चलो आँखों में भर लो पर मुझे सपना नहीं करना
किसी भी और को मेरे सिवा अपना नहीं करना
चाही है तुम से इतनी वफ़ा बस इतनी वफ़ा
मेरी साँसों को आख़िर तक तेरी ही ख़ुश्बू महकाए
नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए
तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए...
कि जब तक साँस बाक़ी है मिलन की आस बाक़ी है
समंदर सामने है पर ये सच है प्यास बाक़ी है
हो जाएं चाहे दोनों जुदा, हम-दोनों जुदा
यही मेरी दुआ होगी मुझे तू भूल हरसाए
मगर ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए
तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए...
शिक़ायत है मुझे तुमसे तुम्हीं से इश्क-ओ-उल्फ़त है
मेरी हर साँस को दिलवर तुम्हारी ही ज़रूरत है
बहते इन अश्क़ों की ये है सदा हाँ, ये है सदा
भले पत्थर मिलें मुझको,मगर तू फूल ही पाए
नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए
तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए....
मूल गीत― समीर
©Ghumnam Gautam
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