एक शिकस्त जरूर है
ये मेरे बार बार हारने की प्रक्रिया का अंत है।।

©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

Title:- ये अंत है।। #31December2024 #newyear #अंत #शायरी #कुछ_टूटे_अरमान #राहतइंदौरी #मेरा_अंत_है

12 Love

Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora

 Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora

कब?

10 Love

Unsplash मै खुद से कुछ कहना चाहती हु पर कह नहीं पा रही की मुझे कुछ नहीं चाहिए न परिवार न प्यार ना दोस्त ना सुकून क्यों कि मुझे और दर्द सहने की क्षमता नहीं है वो दर्द जो छोटे छोटे बाते सुनाने से वो दर्द जो मेरा मजाक बनाने से होती है वो दर्द जब खुद कुछ करना चाहो तब कुछ कर न पाओ सुकुन से ना किसी को याद कर सकू ना किसी को भूल सकू ना अच्छे से सो सकू हा मै यही चाहती हु की मैं जब आज सोउ तब कल मैं ना उठूं क्यों कि सहन करने की क्षमता मुझमें नहीं है हा मै नहीं चाहती इस दुनिया में रहना क्यों कि मैं खुद को संभालने में असमर्थ हूं उम्मीद दूसरों से कर नहीं सकती जो मन में है उसे मै किसी को बात नहीं सकती क्यों कि मुझे उम्मीद किसी से लगाना ही नहीं है इस लिए मैं अपने पुरखो के पास प्रकृति में विलीन चाहती हु मै दूर जाना चाहती हूं सब से preeti Uikye 18/12/24 ©Gondwana Sherni 750

#विचार #traveling  Unsplash मै खुद से कुछ कहना चाहती हु 
पर कह नहीं पा रही 
की मुझे कुछ नहीं चाहिए 
न परिवार न प्यार ना दोस्त 
ना सुकून 
क्यों कि मुझे और दर्द सहने की क्षमता नहीं है 
वो दर्द जो छोटे छोटे बाते सुनाने से  
वो दर्द जो मेरा मजाक बनाने से होती है 
वो दर्द जब खुद कुछ करना चाहो तब कुछ कर न पाओ 
सुकुन से ना किसी को याद कर सकू 
ना किसी को भूल सकू 
ना अच्छे से सो सकू 
हा मै यही चाहती हु की मैं जब आज सोउ तब कल मैं ना उठूं 
क्यों कि सहन करने की क्षमता मुझमें नहीं है 
हा मै नहीं चाहती इस दुनिया में रहना 
क्यों कि मैं खुद को संभालने में असमर्थ हूं 
उम्मीद दूसरों से कर नहीं सकती 
जो मन में है उसे मै किसी को बात नहीं सकती 
क्यों कि मुझे उम्मीद किसी से लगाना ही नहीं है 
इस लिए मैं अपने पुरखो के पास प्रकृति में विलीन चाहती हु
मै दूर जाना चाहती हूं सब से

preeti Uikye 
18/12/24

©Gondwana Sherni 750

#traveling अंत

13 Love

#वीडियो #सिरसा

#सिरसा लोकसभा का कैसा होगा स्वरूप

108 View

White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

29 Love

White धरती पे स्वर्ग की कल्पना को, अपनी आंखों से साकार होते देखने का मन करे, शिशिर ऋतु के शुरुआती दौर में, पहाड़ पर्वत की बर्फीली वादियों का भ्रमण करें। ©Anuj Ray

#विचार  White धरती पे स्वर्ग की कल्पना को, अपनी 
आंखों से साकार होते देखने का मन करे, 

शिशिर ऋतु के शुरुआती दौर में, पहाड़ 
पर्वत की बर्फीली वादियों का भ्रमण करें।

©Anuj Ray

# धरती पे स्वर्ग"

17 Love

ये वर्ष का अंत नहीं एक अध्याय का अंत है, अंत है कुछ मेरा अंत कुछ मेरे शब्दों का है।। थे कुछ जज्बात जो पिघल गए, टूट गए ये मेरी तासीर की गई कहानी का अंत हैं।। उठाएंगे जनाजा ए दिल हम फिर भी आज ये मेरे जीवन का नहीं, मेरी जीने की आरजू का अंत है।। खिलेंगे कुछ फूल मजार ए मोहब्बत पे ये मेरी खुद से की गई अज्म का अंत है।। किरदार न आंका मेरा, न समझी मेरी सीरत चलो छोड़ो, हुआ सबकी उलझनों का अंत है।। कोई शिकवा नहीं, गर एक शिकस्त जरूर है ये मेरे बार बार हारने की प्रक्रिया का अंत है।। ©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

 ये वर्ष का अंत नहीं एक अध्याय का अंत है,
अंत है कुछ मेरा अंत कुछ मेरे शब्दों का है।।

थे कुछ जज्बात जो पिघल गए, टूट गए
ये मेरी तासीर की गई कहानी का अंत हैं।।

उठाएंगे जनाजा ए दिल हम फिर भी आज
ये मेरे जीवन का नहीं, मेरी जीने की आरजू का अंत है।।

खिलेंगे कुछ फूल मजार ए मोहब्बत पे
ये मेरी खुद से की गई अज्म का अंत है।।

किरदार न आंका मेरा, न समझी मेरी सीरत 
चलो छोड़ो, हुआ सबकी उलझनों का अंत है।।

कोई शिकवा नहीं, गर एक शिकस्त जरूर है
ये मेरे बार बार हारने की प्रक्रिया का अंत है।।

©Shyarana Andaaz (अज्ञात)

Title:- ये अंत है।। #31December2024 #newyear #अंत #शायरी #कुछ_टूटे_अरमान #राहतइंदौरी #मेरा_अंत_है

12 Love

Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora

 Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora

कब?

10 Love

Unsplash मै खुद से कुछ कहना चाहती हु पर कह नहीं पा रही की मुझे कुछ नहीं चाहिए न परिवार न प्यार ना दोस्त ना सुकून क्यों कि मुझे और दर्द सहने की क्षमता नहीं है वो दर्द जो छोटे छोटे बाते सुनाने से वो दर्द जो मेरा मजाक बनाने से होती है वो दर्द जब खुद कुछ करना चाहो तब कुछ कर न पाओ सुकुन से ना किसी को याद कर सकू ना किसी को भूल सकू ना अच्छे से सो सकू हा मै यही चाहती हु की मैं जब आज सोउ तब कल मैं ना उठूं क्यों कि सहन करने की क्षमता मुझमें नहीं है हा मै नहीं चाहती इस दुनिया में रहना क्यों कि मैं खुद को संभालने में असमर्थ हूं उम्मीद दूसरों से कर नहीं सकती जो मन में है उसे मै किसी को बात नहीं सकती क्यों कि मुझे उम्मीद किसी से लगाना ही नहीं है इस लिए मैं अपने पुरखो के पास प्रकृति में विलीन चाहती हु मै दूर जाना चाहती हूं सब से preeti Uikye 18/12/24 ©Gondwana Sherni 750

#विचार #traveling  Unsplash मै खुद से कुछ कहना चाहती हु 
पर कह नहीं पा रही 
की मुझे कुछ नहीं चाहिए 
न परिवार न प्यार ना दोस्त 
ना सुकून 
क्यों कि मुझे और दर्द सहने की क्षमता नहीं है 
वो दर्द जो छोटे छोटे बाते सुनाने से  
वो दर्द जो मेरा मजाक बनाने से होती है 
वो दर्द जब खुद कुछ करना चाहो तब कुछ कर न पाओ 
सुकुन से ना किसी को याद कर सकू 
ना किसी को भूल सकू 
ना अच्छे से सो सकू 
हा मै यही चाहती हु की मैं जब आज सोउ तब कल मैं ना उठूं 
क्यों कि सहन करने की क्षमता मुझमें नहीं है 
हा मै नहीं चाहती इस दुनिया में रहना 
क्यों कि मैं खुद को संभालने में असमर्थ हूं 
उम्मीद दूसरों से कर नहीं सकती 
जो मन में है उसे मै किसी को बात नहीं सकती 
क्यों कि मुझे उम्मीद किसी से लगाना ही नहीं है 
इस लिए मैं अपने पुरखो के पास प्रकृति में विलीन चाहती हु
मै दूर जाना चाहती हूं सब से

preeti Uikye 
18/12/24

©Gondwana Sherni 750

#traveling अंत

13 Love

#वीडियो #सिरसा

#सिरसा लोकसभा का कैसा होगा स्वरूप

108 View

White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

29 Love

White धरती पे स्वर्ग की कल्पना को, अपनी आंखों से साकार होते देखने का मन करे, शिशिर ऋतु के शुरुआती दौर में, पहाड़ पर्वत की बर्फीली वादियों का भ्रमण करें। ©Anuj Ray

#विचार  White धरती पे स्वर्ग की कल्पना को, अपनी 
आंखों से साकार होते देखने का मन करे, 

शिशिर ऋतु के शुरुआती दौर में, पहाड़ 
पर्वत की बर्फीली वादियों का भ्रमण करें।

©Anuj Ray

# धरती पे स्वर्ग"

17 Love

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