"नदी का पुराना पुल"
कभी तुम गये हो गांव में नदी के किनारे
बहुत सुकून मिलता है.!
पहले मैं गांव रहता था,
दोस्तों का ज़मावड़ा, मज़मा लगता था.!
नदी पर पहले इक़ पुल था
जो अंग्रेजो के वक़्त का बना है.!
गया था मैं गांव कुछ साल पहले
देखा अब बदल गया है.!
उस पुल के बगल इक़ नया पुल
बन गया है, पुराने पे अब सन्नाटा है
सुना किसी ने बोला
अब यहाँ कोई नहीं आता है.!
पूछा क्यूँ कुछ हुआ था क्या
इक़ ने कहा भैया, यहाँ कोई मर गया था.!
इसलिये अब सब डरते है
इधर कोई नहीं आता है.!
हमनें देखा बहुत सन्नाटा छाया था
जहाँ पहले लोंगो को सुकून मिलता था
वही से लोग अब डरने लगे है.!
क्या तुम भी लोंगो की तरह
बुज़ुर्गो को छोड़कर
नये ढूढने लगे हो.!
मैं गया वहाँ अकेले ही मुझे कोई डर नहीं
फ़िर वही सुकून, मुझे गांव लें गया.!
यें "नदी का पुराना पुल "
मुझे अब भी याद है, मुझे सुकून सन्नाटा दें गया.!!
©Shreyansh Gaurav
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