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मैं अब कसमें झूटी खाने लगा हूँ तुम्हारे रंग हो अपनाने लगा हूँ जिससे भी मिलता हूँ गले लगता हूँ बेवफ़ाई की रस्में निभाने लगा हूँ मैंने भी बना ली है एक सहेली ख़ास उसको सारी बातें बतलाने लगा हूँ एक लड़की कर बैठी है इश्क़ मुझसे उसे छोड़ने की तैयारी में लगा हूँ मगर इस दिल का क्या करूँ मानता नहीं अब इसको भी बुरा बनाने में लगा हूँ ©Kamal Kant

#walkalone #thought #Feeling #Shayar  मैं अब कसमें झूटी खाने लगा हूँ 
तुम्हारे रंग हो अपनाने लगा  हूँ 

जिससे भी मिलता हूँ गले लगता हूँ
बेवफ़ाई की रस्में निभाने लगा हूँ 

मैंने भी बना ली है एक सहेली ख़ास
उसको सारी बातें बतलाने लगा हूँ 

एक लड़की कर बैठी है इश्क़ मुझसे
उसे छोड़ने की तैयारी में लगा हूँ 

मगर इस दिल का क्या करूँ मानता नहीं 
अब इसको भी बुरा बनाने में लगा हूँ

©Kamal Kant

White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे चुप हो गया जंगल का बादशाह जब से तब गीदड़ों के बोल भी और आने लगे पुरखे जिनके सोते आ रहे हैं जमीं पे उनके नवासों के भी अब दौर आने लगे छुप गया चांद जब बदली की ओंट में आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे मुनासिब ना समझा मिलना मै जिनसे हुज़ूर उनके चेहरे अब ग़ौर आने लगे ©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#शायरी #Thinking #gazal  White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे
आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

चुप  हो  गया जंगल का बादशाह जब से
तब  गीदड़ों  के  बोल भी और आने लगे

पुरखे  जिनके  सोते  आ  रहे  हैं  जमीं पे
उनके  नवासों  के भी अब दौर आने लगे

छुप  गया  चांद  जब  बदली की ओंट में
आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे

मुनासिब  ना  समझा  मिलना  मै जिनसे
हुज़ूर  उनके  चेहरे  अब  ग़ौर  आने लगे

©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#Thinking #gazal

10 Love

कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..! सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..! मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..! यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..! उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..! मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #Thinking #gazal  कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं 
क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..!

सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर 
आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..!

मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है 
बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..!

यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता 
उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..!

उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा 
लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..!

मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही 
बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!!

©Shreyansh Gaurav

#gazal #Thinking

14 Love

मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..! मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.! मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.! मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #बोसा #gazal  मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें 
तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..!

मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा 
दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.!

मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी 
गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.!

मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो 
सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.!

©Shreyansh Gaurav

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

13 Love

कुछ रिश्ते शिकस्त ए फ़रोश निकले वो जाने क्यों मेरी सोच से परे निकले । ऐसा क्या गुनाह किया मैने तेरे साथ वादियों के हसीन पल गैरों के निकले । ©prashant farrukhabadi

#gazal  कुछ रिश्ते शिकस्त ए फ़रोश निकले 
वो जाने क्यों मेरी सोच से परे निकले ।
ऐसा क्या गुनाह किया मैने तेरे साथ 
वादियों के हसीन पल गैरों के निकले ।

©prashant farrukhabadi

#gazal hindi shayari

14 Love

मैं अब कसमें झूटी खाने लगा हूँ तुम्हारे रंग हो अपनाने लगा हूँ जिससे भी मिलता हूँ गले लगता हूँ बेवफ़ाई की रस्में निभाने लगा हूँ मैंने भी बना ली है एक सहेली ख़ास उसको सारी बातें बतलाने लगा हूँ एक लड़की कर बैठी है इश्क़ मुझसे उसे छोड़ने की तैयारी में लगा हूँ मगर इस दिल का क्या करूँ मानता नहीं अब इसको भी बुरा बनाने में लगा हूँ ©Kamal Kant

#walkalone #thought #Feeling #Shayar  मैं अब कसमें झूटी खाने लगा हूँ 
तुम्हारे रंग हो अपनाने लगा  हूँ 

जिससे भी मिलता हूँ गले लगता हूँ
बेवफ़ाई की रस्में निभाने लगा हूँ 

मैंने भी बना ली है एक सहेली ख़ास
उसको सारी बातें बतलाने लगा हूँ 

एक लड़की कर बैठी है इश्क़ मुझसे
उसे छोड़ने की तैयारी में लगा हूँ 

मगर इस दिल का क्या करूँ मानता नहीं 
अब इसको भी बुरा बनाने में लगा हूँ

©Kamal Kant

White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे चुप हो गया जंगल का बादशाह जब से तब गीदड़ों के बोल भी और आने लगे पुरखे जिनके सोते आ रहे हैं जमीं पे उनके नवासों के भी अब दौर आने लगे छुप गया चांद जब बदली की ओंट में आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे मुनासिब ना समझा मिलना मै जिनसे हुज़ूर उनके चेहरे अब ग़ौर आने लगे ©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#शायरी #Thinking #gazal  White ऋतुओं में जब शिशिर का ठौर आने लगे
आम्रकुंज में आम्र वृक्ष पर बौर आने लगे

चुप  हो  गया जंगल का बादशाह जब से
तब  गीदड़ों  के  बोल भी और आने लगे

पुरखे  जिनके  सोते  आ  रहे  हैं  जमीं पे
उनके  नवासों  के भी अब दौर आने लगे

छुप  गया  चांद  जब  बदली की ओंट में
आसमान में फिर तारों संग सौर आने लगे

मुनासिब  ना  समझा  मिलना  मै जिनसे
हुज़ूर  उनके  चेहरे  अब  ग़ौर  आने लगे

©बिमल तिवारी “आत्मबोध”

#Thinking #gazal

10 Love

कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..! सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..! मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..! यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..! उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..! मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #Thinking #gazal  कोई ख़्वाव आँखो में नहीं,मेरी नींद भी गुम है कहीं 
क्या हुआ, कुछ तो हुआ है, पता करों वो कहाँ गये..!

सफ़र साथ में शुरू किये थे, हम दोनों ने मिलकर 
आज मैं अकेला हीं चल रहा, देखो वो किधर गये..!

मुहब्बत का तमाशा देखने में देखो कौन शामिल है 
बहुत मासूम है महबूब मेरा, कहीं वो राह भटक गये..!

यें किस्सा ए दिल,उसके शिवाय कोई नहीं जानता 
उसमें जां बसती है मेरी,देखो कहाँ लापता हो गये..!

उसे पता है मेरे बारे में,उसके बगैर जी नहीं पाऊँगा 
लगता है मेरी मुहब्बत का ज़ाईज़ा लें रहें, कहाँ गये..!

मेरे सफ़र का साथी था, हमसफ़र बनाना था उसे ही 
बीच राह में बिछड़ गया है, पता करों वो कहाँ गये..!!

©Shreyansh Gaurav

#gazal #Thinking

14 Love

मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..! मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.! मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.! मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.! ©Shreyansh Gaurav

#शायरी #बोसा #gazal  मेरे माथे पे तिरा दिया बोसा, बहुत सुकून था उसमें 
तुम अब नहीं हो एहसास है मुझे, तुम्हें याद नहीं है..!

मिरे मुफलिसी में भी, अमीरी का एहसास जैसे रहा 
दिले बेज़ार मरहम था,मुझे ख़बर है तुम्हें याद नहीं है.!

मेरे मुस्तक़बिल में इतना ही लिखा था साथ तिरा भी 
गुरबत में अमीरी का एहसास रहा,तुम्हें याद नहीं है.!

मिरे सपनों,ख़्वाहिशों की उड़ान थीं तुमसे,जानती हो 
सुकून अब नहीं साथ याद है मुझे, तुम्हें याद नहीं है.!

©Shreyansh Gaurav

White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

#कविता  White 221 212 2 221 2122
थी  आरज़ू  कभी  कू  -ए-  यार के  निदा की
इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की

 अब  जो   है  वो  नहीं  अब तो तर्क रहते होंगे
 बा -खूब  जानते  हैं  वो  यार  के  समा  की

 ख्वाहिश   कभी  नहीं  कि मंसूब  की अता हो
 कुछ   तो  खबर  रही  होगी  यार  के वफ़ा की

पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी
 मारोज़ -ए-  बयां  क्या  है  यार के नज़ा की

निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते  उनका
वो  ख्वाब  नज़रो  में  ना थे  यार के निहा की

क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा
ये  बात  उनको  कहना  ये यार के सज़ा की

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

gazal

13 Love

कुछ रिश्ते शिकस्त ए फ़रोश निकले वो जाने क्यों मेरी सोच से परे निकले । ऐसा क्या गुनाह किया मैने तेरे साथ वादियों के हसीन पल गैरों के निकले । ©prashant farrukhabadi

#gazal  कुछ रिश्ते शिकस्त ए फ़रोश निकले 
वो जाने क्यों मेरी सोच से परे निकले ।
ऐसा क्या गुनाह किया मैने तेरे साथ 
वादियों के हसीन पल गैरों के निकले ।

©prashant farrukhabadi

#gazal hindi shayari

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